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सिद्दीकी सिस्टर्स का हथकरघा हुनर, आत्मनिर्भर भारत की बनीं 'विनर' - siddiqui sisters handloom business dehradun

राजधानी देहरादून स्थित आजाद कॉलोनी में रहने वाली अनिला सिद्दीकी और साइना सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण लेकर अपना हस्तशिल्प कुटीर उद्योग शुरू किया. कुटीर उद्योग के जरिए ये सिद्दीकी सिस्टर्स हर महीने 15 से 20 हजार रुपए कमा रही है.

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सिद्दीकी सिस्टर्स हस्तशिल्प कुटीर उद्योग के जरिए कमा रहीं हर महीने 15 से 20 हजार रुपए
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Published : Aug 5, 2020, 3:19 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 5:44 PM IST

देहरादून: अगर मन में कुछ कर जाने की इच्छा हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है. राजधानी स्थित आजाद कॉलोनी में रहने वाली दो सगी बहनों ने अपनी कला को अपनी कमाई का जरिया बनाकर इस बात को बखूबी सिद्ध किया है. सिद्दीकी सिस्टर्स अनिला और साइना ने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण लेकर अपना हस्तशिल्प कुटीर उद्योग शुरू किया. अब ये हर महीने लगभग 15 से 20 हजार रुपए कमा रही हैं.

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सिद्दीकी सिस्टर्स.

एक मध्यम परिवार से नाता रखने के वाली सिद्दीकी सिस्टर्स अनिला और साइना आज घर पर ही तरह-तरह के सजावटी सामान, डिजाइनर ड्रेसेस और वॉल पेंटिंग तैयार करती हैं. इन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

सिद्दीकी सिस्टर्स आत्मनिर्भर भारत अभियान को दे रहीं बढ़ावा.

ईटीवी भारत से बात करते हुए अनिला सिद्दीकी ने बताया कि उन्हें और उनकी छोटी बहन साइना को बचपन से ही तरह-तरह के सजावटी सामान बनाने का शौक था. ऐसे में साल 2015 में उन्होंने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण लेकर अपना ही हस्तशिल्प कुटीर उद्योग स्थापित करने की सोचा लेकिन उद्योग निदेशालय की तरफ से हर साल लगाए जाने वाले हैंडलूम एक्सपो में अपना स्टाल लगाने की वजह से उन्हें अपनी पहचान बनाने में काफी मदद मिली.

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सिद्दीकी सिस्टर्स की कलाकारी.
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हस्तशिल्प कुटीर उद्योग.

इसके बाद साल 2019 में उद्योग निदेशालय की तरफ से सहस्त्रधारा रोड पर पहली बार लगाए गए दून हाट में उन्होंने सिद्दीकी सिस्टर्स के नाम से अपना स्टॉल लगाया. जहां लोगों ने उनके द्वारा तैयार किए गए तरह-तरह के सजावटी सामानों और डिजाइनर कपड़ों को खरीदने में काफी रुचि दिखाई.

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वॉल हैंगिंग.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर भूमि पूजन के गवाह बनेंगे सतपाल महाराज, बतौर संत होंगे शामिल

हालांकि, अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों की तर्ज पर वर्तमान में कोरोना महामारी की मार सिद्दीकी सिस्टर के व्यापार पर भी जरूर पड़ी है. जहां कोरोना संकट से पहले अक्सर उनके पास डिजाइनर ड्रेसेस और तरह तरह सजावटी सामान के ऑर्डर हुआ करते थे, लेकिन अब ऑर्डर मिलने काफी कम हो गये हैं.

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घर पर ही बनाया गया सजावटी सामान.

साइना सिद्दीकी बताती हैं कि कोरोना ने हस्तशिल्प कुटीर उद्योग पर भी काफी असर डाला है. वर्तमान में जो थोड़ी बहुत कमाई उनकी हो रही है वह पर्सनल ऑर्डर जो उन्हें मिल रहे हैं, उनके माध्यम से ही हो रही है. अन्यथा दून हाट और हैंडलूम एक्सपो में स्टॉल लगाने पर वह प्रति माह 15 से 20 हज़ार रुपए आसानी से कमा रहे थे.

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सिद्दीकी सिस्टर्स का हथकरघा हुनर.

