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तो इसलिए जोशीमठ में हो रहा भूधंसाव, वैज्ञानिकों ने बताई वजह - वैज्ञानिकों ने जोशीमठ में हो भूधंसाव की वजह बताई

जोशीमठ भूधंसाव का निरीक्षण कर वैज्ञानिकों की टीम देहरादून लौट आई है. वैज्ञानिकों की टीम ने एक हफ्ते तक जोशीमठ शहर का धरातलीय निरीक्षण किया. निरीक्षण में पता चला है कि पिछले कुछ सालों में जोशीमठ शहर में भवन कुछ सेंटीमीटर नीचे की ओर धंस रहे हैं. निरीक्षण में पाया गया कि मकानों में भी दरारें आ चुकी है.

Team of scientists returned after inspecting Joshimath landslide
जोशीमठ भूधसाव का निरीक्षण कर वापस लौटी वैज्ञानिकों की टीम
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Published : Aug 22, 2022, 4:11 PM IST

देहरादून: जोशीमठ शहर (landslide in joshimath city) में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर चमोली जिला प्रशासन की चिंता के बाद शासन ने एक टीम जोशीमठ शहर की जांच के लिए भेजी थी. इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया और आपदा प्रबंधन के अधिकारी थे. ये टीम जोशीमठ शहर की निरीक्षण कर लौट चुकी है. देहरादून पहुंचे टीम के सदस्यों से ईटीवी भारत ने बात की. जिसमें हमने जोशीमठ शहर में हो रहे भूधंसाव के कारणों को जानने के साथ ही निरीक्षण में क्या कुछ निकला इसके बारे में जानकारी ली.

उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ शहर में लगातार पिछले कई सालों से हो रहे भूधंसाव (landslide in joshimath city) ने उत्तराखंड सरकार की चिंताएं (Joshimath landslide increased the government concern) बढ़ा दी है. हाल ही में चमोली जिला प्रशासन ने जोशीमठ शहर में लगातार बिगड़ते जा रहे हालातों को लेकर शासन को अवगत कराया. जिसके बाद शासन ने तत्काल प्रभाव से अलग-अलग शोध संस्थाओं के विशेषज्ञों की एक टीम (Team of scientists sent to Joshimath for inspection) जोशीमठ रवाना की.

वैज्ञानिकों ने बताई वजह.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर की अध्यक्षता में शोधकर्ताओं की एक कमेटी गठित की. शोधकर्ताओं के इस दल में अतिक्रमण विभाग, वाडिया इंस्टीट्यूट जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, आईआईटी रुड़की और भौगोलिक गतिविधियों से जुड़े शोध संस्थाओं के शोधकर्ताओं को इस कमेटी में शामिल किया गया. 16 अगस्त 2022 को शोधकर्ताओं के इस दल को तत्काल प्रभाव से जोशीमठ शहर के धरातलीय हालातों का निरीक्षण करने के लिए भेजा गया.

पढ़ें-तो क्या इतिहास बन जाएगा उत्तराखंड का जोशीमठ, अस्तित्व बचाने में जुटे वैज्ञानिक

16 अगस्त 2022 को जोशीमठ शहर के निरीक्षण पर गए शोधकर्ताओं का यह दल कई दिनों तक शोध करने के बाद वापस लौट आया है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शोधकर्ताओं के दल में शामिल उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला (Piyush Rautela executive director of Uttarakhand Disaster Management Authority) ने बताया कि अभी शोधकर्ताओं द्वारा अलग-अलग मानकों पर जोशीमठ शहर का धरातलीय निरीक्षण किया गया है.

प्रथम दृष्टया देखने को मिला है कि पिछले कुछ सालों में लगातार जोशीमठ शहर में भवन कुछ सेंटीमीटर नीचे की ओर धंस रहे हैं. निरीक्षण में पाया गया कि मकानों में दरारें आ चुकी हैं. यह स्थिति पूरे शहर में बनी हुई है. वहीं बात अगर जोशीमठ शहर में हो रहे भूधंसाव के कारणों की करें तो अभी शोधकर्ताओं का कहना है कि स्थलीय निरीक्षण के दौरान अलग-अलग स्तरों पर जांच की गई है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट शासन द्वारा गठित की गई कमेटी को जल्द सौंप दी जाएगी.

