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बढ़ती नाराजगी-बदलता व्यवहार, कांग्रेस में बगावती सुर के बीच बहुत कुछ कहती है सियासत की यह तस्वीर

उत्तराखंड कांग्रेस में अंतर्कलह कोई नई बात नहीं है. 2017 में सत्ता हाथ से जाने के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं में तालमेल और सामंजस्य की भारी कमी देखी जा रही है. हाल फिलहाल में जहां कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह और तिलक राज बेहड़ के बयानों ने पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है. वहीं, इस बीच केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट और बेहड़ की मुलाकात की तस्वीरों ने प्रदेश की सियासत गरम कर दी है.

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Published : Apr 12, 2023, 10:37 PM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 में अब एक साल का ही वक्त बचा हुआ है. इसके बावजूद कांग्रेस खुद को मजबूत करने में नाकाम साबित हो रही है. कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखंड कांग्रेस का भी है. यहां पार्टी में गुटबाजी, मनमुटाव और नेताओं के बीच टकराव चरम पर है. पिछले ही दिनों कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ और प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जिसके बाद से पार्टी में दो फाड़ की स्थित बनी हुई है. वहीं, इस बीच भाजपा कांग्रेस की हालत देखते हुए गर्म लोहे पर हथौड़ा मारने की फिराक में है.

कांग्रेस के नाराज नेताओं पर बीजेपी की नजर: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ नेताओं पर भाजपा नेताओं की तिरछी नजर है. यह कांग्रेस के वह नेता हैं, जो बीते कुछ समय से लगातार अपनी ही पार्टी नेताओं के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. इन नेताओं के निशाने पर कोई छोटा-मोटा नेता नहीं, बल्कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ही हैं. पिछले दिनों किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी सहित संगठन की कार्यप्रणाली को लेकर खुले मंच पर अपना विरोध जताया है.

कांग्रेस के कई नेताओं ने मोर्चा खोला: जिस तरह से राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट ने मोर्चा खोल दिया है. ठीक उसी तरह से उत्तराखंड कांग्रेस में भी कई नेता अपने शीर्ष नेताओं के खिलाफ बगावत के सुर अपना रहे हैं. इन दिनों उत्तराखंड में भी कुछ कांग्रेसी नेताओं के तेवर पार्टी के लिए ही सही नहीं दिखाई दे रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के इस कमजोरी का भाजपा फायदा उठाने की फिराक में है. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी अंदर खाने प्लान तैयार कर रही है. ताकि कांग्रेस के नाराज नेताओं को अपने दरवाजे पर लाया जाए तो या फिर उनके दरवाजे तक बीजेपी नेताओं को भेजा जाए.

2017 से ही कांग्रेस में खींचतान जारी: साल 2017 में कांग्रेस के सत्ता जाने के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच खींचतान जारी है. कभी अध्यक्ष पद को लेकर तो, कभी नेता विपक्ष को लेकर किसी ना किसी नेता का बयान सामने आता रहा है. लंबे समय से विपक्ष में बैठे कांग्रेसी नेताओं के बयान एक बार फिर से यह दर्शा रहे हैं कि पार्टी की नीति और रीति को लेकर कई नेता नाराज चल रहे हैं. पार्टी को मजबूत करने वाले और वरिष्ठ कांग्रेसी ही प्रदेश प्रभारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. साथ ही पार्टी में पदों के बंटवारे को लेकर बनाई गई रणनीति सही नहीं बता रहे हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस कितनी तैयार हैं, यह कहना मुश्किल है.

नाराज नेताओं का शांत करना कांग्रेस की चुनौती: आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी से लड़ने से पहले कांग्रेस पार्टी को अपने नाराज नेताओं को शांत करना होगा. गौरतलब है कि कांग्रेस पूर्व प्रदेश और चकराता विधायक प्रीतम सिंह का गढ़वाल क्षेत्र में जाना माना नाम है. प्रीतम जौनसार बावर से लंबे समय से राजनीति करते आ रहे हैं. यही कारण है कि मोदी लहर हो या फिर अन्य चुनावी समीकरण प्रीतम सिंह ने कांग्रेस की नैया को अपने क्षेत्र से हमेशा पार लगाया है, लेकिन बीते कुछ समय से हरीश रावत हो या फिर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रीतम सिंह समय-समय इन्हें नसीहत और संदेश दे रहे हैं कि पार्टी में दोनों की मनमानी नहीं चलेंगी.