ये भी पढ़ें: कोरोना काल में टैक्सी और कैब संचालक बेहाल, गहराया भुखमरी का संकट

बहरहाल, उतार चढ़ाव के दौर से हर व्यापारी को कभी न कभी गुजरना ही पड़ता है लेकिन इसके बावजूद जिस तरह सिद्दीकी सिस्टर ने हिम्मत बनाई हुई है वह काबिले तारीफ है. दूसरी तरफ सिद्दीकी सिस्टर्स ने जिस तरह अपनी कला को अपनी कमाई का जरिया बनाया है. वह कई लोगों के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है.

देहरादून: अगर मन में कुछ कर जाने की इच्छा हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है. राजधानी स्थित आजाद कॉलोनी में रहने वाली दो सगी बहनों ने अपनी कला को अपनी कमाई का जरिया बनाकर इस बात को बखूबी सिद्ध किया है. सिद्दीकी सिस्टर्स अनिला और साइना ने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण लेकर अपना हस्तशिल्प कुटीर उद्योग शुरू किया. अब ये हर महीने लगभग 15 से 20 हजार रुपए कमा रही हैं.

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सिद्दीकी सिस्टर्स.

एक मध्यम परिवार से नाता रखने के वाली सिद्दीकी सिस्टर्स अनिला और साइना आज घर पर ही तरह-तरह के सजावटी सामान, डिजाइनर ड्रेसेस और वॉल पेंटिंग तैयार करती हैं. इन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

सिद्दीकी सिस्टर्स आत्मनिर्भर भारत अभियान को दे रहीं बढ़ावा.

ईटीवी भारत से बात करते हुए अनिला सिद्दीकी ने बताया कि उन्हें और उनकी छोटी बहन साइना को बचपन से ही तरह-तरह के सजावटी सामान बनाने का शौक था. ऐसे में साल 2015 में उन्होंने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण लेकर अपना ही हस्तशिल्प कुटीर उद्योग स्थापित करने की सोचा लेकिन उद्योग निदेशालय की तरफ से हर साल लगाए जाने वाले हैंडलूम एक्सपो में अपना स्टाल लगाने की वजह से उन्हें अपनी पहचान बनाने में काफी मदद मिली.

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सिद्दीकी सिस्टर्स की कलाकारी.
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हस्तशिल्प कुटीर उद्योग.

इसके बाद साल 2019 में उद्योग निदेशालय की तरफ से सहस्त्रधारा रोड पर पहली बार लगाए गए दून हाट में उन्होंने सिद्दीकी सिस्टर्स के नाम से अपना स्टॉल लगाया. जहां लोगों ने उनके द्वारा तैयार किए गए तरह-तरह के सजावटी सामानों और डिजाइनर कपड़ों को खरीदने में काफी रुचि दिखाई.

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वॉल हैंगिंग.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर भूमि पूजन के गवाह बनेंगे सतपाल महाराज, बतौर संत होंगे शामिल

हालांकि, अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों की तर्ज पर वर्तमान में कोरोना महामारी की मार सिद्दीकी सिस्टर के व्यापार पर भी जरूर पड़ी है. जहां कोरोना संकट से पहले अक्सर उनके पास डिजाइनर ड्रेसेस और तरह तरह सजावटी सामान के ऑर्डर हुआ करते थे, लेकिन अब ऑर्डर मिलने काफी कम हो गये हैं.

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घर पर ही बनाया गया सजावटी सामान.

साइना सिद्दीकी बताती हैं कि कोरोना ने हस्तशिल्प कुटीर उद्योग पर भी काफी असर डाला है. वर्तमान में जो थोड़ी बहुत कमाई उनकी हो रही है वह पर्सनल ऑर्डर जो उन्हें मिल रहे हैं, उनके माध्यम से ही हो रही है. अन्यथा दून हाट और हैंडलूम एक्सपो में स्टॉल लगाने पर वह प्रति माह 15 से 20 हज़ार रुपए आसानी से कमा रहे थे.

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सिद्दीकी सिस्टर्स का हथकरघा हुनर.

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बहरहाल, उतार चढ़ाव के दौर से हर व्यापारी को कभी न कभी गुजरना ही पड़ता है लेकिन इसके बावजूद जिस तरह सिद्दीकी सिस्टर ने हिम्मत बनाई हुई है वह काबिले तारीफ है. दूसरी तरफ सिद्दीकी सिस्टर्स ने जिस तरह अपनी कला को अपनी कमाई का जरिया बनाया है. वह कई लोगों के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है.

Last Updated : Aug 7, 2020, 5:44 PM IST
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