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चीफ जस्टिस ने शुरू किया 'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान, नशे से ग्रसित लोगों का होगा पुनर्वास - चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन नशे पर चिंता जताई

देहरादून के ओएनजीसी सभागार से 'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान की शुरू किया गया. जिसमें उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन समेत हाई कोर्ट के जज सुधांशु धूलिया, लोकपाल सिंह और प्राधिकरण के सदस्य शामिल रहे.

संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि
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Published : Sep 28, 2019, 5:21 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:12 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने के लिए 'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान की शुरुआत की गई है. अभियान का शुभारंभ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन ने किया. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य के 13 जिलों में नशे की पहचान करना, नशा उन्मूलन और नशा पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित करना है.

देहरादून में संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि अभियान का हुआ आगाज.

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुका है. युवाओं का एक बड़ा वर्ग नशीली पदार्थों का सेवन कर अपने जीवन को अंधकार में धकेल रहा है. स्कूल कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में कई तरह ड्रक्स, चरस, हेरोइन, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली गोलियां जैसी तमाम मादक पदार्थों का धड़ल्ले से कारोबार बढ़ रहा है.

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इसी देखते हुए देहरादून के ओएनजीसी सभागार से 'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान की शुरू किया गया. जिसमें उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन समेत हाई कोर्ट के जज सुधांशु धूलिया, लोकपाल सिंह और प्राधिकरण के सदस्य शामिल रहे.

इस दौरान समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, गृह विभाग और वित्त विभाग को इस नशा मुक्ति अभियान में अपना सहयोगी बनाया गया. जिसमें पुलिस विभाग भी शामिल रहा.

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उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा बताया कि प्रदेश में लगातार नशे का कारोबार बढ़ रहा है. जिसे देखते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन के नेतृत्व में इस अभियान की पहल की गई है.

प्राधिकरण के सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 5 साल के मासूम बच्चे से लेकर 15 साल के नाबालिग युवा भारी संख्या में नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं. इसके अलावा स्कूल, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले युवा वर्ग नशे से ग्रसित हैं. जो चिंता का विषय है.

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प्राधिकरण सदस्य डॉ. शर्मा के मुताबिक अभियान के पहले 20 कार्य दिवस के दौरान प्रयास रहेगा कि नशे से पीड़ित व्यक्ति जेल ना जाएं. बल्कि, नशे का सामान परोसने वाले असली गुनहगार सलाखों के पीछे हों. 13 जिलों की एंटी ड्रक्स टास्क फोर्स का पहला उद्देश्य नशे की सप्लाई के जड़ तक पहुंचकर इसे खत्म करना है.

वहीं, प्राधिकरण ने राज्य सरकार से सभी 13 जिलों में निःशुल्क नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने की मांग की. जिससे नशे से ग्रसित 70 फीसदी गरीब तबके के लोगों का सही इलाज देकर उनका पुनर्वास किया जा सके. पुनर्वास कार्यक्रम में नशे के कारण शिक्षा से वंचित और रोजगार से पिछड़ने वाले लोगों का पुनर्वास किया जाएगा. जिससे वो समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें.

देहरादूनः उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने के लिए 'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान की शुरुआत की गई है. अभियान का शुभारंभ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन ने किया. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य के 13 जिलों में नशे की पहचान करना, नशा उन्मूलन और नशा पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित करना है.

देहरादून में संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि अभियान का हुआ आगाज.

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुका है. युवाओं का एक बड़ा वर्ग नशीली पदार्थों का सेवन कर अपने जीवन को अंधकार में धकेल रहा है. स्कूल कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में कई तरह ड्रक्स, चरस, हेरोइन, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली गोलियां जैसी तमाम मादक पदार्थों का धड़ल्ले से कारोबार बढ़ रहा है.

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इसी देखते हुए देहरादून के ओएनजीसी सभागार से 'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान की शुरू किया गया. जिसमें उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन समेत हाई कोर्ट के जज सुधांशु धूलिया, लोकपाल सिंह और प्राधिकरण के सदस्य शामिल रहे.

इस दौरान समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, गृह विभाग और वित्त विभाग को इस नशा मुक्ति अभियान में अपना सहयोगी बनाया गया. जिसमें पुलिस विभाग भी शामिल रहा.

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उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा बताया कि प्रदेश में लगातार नशे का कारोबार बढ़ रहा है. जिसे देखते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन के नेतृत्व में इस अभियान की पहल की गई है.

प्राधिकरण के सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 5 साल के मासूम बच्चे से लेकर 15 साल के नाबालिग युवा भारी संख्या में नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं. इसके अलावा स्कूल, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले युवा वर्ग नशे से ग्रसित हैं. जो चिंता का विषय है.

