ETV Bharat / state

CM त्रिवेंद्र कर सकते हैं मंत्रिमंडल विस्तार, सियासी समीकरण के हिसाब से इन्हें मिल सकती है जगह

त्रिवेंद्र कैबिनेट में कौन से चेहरे शामिल हो सकते है इसको लेकर भी सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है. संसदीय कार्य मंत्री, वित्त, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उठाने के लिए कौन सा चेहरा योग्य रहेगा, इसकों लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही है

Trivendra Singh Rawat
author img

By

Published : Jun 18, 2019, 8:10 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब जल्द अपनी टीम का विस्तार कर सकते हैं. सरकार में पहले से ही दो मंत्री पद खाली चल रहे थे. वहीं वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद कई अहम मंत्रालय भी खाली पड़े हैं. जिसकी जिम्मेदारी जल्द ही किसी को दी जानी है. जिसमें संसदीय कार्य मंत्री, आबकरी और वित्त जैसे विभाग शामिल हैं.

पढ़ें- दिल्ली में ड्राइवर के साथ मारपीट की घटना से गुस्से में सिख समुदाय, किया प्रदर्शन

संकेत इस बात के भी हैं कि कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया जा सकता है. इसके पीछे कई कारण भी बताए जा रहे है. जानकारों की मानें तो त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट विस्तार होने की अभी प्रबल संभावनाएं बनी हुई हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री पहले से ही कई विभागों की जिम्मेदारी अकेले संभाल रहे थे और सरकार बनने से बाद से ही दो मंत्री पद खाली चल रहे हैं.

त्रिवेंद्र कैबिनेट में कौन से चेहरे शामिल हो सकते है इसको लेकर भी सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है. संसदीय कार्य मंत्री, वित्त, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उठाने के लिए कौन सा चेहरा योग्य रहेगा, इसको लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं. समीकरणों के आधार पर समझते है त्रिवेंद्र कैबिनेट में किसे जगह मिल सकती हैं.

पढ़ें- पंचेवली गंगा घाट पर हजारों मछलियों के मरने से मचा हड़कंप

कुमाऊं फैक्टर
दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत कुमाऊं से थे. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि एक चेहरा कुमाऊं से होगा. कुमाऊं के वरिष्ठ नेताओं पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे पहला नाम बिशन सिंह चुफाल का आ सकता है. चुफाल पूर्व में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके बाद दूसरा नाम पुष्कर सिंह धामी का है, जो इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. तीसरा नाम सुरेंद्र सिंह जीना का है. जीना का नाम तेज तर्रार नेताओं में शामिल है.

कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर
नए मंत्री की तलाश अगर कुमाऊं के किसी ब्राह्मण चेहरे के रूप में की जाती है तो बंशीधर भगत एक मात्र ऐसा चेहरा हैं जो इस सियासी समीकरण पर फिट बैठते हैं. लेकिन ये माना जा रहा है कि कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर एक साथ चलने की बहुत कम संभावना है.

देहरादून से कोई चेहरा हो सकता है शामिल
त्रिवेंद्र की मौजूदा कैबिनेट में देहरादून जिले से मुख्यमंत्री के अलावा और कोई चेहरा नहीं हैं. सरकार बनने के बाद से ही देहरादून से किसी चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर चर्चाएं थीं, लेकिन सरकार के गठन के 2 साल बाद भी मंत्रिमंडल में देहरादून से कोई चेहरा शामिल नहीं हुआ हैं. अब प्रकाश पंत के निधन के बाद उम्मीद की जा रही है कि मुन्ना सिंह को जगह मिल सकती है. क्योंकि संसदीय कार्यों में उनकी अच्छी पकड़ है. इसके अलावा देहरादून की राजपुर सीट से विधायक खजान दास का नाम भी आगे चल रहा है. क्योंकि वो पहले ही मंत्री रह चुके है. संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ है.

कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो 24 जून से विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आहूत किया गया है. जो कि विशेष तौर से दिवंगत प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि देने के लिए आहूत किया गया है. ऐसे में शोकाकुल माहौल के चलते मंत्रिमंडल के विस्तार की बात व्यवहारिक सी नहीं लगती है. ऐसा हो सकता है कि सत्र से पहले मुख्यमंत्री फिलहाल के लिए संसदीय कार्यों का जिम्मा किसी विधायक या फिर मंत्री मदन कौशिक को दें. उसके बाद पूरे विचार विमर्श के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो.

देहरादून: उत्तराखंड के सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब जल्द अपनी टीम का विस्तार कर सकते हैं. सरकार में पहले से ही दो मंत्री पद खाली चल रहे थे. वहीं वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद कई अहम मंत्रालय भी खाली पड़े हैं. जिसकी जिम्मेदारी जल्द ही किसी को दी जानी है. जिसमें संसदीय कार्य मंत्री, आबकरी और वित्त जैसे विभाग शामिल हैं.