प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी पर उठाए सवाल: इन दिनों प्रीतम सिंह प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और पार्टी आलाकमान से नाराज नजर आ रहे हैं. शायद यही कारण है कि बीते दिन उन्होंने यह तक कह दिया था कि जिस व्यक्ति को राजनीति की ए बी सी डी नहीं आती, उस व्यक्ति को राज्य में कांग्रेस ने प्रभारी बना रखा है, जो व्यक्ति कभी राज्य में आता नहीं है, भला ऐसे प्रभारी से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? इतना ही नहीं बीते कुछ समय से प्रीतम सिंह विरोध प्रदर्शनों में बड़े नेताओं के बिना ही सचिवालय घेराव हो या अन्य मुद्दा वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ ही नजर आते रहे हैं. उनकी नाराजगी हरीश रावत से भी अंदर खाने चल रही थी. हालांकि अब दोनों नेताओं के बीच बीते दिनों हुई बातचीत के बाद यह नाराजगी थोड़ी कम हुई है.
ये भी पढ़ें: गुटबाजी के बीच देवेंद्र यादव के समर्थन में उतरे करन माहरा, प्रीतम सिंह और बेहड़ को सुनाई खरी-खोटी

तिलक राज बेहड़ भी चल रहे नाराज: ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्रीतम सिंह ही कांग्रेस में नाराज चल रहे हैं, बल्कि तिलक राज बेहड़ ने भी अपने बयान से पार्टी की टेंशन बढञा दी है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और किच्छा से विधायक तिलक राज बेहड़ भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. लंबे अंतराल के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिलते ही, उन्होंने पार्टी आलाकमान के कुछ फैसलों पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता विपक्ष की कुर्सी को लेकर आलाकमान को संदेश दिया कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो, राज्य में 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के अच्छे परिणाम आएंगे इसकी उम्मीद छोड़ दे.

कुमाऊं में बेहड़ की अच्छी राजनीतिक पकड़: तिलक राज बेहड़ के बारे में यह कहा जा रहा है कि वह आने वाले समय में वह अपने बेटे को राजनीति में लॉन्च कर सकते हैं. दरअसल बेहड़ को पता है कि कांग्रेस को उनकी कितनी जरूरत है. तिलक राज निकाय, पंचायत चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव वह हमेशा से पार्टी के लिए संकटमोचक रहे हैं. कुमाऊं के तराई इलाके में तिलक राज बेहड़ का अच्छा खासा जनाधार है. यही कारण है कि अब वह पार्टी से आग्रह नहीं, बल्कि चेतावनी के लहजे में बातचीत कर रहे हैं. वहीं, प्रीतम सिंह हो या फिर तिलक राज बेहड़ दोनों का राजनीतिक रसूख ऐसा है कि अब भारतीय जनता पार्टी के नेता उन पर डोरे डालने में लगे हैं.

कांग्रेस की फूट पर बीजेपी की नजर: मौके की नजाकत को देखते हुए गर्म लोहे पर कब हथोड़ा मारा जाए भारतीय जनता पार्टी यह बात बखूबी जानती है. यही कारण है कि लंबे समय के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर लौटे तिलक राज बेहड़ के घर केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद अजय भट्ट पहुंच गए. अजय भट्ट ने न केवल तिलक राज का हालचाल जाना, बल्कि लगभग 30 मिनट तक उनसे बातचीत भी की. कांग्रेस विधायक तिलक राज के बयान वायरल होने के तुरंत बाद अजय भट्ट का उनके घर पर पहुंचना, कांग्रेस को भी कहीं ना कहीं संदेह में डाल रहा था. ऐसे में बीजेपी के छोटे बड़े नेताओं का बेहड़ के घर जाकर उनका हाल जैसे ही जाना, कांग्रेसी भी हरकत में आ गए.

बेहड़ से अजय भट्ट की मुलाकात से सियासत गर्म: हालांकि अजय भट्ट ने तिलक राज बेहड़ से मुलाकात में क्या कुछ कहा, यह बात तो साफ नहीं हुई, लेकिन भट्ट ने इतना कहा कि राजनीति में पक्ष और विपक्ष से पहले इंसानियत और रिश्ते हैं. वरिष्ठ नेता होने के नाते वह उनका हालचाल जानने के लिए कांग्रेस विधायक के घर पहुंचे थे. भले ही अजय भट्ट ने इससे अधिक कुछ नहीं कहा, लेकिन उनकी मुलाकात ही बहुत कुछ इशारा कर रही थी. अजय भट्ट से बेहड़ की मुलाकात के बाद कांग्रेस की टेंशन बढ़ना लाजमी था, ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेताओं का तिलक राज के घर पहुंचना शुरू हो गया. सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बेहड़ से मिलने पहुंचे और उनका हालचाल जाना. इस मुलाकात के बाद से यह चर्चा जोरों पर है कि हरीश रावत ने फिलहाल तिलक राज बेहड़ को शांत रहने को कहा है. साथ उनका संदेश ऊपर तक पहुंचाने की बात कही है.
ये भी पढ़ें: कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ ने उठाए पार्टी पर सवाल, गढ़वाल-कुमांऊ के सियासी वर्चस्व को लेकर की 'चोट'

तिलक राज बेहड़ का मनाने पहुंचे करन माहरा: इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी देहरादून से सीधे बेहड़ के घर पर पहुंचे. बताया जा रहा है कि इस दौरान करन माहरा ने उनकी बात सुनी, इस दौरान तिलक राज ने माहरा से कहा कि वह पहली बार अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. लगभग 35 मिनट तक हुई इस मुलाकात के बाद माहरा तो लौट गए, लेकिन यह बात साफ हो गई कि बीजेपी की रणनीति को कांग्रेस भाप चुकी है. यही कारण है कि देहरादून से अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सीधे अपने विधायक के घर जा पहुंचे. वहीं, बेहड़ की नाराजगी पर करन माहरा ने कहा कुछ गलतफहमी के चक्कर में इस तरह की बातें हुई हो, बेहड़ हमारे पुराने और वरिष्ठ नेता है. उनसे बातचीत करके सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा.

नाराज नेताओं से मिलने आएंगे दो पर्यवेक्षक: जितना करन माहरा अपने विधायक से मुलाकात के बाद बयान में कह रहे थे, उससे कहीं अधिक बातचीत उन्होंने पार्टी आलाकमान से की है. मुलाकात के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी आलाकमान को सभी नेताओं की नाराजगी के बारे में अवगत कराया है. जिसके बाद अब पार्टी आलाकमान देहरादून दो पर्यवेक्षक बनाकर भेज रहा है, जो पार्टी के तमाम विधायकों और संगठन के बड़े नेताओं से बातचीत करेंगे. बताया जा रहा है कि पीएल पुनिया और मोहन प्रकाश जल्द ही देहरादून आकर सभी विधायकों और पार्टी नेताओं से बातचीत कर सकते हैं. इस दौरान फैसला हो सकता है कि आखिरकार किस तरह से 2024 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़े और अंदर खाने जो गुटबाजी या बयानबाजी हो रही है, वह ना हो. बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान भी दोनों नेताओं के बयानों से खफा है.

कांग्रेस को झटका देने के चक्कर में बीजेपी: कांग्रेस में चल रही बगावत को क्या सही में बीजेपी चुनाव से पहले कोई हवा दे सकती है. क्या बीजेपी कांग्रेस को कोई बड़ा झटका देने की जुगत में है. इसको लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं कि कांग्रेस इस समय बहुत संकट से गुजर रही है. इस बात को हर कोई जानता है जिस तरह के बयान कांग्रेस के बड़े नेता दे रहे हैं, वह यह बता रहा है कि वह पार्टी में असहज महसूस कर रहे हैं और रही बात किसी नेता से उसका हालचाल जानने की तो राजनीति में यह बहुत सामान्य बात है. तिलक राज कुमाऊं के बड़े नेता हैं. उनसे अगर हमारी पार्टी या हम मुलाकात कर भी रहे हैं तो उनका हालचाल जानने के लिए और हमारे विधानसभा के वह मेंबर हैं, इसलिए की जा रही है. जो भी कुछ होगा कांग्रेस के नेता खुद डिसीजन ले सकते हैं. क्योंकि उन्हें भी पता है कि मौजूदा सरकार जिस तरह से कार्य कर रही है, उससे ना केवल भाजपा के नेता, बल्कि कांग्रेस के भी कई नेता भी तारीफ कर रहे हैं. जिसमें विधायक मदन बिष्ट का भी नाम शामिल है. मदन बिष्ट ने भी पुष्कर सिंह धामी के लैंड जिहाद पर दिए गए बयान का समर्थन किया है.

