देहरादून: उत्तराखंड के सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब जल्द अपनी टीम का विस्तार कर सकते हैं. सरकार में पहले से ही दो मंत्री पद खाली चल रहे थे. वहीं वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद कई अहम मंत्रालय भी खाली पड़े हैं. जिसकी जिम्मेदारी जल्द ही किसी को दी जानी है. जिसमें संसदीय कार्य मंत्री, आबकरी और वित्त जैसे विभाग शामिल हैं.
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संकेत इस बात के भी हैं कि कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया जा सकता है. इसके पीछे कई कारण भी बताए जा रहे है. जानकारों की मानें तो त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट विस्तार होने की अभी प्रबल संभावनाएं बनी हुई हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री पहले से ही कई विभागों की जिम्मेदारी अकेले संभाल रहे थे और सरकार बनने से बाद से ही दो मंत्री पद खाली चल रहे हैं.
त्रिवेंद्र कैबिनेट में कौन से चेहरे शामिल हो सकते है इसको लेकर भी सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है. संसदीय कार्य मंत्री, वित्त, आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उठाने के लिए कौन सा चेहरा योग्य रहेगा, इसको लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं. समीकरणों के आधार पर समझते है त्रिवेंद्र कैबिनेट में किसे जगह मिल सकती हैं.
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कुमाऊं फैक्टर
दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत कुमाऊं से थे. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि एक चेहरा कुमाऊं से होगा. कुमाऊं के वरिष्ठ नेताओं पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे पहला नाम बिशन सिंह चुफाल का आ सकता है. चुफाल पूर्व में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके बाद दूसरा नाम पुष्कर सिंह धामी का है, जो इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. तीसरा नाम सुरेंद्र सिंह जीना का है. जीना का नाम तेज तर्रार नेताओं में शामिल है.
कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर
नए मंत्री की तलाश अगर कुमाऊं के किसी ब्राह्मण चेहरे के रूप में की जाती है तो बंशीधर भगत एक मात्र ऐसा चेहरा हैं जो इस सियासी समीकरण पर फिट बैठते हैं. लेकिन ये माना जा रहा है कि कुमाऊं और ब्राह्मण फैक्टर एक साथ चलने की बहुत कम संभावना है.
देहरादून से कोई चेहरा हो सकता है शामिल
त्रिवेंद्र की मौजूदा कैबिनेट में देहरादून जिले से मुख्यमंत्री के अलावा और कोई चेहरा नहीं हैं. सरकार बनने के बाद से ही देहरादून से किसी चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर चर्चाएं थीं, लेकिन सरकार के गठन के 2 साल बाद भी मंत्रिमंडल में देहरादून से कोई चेहरा शामिल नहीं हुआ हैं. अब प्रकाश पंत के निधन के बाद उम्मीद की जा रही है कि मुन्ना सिंह को जगह मिल सकती है. क्योंकि संसदीय कार्यों में उनकी अच्छी पकड़ है. इसके अलावा देहरादून की राजपुर सीट से विधायक खजान दास का नाम भी आगे चल रहा है. क्योंकि वो पहले ही मंत्री रह चुके है. संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ है.
कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो 24 जून से विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आहूत किया गया है. जो कि विशेष तौर से दिवंगत प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि देने के लिए आहूत किया गया है. ऐसे में शोकाकुल माहौल के चलते मंत्रिमंडल के विस्तार की बात व्यवहारिक सी नहीं लगती है. ऐसा हो सकता है कि सत्र से पहले मुख्यमंत्री फिलहाल के लिए संसदीय कार्यों का जिम्मा किसी विधायक या फिर मंत्री मदन कौशिक को दें. उसके बाद पूरे विचार विमर्श के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो.