देहरादूनः उत्तराखंड में सूचना का अधिकार अधिनियम कई राज्यों से बेहतर स्थिति में है. बावजूद प्रदेश में अब भी बड़ी संख्या में जागरुकता महसूस की जा रही है. वहीं, प्रदेश में सूचना के अधिकार के दुरुपयोग के मामले भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में विभागों द्वारा जानकारियां छुपाए जाने की भी बातें सामने आ रही हैं.
उत्तराखंड में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हर साल करीब एक लाख आवेदन विभिन्न लोक सूचना अधिकारियों के पास पहुंचते हैं. जिसमें 3500 प्रतिवेदन ही सूचना आयोग तक पहुंच पाते हैं. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो ढाई प्रतिशत लोग ही सूचना के अधिकार अधिनियम का उपयोग करते हैं.
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वहीं, न केवल विभिन्न राज्यों में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्तराखंड सूचना के अधिकार को लेकर बेहतर स्थिति में है. लेकिन यह अधिनियम को लेकर महज एक पहलू है. हकीकत में उत्तराखंड को सूचना के अधिकार पर बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है. खासकर जागरुकता अभियान के जरिए सूचना के अधिकार की उपयोगिता और महत्व को बताए जाने की जरूरत है.
वहीं, सूचना आयोग विभिन्न कार्यक्रमों में छात्रों समेत संस्थाओं से जुड़े लोगों को इसकी जानकारी देता रहता है. लेकिन बड़े स्तर पर काम नहीं हो पा रहा है. लगातार सूचना के अधिकार के दुरुपयोग के मामले बढ़ रहे हैं तो विभागों से सूचना छिपाने की भी बातें सामने आ रही हैं. राज्य में सूचना आयोग की दिक्कतें इस बात से भी है कि यहां कर्मचारियों और आयुक्तों की भी नियुक्तियां पूरी तरह से नहीं हो पा रही है. यही हालत केंद्रीय स्तर पर भी दिखाई दे रही है, जिसके कारण करीब 32000 सूचनाएं आयोग में लंबित है.