कांग्रेस को भी बीजेपी की खेल का अंदेशा: कांग्रेस के नेता अंदरखाने इस बात को जानते हैं कि चुनावों से पहले सत्ताधारी दल कोई भी बड़ा खेल कर सकता है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी कहती है कि हमारे नेता पार्टी की लाइन पर ही काम करते हैं. वह जानते हैं कि कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. इसलिए बीजेपी यह गलतफहमी दिमाग से निकाल दे कि कोई नेता उनकी तरफ झुकाव अपना दिखा रहा है. यह कांग्रेस पार्टी ही है, जहां पर अपनी बात सभी को कहने का अधिकार है. जो भी पार्टी के अंदर बातचीत हो रही है, उसे पार्टी आलाकमान और प्रदेश अध्यक्ष अपने स्तर से देख रहे हैं. इसलिए मुंगेरीलाल के हसीन सपने भारतीय जनता पार्टी के नेता ना देखें कि साल 2024 लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का कोई बड़ा या छोटा नेता उनके दल में शामिल हो सकता है. बल्कि कांग्रेस के सभी नेता एक साथ बेरोजगारी और केंद्र की सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कर साल 2024 का चुनाव जीतेंगे.

राजनीतिक जानकार की नजर में कांग्रेस कमजोर: वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त का मानना है कि कांग्रेस की स्थिति इस समय राज्य में ठीक नहीं है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा तो है, लेकिन उनको कौन कितनी सुनता है, यह हर कोई जानता है. हरीश रावत अपनी अलग राजनीति में व्यस्त हैं. प्रीतम सिंह गढ़वाल के एक विशेष क्षेत्र से बाहर नहीं निकलते. हरीश धामी जितने बयान पहले देते थे, सरकार के खिलाफ अब वह लाइमलाइट में कहीं दिखाई नहीं देते. सत्ता दल के खिलाफ कोई भी ऐसा आंदोलन या चरणबद्ध तरीके से विरोध कांग्रेस पार्टी का दिखाई नहीं देता और जो प्रदर्शन होता भी है तो, उसमें आधे अधूरे नेता दिखाई देते हैं. इसलिए यह कहना कि बीजेपी आने वाले समय में कांग्रेस के नेताओं को नहीं तोड़ सकती यह सही नहीं है.

भविष्य में प्रीतम ले सकते हैं बड़ा फैसला: सुनील दत्त ने कहा प्रीतम सिंह को अब उम्मीद है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी गढ़वाल लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना सकती है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हो सकता है कि वह अपने भविष्य का फैसला खुद करें. क्योंकि फिलहाल गढ़वाल में चाहे वह भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस हो प्रीतम सिंह जैसा मजबूत नेता फिलहाल के समय पर तो नहीं है, जो टिहरी लोकसभा चुनाव में पार्टी को विजय हासिल करवा सके. इसी तरह से तिलक राज बेहड़ उधमसिंह नगर और आसपास के विधानसभा क्षेत्र में अपना अलग वर्चस्व रखते हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी में उनकी उपेक्षा हुई या उनके मन में कोई बात आई तो, वह कोई भी फैसला ले सकते हैं. जिस तरह से बीजेपी ने अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरे देश भर के साथ-साथ उत्तराखंड में शुरू की हुई है. उससे यह साफ हो जाता है कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले समय में कुछ भी कर सकती है.

