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सिडकुल घोटालाः पूछताछ तक सिमटी SIT टीम, आगे नहीं बढ़ पाई जांच

उत्तराखंड में कथित सिडकुल घोटाले की जांच 6 महीने बीते जाने के बाद भी मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है.

sidcul scam
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Published : Jul 28, 2019, 6:04 PM IST

देहरादूनः चर्चित सिडकुल घोटाले की एसआईटी जांच अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है. छह महीने बीते जाने के बाद भी एसआईटी केवल पूछताछ तक ही सीमित है. वहीं, मामले पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है.

सिडकुल घोटाले में एसआईटी जांच पूछताछ तक सिमटी.

बता दें कि उत्तराखंड में कथित सिडकुल घोटाले पर त्रिवेंद्र सरकार ने इसी साल जनवरी महीने में एसआईटी जांच के आदेश दिए थे. मामले पर सरकार ने एसआईटी को साल 2012 से 2017 तक के निर्माण कार्य और नियुक्तियों की जांच के आदेश भी दिए हैं, लेकिन करीब 6 महीने बीते जाने के बाद भी मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.

ये भी पढे़ंः टूटने की कगार पर बाईं सिंचाई नहर, दर्जनों गांवों पर मंडरा रहा खतरा

सिडकुल में करीब 80 फीसदी से ज्यादा के काम अकेले उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ही आवंटित किए गए थे, जो जांच का मुख्य पहलू है. इस घोटाले में खासतौर पर उधम सिंह नगर सिडकुल में सबसे ज्यादा गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है.

वहीं, मामले पर एसआईटी ने अभी सिटी पार्क टॉयलेट, सिडकुल क्षेत्र में सड़क निर्माण, चारदीवारी, वृक्षारोपण समेत दूसरे मामलों में प्राथमिक दृष्टया गड़बड़ी पाई है, लेकिन अभी अधिकतर मामलों में एसआईटी पूछताछ तक ही सीमित है.

देहरादूनः चर्चित सिडकुल घोटाले की एसआईटी जांच अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है. छह महीने बीते जाने के बाद भी एसआईटी केवल पूछताछ तक ही सीमित है. वहीं, मामले पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है.

सिडकुल घोटाले में एसआईटी जांच पूछताछ तक सिमटी.

बता दें कि उत्तराखंड में कथित सिडकुल घोटाले पर त्रिवेंद्र सरकार ने इसी साल जनवरी महीने में एसआईटी जांच के आदेश दिए थे. मामले पर सरकार ने एसआईटी को साल 2012 से 2017 तक के निर्माण कार्य और नियुक्तियों की जांच के आदेश भी दिए हैं, लेकिन करीब 6 महीने बीते जाने के बाद भी मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.

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सिडकुल में करीब 80 फीसदी से ज्यादा के काम अकेले उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ही आवंटित किए गए थे, जो जांच का मुख्य पहलू है. इस घोटाले में खासतौर पर उधम सिंह नगर सिडकुल में सबसे ज्यादा गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है.

वहीं, मामले पर एसआईटी ने अभी सिटी पार्क टॉयलेट, सिडकुल क्षेत्र में सड़क निर्माण, चारदीवारी, वृक्षारोपण समेत दूसरे मामलों में प्राथमिक दृष्टया गड़बड़ी पाई है, लेकिन अभी अधिकतर मामलों में एसआईटी पूछताछ तक ही सीमित है.

Intro:Summary- सिडकुल में हुए कथित घोटाले पर एसआईटी की जांच महीनों बाद भी पूछताछ तक ही सीमित है। मामले पर एसआईटी स्तर से अब तक कोई भी ठोस कार्यवाही देखने को नहीं मिल पाई है। 



उत्तराखंड में सिडकुल को लेकर कई हजार के घोटाले होने के दावे तो किए गए लेकिन जांच के महीनों बाद भी इस पर अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि एसआईटी जांच के नाम पर अभी सिर्फ पूछताछ करने तक ही पहुंच पाई है।




Body:राज्य में कथित सिडकुल घोटाले पर त्रिवेंद्र सरकार ने इसी साल जनवरी माह में एसआईटी जांच के आदेश तो किए लेकिन अब करीब 6 महीने पूरे होने के बाद भी इस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। सिडकुल मामले में सरकार ने एसआईटी को साल 2012 से 2017 तक के निर्माण कार्य और नियुक्तियों की जांच के लिए आदेश दिए हैं। खास बात यह है कि सिडकुल में करीब 80% से ज्यादा के काम अकेले उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ही आवंटित किए गए थे जो जांच का मुख्य पहलू दिखाई दे रहा है। सिडकुल के कथित घोटाले में खासतौर पर उधम सिंह नगर सिडकुल में सबसे ज्यादा गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है... मामले में एसआईटी ने अभी सिटी पार्क टॉयलेट, सिडकुल क्षेत्र में सड़क निर्माण, यहां की चारदीवारी, यहां हुए वृक्षारोपण समेत दूसरे मामलों में प्राथमिक दृष्टया गड़बड़ी पाई है। लेकिन अभी अधिकतर मामलों में एसआईटी पूछताछ तक ही सीमित दिखाई दे रही है। 


बाइट सी रविशंकर एमडी सिडकुल





Conclusion:उत्तराखंड में घोटालों को लेकर बनी जांच एजेंसियों का अब तक का हश्र सबको पता है...ऐसे में एसआईटी जांच का वाकई भविष्य में कोई फायदा होगा यह भी एक बड़ा सवाल बन गया है...
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