पढ़ें- दिल्ली में ड्राइवर के साथ मारपीट की घटना से गुस्से में सिख समुदाय, किया प्रदर्शन

संकेत इस बात के भी हैं कि कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया जा सकता है. इसके पीछे कई कारण भी बताए जा रहे है. जानकारों की मानें तो त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट विस्तार होने की अभी प्रबल संभावनाएं बनी हुई हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री पहले से ही कई विभागों की जिम्मेदारी अकेले संभाल रहे थे और सरकार बनने से बाद से ही दो मंत्री पद खाली चल रहे हैं.

त्रिवेंद्र कैबिनेट में कौन से चेहरे शामिल हो सकते है इसको लेकर भी सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है. संसदीय कार्य मंत्री, वित्त, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उठाने के लिए कौन सा चेहरा योग्य रहेगा, इसको लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं. समीकरणों के आधार पर समझते है त्रिवेंद्र कैबिनेट में किसे जगह मिल सकती हैं.

पढ़ें- पंचेवली गंगा घाट पर हजारों मछलियों के मरने से मचा हड़कंप

कुमाऊं फैक्टर
दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत कुमाऊं से थे. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि एक चेहरा कुमाऊं से होगा. कुमाऊं के वरिष्ठ नेताओं पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे पहला नाम बिशन सिंह चुफाल का आ सकता है. चुफाल पूर्व में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके बाद दूसरा नाम पुष्कर सिंह धामी का है, जो इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. तीसरा नाम सुरेंद्र सिंह जीना का है. जीना का नाम तेज तर्रार नेताओं में शामिल है.

कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर
नए मंत्री की तलाश अगर कुमाऊं के किसी ब्राह्मण चेहरे के रूप में की जाती है तो बंशीधर भगत एक मात्र ऐसा चेहरा हैं जो इस सियासी समीकरण पर फिट बैठते हैं. लेकिन ये माना जा रहा है कि कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर एक साथ चलने की बहुत कम संभावना है.

देहरादून से कोई चेहरा हो सकता है शामिल
त्रिवेंद्र की मौजूदा कैबिनेट में देहरादून जिले से मुख्यमंत्री के अलावा और कोई चेहरा नहीं हैं. सरकार बनने के बाद से ही देहरादून से किसी चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर चर्चाएं थीं, लेकिन सरकार के गठन के 2 साल बाद भी मंत्रिमंडल में देहरादून से कोई चेहरा शामिल नहीं हुआ हैं. अब प्रकाश पंत के निधन के बाद उम्मीद की जा रही है कि मुन्ना सिंह को जगह मिल सकती है. क्योंकि संसदीय कार्यों में उनकी अच्छी पकड़ है. इसके अलावा देहरादून की राजपुर सीट से विधायक खजान दास का नाम भी आगे चल रहा है. क्योंकि वो पहले ही मंत्री रह चुके है. संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ है.

कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो 24 जून से विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आहूत किया गया है. जो कि विशेष तौर से दिवंगत प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि देने के लिए आहूत किया गया है. ऐसे में शोकाकुल माहौल के चलते मंत्रिमंडल के विस्तार की बात व्यवहारिक सी नहीं लगती है. ऐसा हो सकता है कि सत्र से पहले मुख्यमंत्री फिलहाल के लिए संसदीय कार्यों का जिम्मा किसी विधायक या फिर मंत्री मदन कौशिक को दें. उसके बाद पूरे विचार विमर्श के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो.

Intro:Summary- उत्तराखंड में सियासी फेरबदल को लेकर जोरो पर चर्चाएं है। सियासी गलियारों में अलग अलग नेताओ के दावे को लेकर दावे किए जा रहे है जिनके आधार पर खबर भेजी गई है।

Note- फीड FTP पर (jald siyasi ferbadal) नाम से भेजी गई है।

Special Story----
एंकर- उत्तराखंड में बिजेपी सरकार में पहले से ही खाली चल रही मंत्री पदों पर चल रही बहस ने दिनों काफी जोर पकड़ लिया है। दरसल दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद और आगामी 24 जून से विधानसभा सत्र से पहले इसकी चर्चाएं ज्यादा बढ़ गयी है लेकिन क्या है इसके पीछे की क्या है सियासी कहानी जानिए हमारी इस स्पेशल रिपोर्ट में।


Body:वीओ- राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड राज्य सियासी बदलाव को लेकर सुर्खियों में रहा है सियासी उठापटक और सियासत में फेरबदल राज्य में समय-समय पर होता रहता है और ऐसी ही सियासी फेरबदल की संभावनाएं इन दिनों उत्तराखंड में बनी हुई है दरअसल सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि जल्द ही रविंद्र कैबिनेट के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है और इसके पीछे कई प्रकार के तथ्य बताए जा रहे हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि त्रिवेंद्र कैबिनेट विस्तार होने का अभी सबसे ज्यादा प्रबल संभावनाएं बनी हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री पहले से ही कई विभागों की जिम्मेदारी अकेले संभाल रहे थे और सरकार बनने से बाद से ही दो मंत्री पद खाली चल रहै है और अब मंत्री प्रकाश पंत के निधनं के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार की प्रबल संभावनाएं बनी हुई है। लेकिन विस्तार कब तक होगा इसको लेकर भी दो अलग-अलग राय सामने आ रही है।
राजनीति के जानकार एक तबके का कहना है कि यह विस्तार यह विस्तार 24 जून से शुरू होने वाले विधानसभा के विशेष सत्र से पहले हो सकता है तो वही एक तबके की राय इससे जुदा है और उनका कहना है कि विशेष सत्र दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि के लिए आहूत किया जा रहा है और इस सत्र के लिए मंत्रिमंडल के विस्तार की अनिवार्यता नहीं है वही इस सत्र के बाद नए चेहरों की तलाश के लिए सरकार के पास पर्याप्त समय होगा।

त्रिवेन्द्र मंत्रिमंडल शामिल होने वाले चेहरों में किसका नंबर लग सकता है इसको लेकर भी सियासी गलियारों में भारी बहस है। संसदीय कार्य, वित्त, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उठाने के लिए कौन सा चेहरा योग्य रहेगा इसको लेकर चर्चाएं गर्म है। इन नामों में मदन कौशिक, मुन्ना सिंह चौहान, बिशन सिंह चुफाल, पुष्कर सिंह धामी, सुरेंद्र सिंह जीना, बंशीधर भगत, खजान दास जैसे तमाम ऐसे नाम हैं जिन को लेकर सभी अपने-अपने तर्क रख रहे हैं। लेकिन मंत्रिमंडल में किस को शामिल किया जाएगा यह भी भविष्य में छिपा है। आइए कुछ समीकरण समझते हैं कि किस तरह से कौन सा सेक्टर काम करेगा।

कुमाऊं फैक्टर----
दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत कुमावत से थे तो इस बात में काफी जोर है कि कुमाऊ से मंत्री के लिए कैसे चेहरे की तलाश की जाएगी। ऐसे में कुमाऊं में अगर नजर दौड़ाई तो वरिष्ठता और अनुभव को देखते हुए बिशन सिंह चुफाल का नाम आ सकता है। और मजबूती के आधार पर पुष्कर सिंह धामी का नाम भी चर्चाओं में है। लेकिन इसके अलावा अगर सदन में बेहतर प्रदर्शन और तेज तर्रार चेहरे को देखा गया तो सुरेंद्र सिंह जीना का नाम इसलिए भी आगे है क्योंकि वो प्रकाश पंत के ग्रह क्षेत्र अल्मोड़ा की सल्ट विधानसभा से विधायक है।

कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर----
नए मंत्री की तलाश अगर कुमाऊं के किसी ब्राह्मण चेहरे की तलाश की जाती है तो बंशीधर भगत एकमात्र ऐसा चेहरा है जो इस सियासी समीकरण पर फिट बैठते हैं लेकिन यह माना जा रहा है कि कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर एक साथ चलने की बहुत कम संभावना है।

देहरादून से कोई चेहरा हो सकता है---
त्रिवेंद्र की मौजूदा कैबिनेट में देहरादून जिले से मुख्यमंत्री के अलावा और कोई चेहरा नहीं है। सरकार बनने के बाद से ही देहरादून से किसी चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर चर्चाएं थी। लेकिन सरकार के गठन के 2 साल बाद भी मंत्रिमंडल में देहरादून से कोई चेहरा शामिल नहीं हुआ है। लेकिन अब मंत्रिमंडल में एक और रिक्तता के चलते और संसदीय कार्यों में मुन्ना सिंह की अच्छी पकड़ के चलते उनके नाम पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, तो वही देहरादून की राजपुर रोड से विधायक खजान दास के सरकार और पार्टी में अनुभव को देखते हुए खजान दास का नाम भी चर्चा में है।




Conclusion:फाइनल वीओ- कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो 24 जून से विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आहूत किया गया है जो कि विशेष तौर से दिवंगत प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि देने के लिए आहूत किया गया है। ऐसे में शोकाकुल माहौल के चलते मंत्रिमंडल के विस्तार की बात व्यवहारिक सी नहीं लगती है। और ऐसा हो सकता है कि सत्र से पहले मुख्यमंत्री फिलहाल के लिए संसदीय कार्यों का जिम्मा किसी विधायक या फिर मंत्री मदन कौशिक को दें और उसके बाद पूरे विचार विमर्श के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो। और वैसे भी विधानसभा सत्र के लिए मंत्रिमंडल के विस्तार की अनिवार्यता नहीं है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.