2024 लोकसभा को लेकर बीजेपी-कांग्रेस की तैयारी: आपको बता दें कि उत्तराखंड में लोकसभा की 5 सीटें हैं. मौजूदा समय में पांचों सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने देशभर में 400 सीट जीतने का जो लक्ष्य रखा है, उन 400 सीटों में उत्तराखंड की पांच सीटें भी शामिल है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के लिए राज्य की पांचों सीट को जीतना महत्वपूर्ण है. वहीं कांग्रेस के आगे भी 2 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव हारने के बाद इस बार अपनी वापसी करने की चुनौती होगी. अब देखना होगा कि 2024 लोकसभा चुनाव में क्या बीजेपी कांग्रेस के नेताओं को तोड़ पाएगी या फिर कांग्रेस मजबूती के साथ भाजपा का सामना करेंगी. यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 में अब एक साल का ही वक्त बचा हुआ है. इसके बावजूद कांग्रेस खुद को मजबूत करने में नाकाम साबित हो रही है. कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखंड कांग्रेस का भी है. यहां पार्टी में गुटबाजी, मनमुटाव और नेताओं के बीच टकराव चरम पर है. पिछले ही दिनों कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ और प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जिसके बाद से पार्टी में दो फाड़ की स्थित बनी हुई है. वहीं, इस बीच भाजपा कांग्रेस की हालत देखते हुए गर्म लोहे पर हथौड़ा मारने की फिराक में है.

कांग्रेस के नाराज नेताओं पर बीजेपी की नजर: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ नेताओं पर भाजपा नेताओं की तिरछी नजर है. यह कांग्रेस के वह नेता हैं, जो बीते कुछ समय से लगातार अपनी ही पार्टी नेताओं के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. इन नेताओं के निशाने पर कोई छोटा-मोटा नेता नहीं, बल्कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ही हैं. पिछले दिनों किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी सहित संगठन की कार्यप्रणाली को लेकर खुले मंच पर अपना विरोध जताया है.

कांग्रेस के कई नेताओं ने मोर्चा खोला: जिस तरह से राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट ने मोर्चा खोल दिया है. ठीक उसी तरह से उत्तराखंड कांग्रेस में भी कई नेता अपने शीर्ष नेताओं के खिलाफ बगावत के सुर अपना रहे हैं. इन दिनों उत्तराखंड में भी कुछ कांग्रेसी नेताओं के तेवर पार्टी के लिए ही सही नहीं दिखाई दे रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के इस कमजोरी का भाजपा फायदा उठाने की फिराक में है. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी अंदर खाने प्लान तैयार कर रही है. ताकि कांग्रेस के नाराज नेताओं को अपने दरवाजे पर लाया जाए तो या फिर उनके दरवाजे तक बीजेपी नेताओं को भेजा जाए.

2017 से ही कांग्रेस में खींचतान जारी: साल 2017 में कांग्रेस के सत्ता जाने के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच खींचतान जारी है. कभी अध्यक्ष पद को लेकर तो, कभी नेता विपक्ष को लेकर किसी ना किसी नेता का बयान सामने आता रहा है. लंबे समय से विपक्ष में बैठे कांग्रेसी नेताओं के बयान एक बार फिर से यह दर्शा रहे हैं कि पार्टी की नीति और रीति को लेकर कई नेता नाराज चल रहे हैं. पार्टी को मजबूत करने वाले और वरिष्ठ कांग्रेसी ही प्रदेश प्रभारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. साथ ही पार्टी में पदों के बंटवारे को लेकर बनाई गई रणनीति सही नहीं बता रहे हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस कितनी तैयार हैं, यह कहना मुश्किल है.

नाराज नेताओं का शांत करना कांग्रेस की चुनौती: आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी से लड़ने से पहले कांग्रेस पार्टी को अपने नाराज नेताओं को शांत करना होगा. गौरतलब है कि कांग्रेस पूर्व प्रदेश और चकराता विधायक प्रीतम सिंह का गढ़वाल क्षेत्र में जाना माना नाम है. प्रीतम जौनसार बावर से लंबे समय से राजनीति करते आ रहे हैं. यही कारण है कि मोदी लहर हो या फिर अन्य चुनावी समीकरण प्रीतम सिंह ने कांग्रेस की नैया को अपने क्षेत्र से हमेशा पार लगाया है, लेकिन बीते कुछ समय से हरीश रावत हो या फिर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रीतम सिंह समय-समय इन्हें नसीहत और संदेश दे रहे हैं कि पार्टी में दोनों की मनमानी नहीं चलेंगी.

