विकासनगर: उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा संचालित छात्रावास एवं सरस्वती शिशु विद्या मंदिर (Saraswati Shishu Vidya Mandir) माक्टी पोखरी अब नए स्वरूप में नजर आएगा. इसके लिए उत्तरांचल उत्थान परिषद के प्रांतीय स्तर के पदाधिकारियों एवं जौनसार बावर के वरिष्ठ नागरिकों ने माक्टी पोखरी स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर परिसर में बैठक का आयोजन कर इस विद्यालय को नए स्वरूप में संचालित करने का निर्णय लिया है.
उत्तरांचल उत्थान परिषद के अध्यक्ष जयमल सिंह नेगी ने बताया कि जौनसार बावर के सबसे पहले सरस्वती विद्या मंदिर माक्टी पोखरी को 32 वर्ष हो चुके हैं. अब यह विद्यालय जर्जर अवस्था में है. इस विद्यालय में 100 से अधिक छात्र पढ़ते हैं. छात्रावास में भी अनेक छात्र रहते हैं. विद्यालय परिसर में तकनीकी शिक्षा व्यवसायिक पाठ्यक्रम एवं छात्रावास को व्यवस्थित रूप से संचालित किया जाएगा. इसके लिए ठोस रणनीति बनाई गई है.
सूचना विभाग के उपनिदेशक केएस चौहान ने कहा कि सरस्वती विद्या मंदिरों का शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है. उन्होंने बताया कि माक्टी के इस विद्यालय को आसपास के खतों के कर्मचारी सहयोग कर आत्मनिर्भर बना कर एक आदर्श विद्यालय के रूप में स्थापित करेंगे. उत्तराखंड सरकार में आबकारी आयुक्त उदय सिंह राणा ने बताया कि उत्तराखंड प्रदेश के निर्माता स्वर्गीय डॉक्टर नित्यानंद स्वामी द्वारा माक्टी में जौनसार बाबर का पहला शिशु मंदिर स्थापित किया गया था. उनकी सोच ग्रामीण समाज को स्वालंबन के बल पर खड़ा करने की थी. उन्होंने इस क्षेत्र में शिक्षा व स्वास्थ्य की दृष्टि से इसको प्रारंभ किया था.
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पूर्व सूचना अधिकारी भारत चौहान ने कहा कि 80 के दशक में जब ईसाई मशीनरी द्वारा जौनसार बावर में धर्म परिवर्तन की चुनौती थी, समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ लोगों ने प्रकल्प खड़ा किया था. इसके प्रारंभ होने से क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचालन हुआ. इस विद्यालय के कई छात्रों ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है.