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सतपाल महाराज ने सीमांत गांवों को इनर लाइन से हटाने की मांग, अमित शाह को लिखा पत्र

1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बने हालात के मद्देनजर भारत सरकार ने चमोली के इनर लाइन क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था. लंबे समय से इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की जा रही हैं.

सतपाल महाराज
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Published : Aug 11, 2019, 7:48 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि सीमांत गांवों को इनर लाइन (आंतरिक सुरक्षा रेखा) से हटाकर पर्यटन के लिए खोला जाए. पर्यटन मंत्री ने कहा कि मलारी, बम्पा और नीति घाटी में मौजूद आखिरी गांव को इनर लाइन से हटाया जाए, ताकि नीति घाटी के पास मौजूद टिंबरसैंण माहदेव जहां अमरनाथ की तरह स्वनिर्मित शिवलिंग बनता है, श्रद्धालु उसके दर्शन कर सकें. इसको लेकर पर्यटन मंत्री ने सतपाल महाराज ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र भी लिखा है.

इस मुद्दे पर सतपाल महाराज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बात की थी, जब वे मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव में हिस्सा लेने आई थी. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा था कि चीन सीमा से सटे हुए सीमांत गांवों में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए. उत्तराखंड में चीन सीमा पर बसे गांव खाली हो रहे है, वहां से लगातार पलायन हो रहा है.

amit shah
गृह मंत्री को लिखा पत्र

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इसकी को लेकर उन्होंने अब केंद्रीय गृह मंत्री को अमित शाह को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने सीमांत गांव मलारी, बम्पा और नीती घाटी के आखरी गांव को इनर लाइन से हटाने की मांग की है. पर्यटन मंत्री ने अपने पत्र में नीती घाटी में स्थित टिंबरसैंण माहदेव का जिक्र किया, जहां अमरनाथ की तरह स्वनिर्मित शिवलिंग का निर्माण होता है. टिंबरसैंण माहदेव को उत्तराखंड के धार्मिक और पर्यटन के मानचित्र पर लाया जा सकता है. ताकि वहां भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच और वहां रोजगार के साधन बढ़ सकें

पर्यटन मंत्री ने कहा कि यदि ये गांव इनर लाइन से हट जायेंगे तो यहां पर्यटन आसानी से आ सकेंगे. निश्चित तौर पर श्रद्धालू वहां का रुख करेंगे. इसके वहां रोजगार के अवसर खुलेगे और पयालन कम होगा. साथ ही देश की सीमाएं भी सुरक्षित होगी.

सतपाल महाराज ने अमित शाह को लिखा पत्र

पर्यटन मंत्री ने बताया कि हिमाचल में भी सांगला वैली को भी इनर लाइन से हटाया है. जिसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को धन्यवाद भी किया. उत्तराखंड के हर्षिल, मुखवा और बगोली यह तीनों गांव इनर लाइन से मुक्त कर दिए गए हैं. जिसके बाद आज यहां पर विदेशी पर्यटक भी आ रहे हैं.

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क्या है इनर लाइन

दूसरे देशों के सीमाओं के नजदीक स्थित वह क्षेत्र जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो इनर लाइन घोषित किया गया है. इस क्षेत्र में सिर्फ स्थानीय लोग ही प्रवेश कर सकते हैं. उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के अलावा चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में भी चीन सीमा से लगे इनर लाइन क्षेत्र हैं.

देहरादून: उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि सीमांत गांवों को इनर लाइन (आंतरिक सुरक्षा रेखा) से हटाकर पर्यटन के लिए खोला जाए. पर्यटन मंत्री ने कहा कि मलारी, बम्पा और नीति घाटी में मौजूद आखिरी गांव को इनर लाइन से हटाया जाए, ताकि नीति घाटी के पास मौजूद टिंबरसैंण माहदेव जहां अमरनाथ की तरह स्वनिर्मित शिवलिंग बनता है, श्रद्धालु उसके दर्शन कर सकें. इसको लेकर पर्यटन मंत्री ने सतपाल महाराज ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र भी लिखा है.

इस मुद्दे पर सतपाल महाराज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बात की थी, जब वे मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव में हिस्सा लेने आई थी. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा था कि चीन सीमा से सटे हुए सीमांत गांवों में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए. उत्तराखंड में चीन सीमा पर बसे गांव खाली हो रहे है, वहां से लगातार पलायन हो रहा है.

amit shah
गृह मंत्री को लिखा पत्र

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इसकी को लेकर उन्होंने अब केंद्रीय गृह मंत्री को अमित शाह को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने सीमांत गांव मलारी, बम्पा और नीती घाटी के आखरी गांव को इनर लाइन से हटाने की मांग की है. पर्यटन मंत्री ने अपने पत्र में नीती घाटी में स्थित टिंबरसैंण माहदेव का जिक्र किया, जहां अमरनाथ की तरह स्वनिर्मित शिवलिंग का निर्माण होता है. टिंबरसैंण माहदेव को उत्तराखंड के धार्मिक और पर्यटन के मानचित्र पर लाया जा सकता है. ताकि वहां भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच और वहां रोजगार के साधन बढ़ सकें

पर्यटन मंत्री ने कहा कि यदि ये गांव इनर लाइन से हट जायेंगे तो यहां पर्यटन आसानी से आ सकेंगे. निश्चित तौर पर श्रद्धालू वहां का रुख करेंगे. इसके वहां रोजगार के अवसर खुलेगे और पयालन कम होगा. साथ ही देश की सीमाएं भी सुरक्षित होगी.