प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी पर उठाए सवाल: इन दिनों प्रीतम सिंह प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और पार्टी आलाकमान से नाराज नजर आ रहे हैं. शायद यही कारण है कि बीते दिन उन्होंने यह तक कह दिया था कि जिस व्यक्ति को राजनीति की ए बी सी डी नहीं आती, उस व्यक्ति को राज्य में कांग्रेस ने प्रभारी बना रखा है, जो व्यक्ति कभी राज्य में आता नहीं है, भला ऐसे प्रभारी से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? इतना ही नहीं बीते कुछ समय से प्रीतम सिंह विरोध प्रदर्शनों में बड़े नेताओं के बिना ही सचिवालय घेराव हो या अन्य मुद्दा वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ ही नजर आते रहे हैं. उनकी नाराजगी हरीश रावत से भी अंदर खाने चल रही थी. हालांकि अब दोनों नेताओं के बीच बीते दिनों हुई बातचीत के बाद यह नाराजगी थोड़ी कम हुई है.
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तिलक राज बेहड़ भी चल रहे नाराज: ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्रीतम सिंह ही कांग्रेस में नाराज चल रहे हैं, बल्कि तिलक राज बेहड़ ने भी अपने बयान से पार्टी की टेंशन बढञा दी है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और किच्छा से विधायक तिलक राज बेहड़ भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. लंबे अंतराल के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिलते ही, उन्होंने पार्टी आलाकमान के कुछ फैसलों पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता विपक्ष की कुर्सी को लेकर आलाकमान को संदेश दिया कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो, राज्य में 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के अच्छे परिणाम आएंगे इसकी उम्मीद छोड़ दे.

कुमाऊं में बेहड़ की अच्छी राजनीतिक पकड़: तिलक राज बेहड़ के बारे में यह कहा जा रहा है कि वह आने वाले समय में वह अपने बेटे को राजनीति में लॉन्च कर सकते हैं. दरअसल बेहड़ को पता है कि कांग्रेस को उनकी कितनी जरूरत है. तिलक राज निकाय, पंचायत चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव वह हमेशा से पार्टी के लिए संकटमोचक रहे हैं. कुमाऊं के तराई इलाके में तिलक राज बेहड़ का अच्छा खासा जनाधार है. यही कारण है कि अब वह पार्टी से आग्रह नहीं, बल्कि चेतावनी के लहजे में बातचीत कर रहे हैं. वहीं, प्रीतम सिंह हो या फिर तिलक राज बेहड़ दोनों का राजनीतिक रसूख ऐसा है कि अब भारतीय जनता पार्टी के नेता उन पर डोरे डालने में लगे हैं.

कांग्रेस की फूट पर बीजेपी की नजर: मौके की नजाकत को देखते हुए गर्म लोहे पर कब हथोड़ा मारा जाए भारतीय जनता पार्टी यह बात बखूबी जानती है. यही कारण है कि लंबे समय के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर लौटे तिलक राज बेहड़ के घर केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद अजय भट्ट पहुंच गए. अजय भट्ट ने न केवल तिलक राज का हालचाल जाना, बल्कि लगभग 30 मिनट तक उनसे बातचीत भी की. कांग्रेस विधायक तिलक राज के बयान वायरल होने के तुरंत बाद अजय भट्ट का उनके घर पर पहुंचना, कांग्रेस को भी कहीं ना कहीं संदेह में डाल रहा था. ऐसे में बीजेपी के छोटे बड़े नेताओं का बेहड़ के घर जाकर उनका हाल जैसे ही जाना, कांग्रेसी भी हरकत में आ गए.