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प्राधिकरण सदस्य डॉ. शर्मा के मुताबिक अभियान के पहले 20 कार्य दिवस के दौरान प्रयास रहेगा कि नशे से पीड़ित व्यक्ति जेल ना जाएं. बल्कि, नशे का सामान परोसने वाले असली गुनहगार सलाखों के पीछे हों. 13 जिलों की एंटी ड्रक्स टास्क फोर्स का पहला उद्देश्य नशे की सप्लाई के जड़ तक पहुंचकर इसे खत्म करना है.

वहीं, प्राधिकरण ने राज्य सरकार से सभी 13 जिलों में निःशुल्क नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने की मांग की. जिससे नशे से ग्रसित 70 फीसदी गरीब तबके के लोगों का सही इलाज देकर उनका पुनर्वास किया जा सके. पुनर्वास कार्यक्रम में नशे के कारण शिक्षा से वंचित और रोजगार से पिछड़ने वाले लोगों का पुनर्वास किया जाएगा. जिससे वो समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें.

Intro:summary- चीफ जस्टिस का अभियान "संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि ", अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य के 13 जिलों में नशा फिर तू की पहचान करना नशा उन्मूलन करना वह नशा पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित करना है।

चीफ जस्टिस के नेतृत्व में "संकल्प नशा मुक्ति" देवभूमि अभियान की शुरुआत

उत्तराखंड राज्य में लगातार बढ़ रहे मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुका है..युवाओं का आज एक बड़ा वर्ग नशीली पदार्थों का सेवन कर अपने जीवन को अंधकार की तरफ धकेल रहा है। स्कूल कॉलेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों सहित ऐसे कई स्थानों तरह तरह ड्रक्स, कुकिंग चरस हेरोइन अफीम ब्राउन शुगर सहित नशीली गोलियां व्हाइटनर जैसी तमाम मादक पदार्थों का धड़ल्ले से कारोबार बड़े पैमाने पर राज्य में पांव पसारता जा रहा है.. उत्तराखंड में आए दिन आ रहे मादक पदार्थों के आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि नशा वर्तमान में एक अभिशाप के रूप बनता जा रहा है। इसी नशे के खिलाफ अब उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगानाथन सहित हाईकोर्ट के जज सुधांशु धूलिया, लोकपाल सिंह व प्राधिकरण के सदस्यों द्वारा उत्तराखंड राज्य को नशा मुक्त करने की दृष्टि में "संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि" अभियान की शुरुआत की गई है।

देहरादून के ओएनजीसी सभागार से शुरू किए गए "संकल्प मुक्ति देवभूमि" अभियान में उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष चीफ जस्टिस के नेतृत्व में राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग,महिला एवं बाल कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग,पंचायती राज विभाग,गृह विभाग व वित्त विभाग को इस नशा मुक्ति अभियान में अपना सहयोगी बनाया गया है।


Body:उत्तराखंड राज्य में "संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि " अभियान को संचालन करने वाले उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा जानकारी देते हुए बताया कि, प्रदेश में लगातार जड़े जमा रहे नशे के खिलाफ अपनी गहरी चिंता जताते हुए हाई कोर्ट चीफ जस्टिस रमेश रंगानाथन के नेतृत्व में इस अभियान की पहल की है... अभी तक प्राधिकरण द्वारा कराए गए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 5 साल के मासूम बच्चे से लेकर 15 साल के नाबालिग युवा भारी संख्या में नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं....इसके अलावा स्कूल कॉलेजों शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाला युवा वर्ग नशे से ग्रसित है जो अपने आप में चिंता का विषय हैं.
प्राधिकरण सदस्य डॉ शर्मा के मुताबिक अभियान के पहले 20 कार्य दिवस के दौरान इस बात का प्रयास रहेगा कि नशे के पीड़ित व्यक्ति जेल ना जाएं बल्कि नशे का सामान परोसने वाले असली गुनहगार सलाखों के पीछे हो..
प्राधिकरण के तत्वधान में स्थापित होने वाली 13 जिलों की एंटी ड्रक्स टास्क फोर्स का पहला उद्देश्य नशे की सप्लाई के जड़ तक जाकर डिमांड वाले हिस्से तक चोट पहुंचाना है... जिससे इस काले कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाया।

"संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि" अभियान के तहत प्राधिकरण ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी 13 जिलों में निशुल्क नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं ताकि नशे से ग्रस्त 70% गरीब तबके के लोगों का सही उपचार कर उनका पुनर्वास9 किया जाए... पुनर्वास कार्यक्रम में नशे के कारण शिक्षा से वंचित होने वाले और रोजगार से पिछड़ने वाले लोगों को इस तरह से पुनर्वास किया जाएगा जिससे वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।


बाइट-डॉ ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा सदस्य, उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल।


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 6:12 PM IST
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