सतपाल महाराज ने अमित शाह को लिखा पत्र

पर्यटन मंत्री ने बताया कि हिमाचल में भी सांगला वैली को भी इनर लाइन से हटाया है. जिसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को धन्यवाद भी किया. उत्तराखंड के हर्षिल, मुखवा और बगोली यह तीनों गांव इनर लाइन से मुक्त कर दिए गए हैं. जिसके बाद आज यहां पर विदेशी पर्यटक भी आ रहे हैं.

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क्या है इनर लाइन

दूसरे देशों के सीमाओं के नजदीक स्थित वह क्षेत्र जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो इनर लाइन घोषित किया गया है. इस क्षेत्र में सिर्फ स्थानीय लोग ही प्रवेश कर सकते हैं. उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के अलावा चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में भी चीन सीमा से लगे इनर लाइन क्षेत्र हैं.

Intro:summary- उत्तराखंड के सीमांत गांवो को इनर लाइन से मुक्त करने के लिए केन्द्रीय ग्रह मंन्त्री को सतपाल महाराज ने लिखा पत्र। Note- फीड FTP से (uk_deh_02_ demand_for_border_villages_vis_byte_7205800) नाम से भेजी गई है। एंकर- पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उत्तराखंड चीन सीमा से जुड़े सीमांत गांवों को इनर लाइन से हटाकर पर्यटन के लिए खोलने की मांग की है। सतपाल महाराज ने कहा कि मलारी, बम्पा और नीति घाटी में मौजूद आखिरी गांव को इनर लाइन से हटाया ताकि नीति घाटी के पास मौजूद टिम्मरसैण महादेव जहां की अमरनाथ की तरह स्वनिर्मित शिवलिंग बनता है उसे श्रद्धालुओ को खोलने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांग की गई है।


Body:वीओ- पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटा कर उसे पूरी तरह से भारत देश में सम्मिलित करने पर बधाई दी है। सतपाल महाराज ने कहा कि यह ऐतिहासिक काम मोदी-शाह के रहते ही मुमकिन हो पाया है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि जब उत्तराखंड में हिमालयन राज्यों का सम्मेलन हुआ था तो कॉनक्लेव में आई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह इच्छा जताई थी कि बॉर्डर एरिया पर मौजूद सीमांत गांवो में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि सीमाओं पर बसे हमारे गांव खाली होते जा रहे हैं जिनमें लगातार पलायन हो रहा है। ओर इसी को देखते हुए उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से उत्तराखंड के मलारी, बम्पा और नीति घाटियों के सीमांत गांव को इनर लाइन से हटाने की मांग की है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखते हुए मांग की है कि उत्तराखंड के सीमांत गांव को इनर लाइन से हटाया जाए ताकि वहां पर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। इसके साथ ही नीति घाटी के समीप मौजूद टिमम्बेश्वश महादेव का खासतौर से सतपाल महाराज ने जिक्र किया है जहां पर अमरनाथ की तरह स्वनिर्मित शिवलिंग का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि इनर लाइन से हटने के बाद निश्चित तौर पर श्रद्धालू वहां का रुख करेंगे। सतपाल महाराज ने कहा कि इन सभी सीमांत गांवों के इनर लाइन से हटने के बाद वहां पर लोगों की आवाजाही ज्यादा होगी, वहां पर पर्यटन बढ़ेगा, रोजगार बढ़ेगा, वहां से पलायन कम होगा जिससे हमारे देश की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हिमाचल के अंदर सांगला वैली को भी इनर लाइन से हटाते हुए पर्यटन के लिए खोला गया इसके अलावा सतपाल महाराज ने केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि हर्षिल वैली, मुखवा और बगोली यह तीनों गांव इनर लाइन से मुक्त कर दिए गए हैं जिसके बाद आज यहां पर विदेशी पर्यटक भी आ रहे हैं और यहां पर काफी रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से टिंबर से महादेव को उत्तराखंड के धार्मिक और पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए और अमरनाथ की तरह वहां पर भी यात्रा हो इसके लिए उत्तराखंड द्वारा भारत सरकार को पत्र लिखकर के मांग की गई है कि उस क्षेत्र को इनर लाइन से मुक्त किया जाए। बाइट- सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री उत्तराखंड


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