बेहड़ से अजय भट्ट की मुलाकात से सियासत गर्म: हालांकि अजय भट्ट ने तिलक राज बेहड़ से मुलाकात में क्या कुछ कहा, यह बात तो साफ नहीं हुई, लेकिन भट्ट ने इतना कहा कि राजनीति में पक्ष और विपक्ष से पहले इंसानियत और रिश्ते हैं. वरिष्ठ नेता होने के नाते वह उनका हालचाल जानने के लिए कांग्रेस विधायक के घर पहुंचे थे. भले ही अजय भट्ट ने इससे अधिक कुछ नहीं कहा, लेकिन उनकी मुलाकात ही बहुत कुछ इशारा कर रही थी. अजय भट्ट से बेहड़ की मुलाकात के बाद कांग्रेस की टेंशन बढ़ना लाजमी था, ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेताओं का तिलक राज के घर पहुंचना शुरू हो गया. सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बेहड़ से मिलने पहुंचे और उनका हालचाल जाना. इस मुलाकात के बाद से यह चर्चा जोरों पर है कि हरीश रावत ने फिलहाल तिलक राज बेहड़ को शांत रहने को कहा है. साथ उनका संदेश ऊपर तक पहुंचाने की बात कही है.
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तिलक राज बेहड़ का मनाने पहुंचे करन माहरा: इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी देहरादून से सीधे बेहड़ के घर पर पहुंचे. बताया जा रहा है कि इस दौरान करन माहरा ने उनकी बात सुनी, इस दौरान तिलक राज ने माहरा से कहा कि वह पहली बार अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. लगभग 35 मिनट तक हुई इस मुलाकात के बाद माहरा तो लौट गए, लेकिन यह बात साफ हो गई कि बीजेपी की रणनीति को कांग्रेस भाप चुकी है. यही कारण है कि देहरादून से अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सीधे अपने विधायक के घर जा पहुंचे. वहीं, बेहड़ की नाराजगी पर करन माहरा ने कहा कुछ गलतफहमी के चक्कर में इस तरह की बातें हुई हो, बेहड़ हमारे पुराने और वरिष्ठ नेता है. उनसे बातचीत करके सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा.

नाराज नेताओं से मिलने आएंगे दो पर्यवेक्षक: जितना करन माहरा अपने विधायक से मुलाकात के बाद बयान में कह रहे थे, उससे कहीं अधिक बातचीत उन्होंने पार्टी आलाकमान से की है. मुलाकात के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी आलाकमान को सभी नेताओं की नाराजगी के बारे में अवगत कराया है. जिसके बाद अब पार्टी आलाकमान देहरादून दो पर्यवेक्षक बनाकर भेज रहा है, जो पार्टी के तमाम विधायकों और संगठन के बड़े नेताओं से बातचीत करेंगे. बताया जा रहा है कि पीएल पुनिया और मोहन प्रकाश जल्द ही देहरादून आकर सभी विधायकों और पार्टी नेताओं से बातचीत कर सकते हैं. इस दौरान फैसला हो सकता है कि आखिरकार किस तरह से 2024 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़े और अंदर खाने जो गुटबाजी या बयानबाजी हो रही है, वह ना हो. बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान भी दोनों नेताओं के बयानों से खफा है.

कांग्रेस को झटका देने के चक्कर में बीजेपी: कांग्रेस में चल रही बगावत को क्या सही में बीजेपी चुनाव से पहले कोई हवा दे सकती है. क्या बीजेपी कांग्रेस को कोई बड़ा झटका देने की जुगत में है. इसको लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं कि कांग्रेस इस समय बहुत संकट से गुजर रही है. इस बात को हर कोई जानता है जिस तरह के बयान कांग्रेस के बड़े नेता दे रहे हैं, वह यह बता रहा है कि वह पार्टी में असहज महसूस कर रहे हैं और रही बात किसी नेता से उसका हालचाल जानने की तो राजनीति में यह बहुत सामान्य बात है. तिलक राज कुमाऊं के बड़े नेता हैं. उनसे अगर हमारी पार्टी या हम मुलाकात कर भी रहे हैं तो उनका हालचाल जानने के लिए और हमारे विधानसभा के वह मेंबर हैं, इसलिए की जा रही है. जो भी कुछ होगा कांग्रेस के नेता खुद डिसीजन ले सकते हैं. क्योंकि उन्हें भी पता है कि मौजूदा सरकार जिस तरह से कार्य कर रही है, उससे ना केवल भाजपा के नेता, बल्कि कांग्रेस के भी कई नेता भी तारीफ कर रहे हैं. जिसमें विधायक मदन बिष्ट का भी नाम शामिल है. मदन बिष्ट ने भी पुष्कर सिंह धामी के लैंड जिहाद पर दिए गए बयान का समर्थन किया है.