प्रथम दृष्टया जो देखने को मिल रहा है उसमें जोशीमठ शहर में जो सबसे पहला और प्रत्यक्ष कारण देखने को मिला है, वह शहर में ड्रेनेज सिस्टम का ना होना है. जिसकी वजह से वर्षाजल और सिवरेज की व्यवस्थित निकासी नहीं हो पा रही है. ये पानी धरती के भीतर रिसता जा रहा है. इसके अलावा शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जोशीमठ शहर में लगातार अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन हो रहे हैं, जो शहर के लिए एक बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं.

देहरादून: जोशीमठ शहर (landslide in joshimath city) में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर चमोली जिला प्रशासन की चिंता के बाद शासन ने एक टीम जोशीमठ शहर की जांच के लिए भेजी थी. इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया और आपदा प्रबंधन के अधिकारी थे. ये टीम जोशीमठ शहर की निरीक्षण कर लौट चुकी है. देहरादून पहुंचे टीम के सदस्यों से ईटीवी भारत ने बात की. जिसमें हमने जोशीमठ शहर में हो रहे भूधंसाव के कारणों को जानने के साथ ही निरीक्षण में क्या कुछ निकला इसके बारे में जानकारी ली.

उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ शहर में लगातार पिछले कई सालों से हो रहे भूधंसाव (landslide in joshimath city) ने उत्तराखंड सरकार की चिंताएं (Joshimath landslide increased the government concern) बढ़ा दी है. हाल ही में चमोली जिला प्रशासन ने जोशीमठ शहर में लगातार बिगड़ते जा रहे हालातों को लेकर शासन को अवगत कराया. जिसके बाद शासन ने तत्काल प्रभाव से अलग-अलग शोध संस्थाओं के विशेषज्ञों की एक टीम (Team of scientists sent to Joshimath for inspection) जोशीमठ रवाना की.

वैज्ञानिकों ने बताई वजह.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर की अध्यक्षता में शोधकर्ताओं की एक कमेटी गठित की. शोधकर्ताओं के इस दल में अतिक्रमण विभाग, वाडिया इंस्टीट्यूट जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, आईआईटी रुड़की और भौगोलिक गतिविधियों से जुड़े शोध संस्थाओं के शोधकर्ताओं को इस कमेटी में शामिल किया गया. 16 अगस्त 2022 को शोधकर्ताओं के इस दल को तत्काल प्रभाव से जोशीमठ शहर के धरातलीय हालातों का निरीक्षण करने के लिए भेजा गया.

पढ़ें-तो क्या इतिहास बन जाएगा उत्तराखंड का जोशीमठ, अस्तित्व बचाने में जुटे वैज्ञानिक

16 अगस्त 2022 को जोशीमठ शहर के निरीक्षण पर गए शोधकर्ताओं का यह दल कई दिनों तक शोध करने के बाद वापस लौट आया है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शोधकर्ताओं के दल में शामिल उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला (Piyush Rautela executive director of Uttarakhand Disaster Management Authority) ने बताया कि अभी शोधकर्ताओं द्वारा अलग-अलग मानकों पर जोशीमठ शहर का धरातलीय निरीक्षण किया गया है.

प्रथम दृष्टया देखने को मिला है कि पिछले कुछ सालों में लगातार जोशीमठ शहर में भवन कुछ सेंटीमीटर नीचे की ओर धंस रहे हैं. निरीक्षण में पाया गया कि मकानों में दरारें आ चुकी हैं. यह स्थिति पूरे शहर में बनी हुई है. वहीं बात अगर जोशीमठ शहर में हो रहे भूधंसाव के कारणों की करें तो अभी शोधकर्ताओं का कहना है कि स्थलीय निरीक्षण के दौरान अलग-अलग स्तरों पर जांच की गई है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट शासन द्वारा गठित की गई कमेटी को जल्द सौंप दी जाएगी.

प्रथम दृष्टया जो देखने को मिल रहा है उसमें जोशीमठ शहर में जो सबसे पहला और प्रत्यक्ष कारण देखने को मिला है, वह शहर में ड्रेनेज सिस्टम का ना होना है. जिसकी वजह से वर्षाजल और सिवरेज की व्यवस्थित निकासी नहीं हो पा रही है. ये पानी धरती के भीतर रिसता जा रहा है. इसके अलावा शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जोशीमठ शहर में लगातार अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन हो रहे हैं, जो शहर के लिए एक बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं.

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