कांग्रेस को भी बीजेपी की खेल का अंदेशा: कांग्रेस के नेता अंदरखाने इस बात को जानते हैं कि चुनावों से पहले सत्ताधारी दल कोई भी बड़ा खेल कर सकता है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी कहती है कि हमारे नेता पार्टी की लाइन पर ही काम करते हैं. वह जानते हैं कि कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. इसलिए बीजेपी यह गलतफहमी दिमाग से निकाल दे कि कोई नेता उनकी तरफ झुकाव अपना दिखा रहा है. यह कांग्रेस पार्टी ही है, जहां पर अपनी बात सभी को कहने का अधिकार है. जो भी पार्टी के अंदर बातचीत हो रही है, उसे पार्टी आलाकमान और प्रदेश अध्यक्ष अपने स्तर से देख रहे हैं. इसलिए मुंगेरीलाल के हसीन सपने भारतीय जनता पार्टी के नेता ना देखें कि साल 2024 लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का कोई बड़ा या छोटा नेता उनके दल में शामिल हो सकता है. बल्कि कांग्रेस के सभी नेता एक साथ बेरोजगारी और केंद्र की सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कर साल 2024 का चुनाव जीतेंगे.

राजनीतिक जानकार की नजर में कांग्रेस कमजोर: वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त का मानना है कि कांग्रेस की स्थिति इस समय राज्य में ठीक नहीं है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा तो है, लेकिन उनको कौन कितनी सुनता है, यह हर कोई जानता है. हरीश रावत अपनी अलग राजनीति में व्यस्त हैं. प्रीतम सिंह गढ़वाल के एक विशेष क्षेत्र से बाहर नहीं निकलते. हरीश धामी जितने बयान पहले देते थे, सरकार के खिलाफ अब वह लाइमलाइट में कहीं दिखाई नहीं देते. सत्ता दल के खिलाफ कोई भी ऐसा आंदोलन या चरणबद्ध तरीके से विरोध कांग्रेस पार्टी का दिखाई नहीं देता और जो प्रदर्शन होता भी है तो, उसमें आधे अधूरे नेता दिखाई देते हैं. इसलिए यह कहना कि बीजेपी आने वाले समय में कांग्रेस के नेताओं को नहीं तोड़ सकती यह सही नहीं है.

भविष्य में प्रीतम ले सकते हैं बड़ा फैसला: सुनील दत्त ने कहा प्रीतम सिंह को अब उम्मीद है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी गढ़वाल लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना सकती है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हो सकता है कि वह अपने भविष्य का फैसला खुद करें. क्योंकि फिलहाल गढ़वाल में चाहे वह भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस हो प्रीतम सिंह जैसा मजबूत नेता फिलहाल के समय पर तो नहीं है, जो टिहरी लोकसभा चुनाव में पार्टी को विजय हासिल करवा सके. इसी तरह से तिलक राज बेहड़ उधमसिंह नगर और आसपास के विधानसभा क्षेत्र में अपना अलग वर्चस्व रखते हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी में उनकी उपेक्षा हुई या उनके मन में कोई बात आई तो, वह कोई भी फैसला ले सकते हैं. जिस तरह से बीजेपी ने अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरे देश भर के साथ-साथ उत्तराखंड में शुरू की हुई है. उससे यह साफ हो जाता है कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले समय में कुछ भी कर सकती है.

2024 लोकसभा को लेकर बीजेपी-कांग्रेस की तैयारी: आपको बता दें कि उत्तराखंड में लोकसभा की 5 सीटें हैं. मौजूदा समय में पांचों सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने देशभर में 400 सीट जीतने का जो लक्ष्य रखा है, उन 400 सीटों में उत्तराखंड की पांच सीटें भी शामिल है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के लिए राज्य की पांचों सीट को जीतना महत्वपूर्ण है. वहीं कांग्रेस के आगे भी 2 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव हारने के बाद इस बार अपनी वापसी करने की चुनौती होगी. अब देखना होगा कि 2024 लोकसभा चुनाव में क्या बीजेपी कांग्रेस के नेताओं को तोड़ पाएगी या फिर कांग्रेस मजबूती के साथ भाजपा का सामना करेंगी. यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

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