ETV Bharat / state

डायरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने उठाया बड़ा कदम, पहली बार बच्चों को दी जाएगी रोटावायरस वैक्सीन

डायरिया एक वैश्विक समस्या है, यह मृत्यु का आठवां प्रमुख कारण भी है. इसकी वजह से प्रति वर्ष 16 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. रोटावायरस वैक्सीन प्रदेश में पहली बार उपलब्ध होने जा रही है.

रोटावायरस वैक्सीन उपलब्ध
author img

By

Published : Aug 7, 2019, 7:45 AM IST

देहरादूनः बच्चों में डायरिया के बढ़ते हुए रोग को रोकने के लिए आगामी 8 अगस्त को एनडीटी के अभियान के साथ रोटावायरस को इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल किया जाएगा. रोटावायरस वैक्सीन प्रदेश में पहली बार उपलब्ध होने जा रही है. इसके उपयोग से डायरिया नियंत्रण और कुपोषण में मदद मिलेगी.

एनएचएम डॉयरेक्टर डॉ. अंजलि नौटियाल ने बताया कि रोटावायरस वैक्सीन स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण कदम है. बता दें कि रोटावायरस वैक्सीन अभी तक रूटीन इम्यूनाइजेशन में शामिल नहीं थी. वैक्सीन बच्चों में डायरिया की वजह से होने वाली मौतों में कमी लाएगा. पांच साल से कम उम्र के शिशुओं की ज्यादा मौतें डायरिया से होती हैं. उनमें 20 से 30 प्रतिशत बच्चों की मौतें रोटावायरस के इन्फेक्शन की वजह से होती हैं. राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत रोटावायरस शिशुओं को अन्य टिकों के साथ 6-10 और 14 सप्ताह पर दिया जाएगा. इससे डायरिया से होने वाली मृत्यु में कमी आएगी.

रोटावायरस वैक्सीन उपलब्ध

डायरिया एक वैश्विक समस्या है, यह मृत्यु का आठवां प्रमुख कारण भी है. इसकी वजह से प्रति वर्ष 16 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि 5 साल से कम आयु के बच्चों में रोटावायरस डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण बनता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में 5 साल से कम आयु वाले बच्चों में रोटावायरस डायरिया से 2,15,000 बच्चों की मौत हो जाती है. भारत की बात की जाए तो यहां 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को मामूली से लेकर गंभीर दस्त के सभी तरह के मामलों में 40 प्रतिशत के लिए अकेला रोटावायरस जिम्मेदार है.

रोटावायरस क्या है-
-रोटावायरस बेहद संक्रामक और मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से फैलता है. जब बच्चा संक्रमित पानी या भोजन के संपर्क में आता है.
- रोटावायरस हाथों तथा सतह पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है.
- जो शिशु रोटा वायरस से संक्रमित होते हैं. उन्हें डायरिया का खतरा ज्यादा होता है, जिसके कारण शिशु को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है.
- रोटावायरस डायरिया के बचाव के लिए रोटावायरस वैक्सीन एकमात्र उपाय है. यह वैक्सीन शिशुओं की मृत्यु- दर को कम करने में उपयोगी साबित होती है.
- उत्तराखंड राज्य में यह वैक्सीन अनुमानित 183008 शिशुओं को दी जाएंगी.

देहरादूनः बच्चों में डायरिया के बढ़ते हुए रोग को रोकने के लिए आगामी 8 अगस्त को एनडीटी के अभियान के साथ रोटावायरस को इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल किया जाएगा. रोटावायरस वैक्सीन प्रदेश में पहली बार उपलब्ध होने जा रही है. इसके उपयोग से डायरिया नियंत्रण और कुपोषण में मदद मिलेगी.

एनएचएम डॉयरेक्टर डॉ. अंजलि नौटियाल ने बताया कि रोटावायरस वैक्सीन स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण कदम है. बता दें कि रोटावायरस वैक्सीन अभी तक रूटीन इम्यूनाइजेशन में शामिल नहीं थी. वैक्सीन बच्चों में डायरिया की वजह से होने वाली मौतों में कमी लाएगा. पांच साल से कम उम्र के शिशुओं की ज्यादा मौतें डायरिया से होती हैं. उनमें 20 से 30 प्रतिशत बच्चों की मौतें रोटावायरस के इन्फेक्शन की वजह से होती हैं. राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत रोटावायरस शिशुओं को अन्य टिकों के साथ 6-10 और 14 सप्ताह पर दिया जाएगा. इससे डायरिया से होने वाली मृत्यु में कमी आएगी.

रोटावायरस वैक्सीन उपलब्ध

डायरिया एक वैश्विक समस्या है, यह मृत्यु का आठवां प्रमुख कारण भी है. इसकी वजह से प्रति वर्ष 16 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि 5 साल से कम आयु के बच्चों में रोटावायरस डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण बनता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में 5 साल से कम आयु वाले बच्चों में रोटावायरस डायरिया से 2,15,000 बच्चों की मौत हो जाती है. भारत की बात की जाए तो यहां 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को मामूली से लेकर गंभीर दस्त के सभी तरह के मामलों में 40 प्रतिशत के लिए अकेला रोटावायरस जिम्मेदार है.

रोटावायरस क्या है-
-रोटावायरस बेहद संक्रामक और मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से फैलता है. जब बच्चा संक्रमित पानी या भोजन के संपर्क में आता है.
- रोटावायरस हाथों तथा सतह पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है.
- जो शिशु रोटा वायरस से संक्रमित होते हैं. उन्हें डायरिया का खतरा ज्यादा होता है, जिसके कारण शिशु को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है.
- रोटावायरस डायरिया के बचाव के लिए रोटावायरस वैक्सीन एकमात्र उपाय है. यह वैक्सीन शिशुओं की मृत्यु- दर को कम करने में उपयोगी साबित होती है.
- उत्तराखंड राज्य में यह वैक्सीन अनुमानित 183008 शिशुओं को दी जाएंगी.

Intro: शिशुओं में डायरिया के प्रकोप को रोकने के लिए आगामी 8 अगस्त को एनडीटी के अभियान के साथ ही रोटावायरस को इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल किया जा रहा है।इस बार रोटावायरस वैक्सीन प्रदेश में पहली बार उपलब्ध होने जा रही है इस वैक्सीन के उपयोग से डायरिया नियंत्रण और कुपोषण मे मदद मिलेगी और डायरिया की वजह से शिशुओं की होने वाली मौतों में कमी आएगी।
summary-प्रदेश मे डायरिया के प्रकोप को रोकने के लिए आगामी आठ अगस्त से रोटावायरस को इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल किया जा रहा है, रोटावायरस की डोज़ मिलने के बाद शिशुओं में डायरिया की वजह से होने वाली मौतों को कम किया जा सकेगा।


Body:इस संबंध में एनएचएम डायरेक्टर डॉ अंजलि नौटियाल ने मीडिया से वार्ता करते हुए बताया कि रोटावायरस स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल रोटावायरस अभी तक रूटीन इम्यूनाइजेशन शामिल नहीं था। एनडीटी के 8 अगस्त के अभियान के साथ ही रोटावायरस को इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन बच्चों में डायरिया की वजह से होने वाली मौतों को काफी कमी लायेगा। क्योंकि 5 साल से नीचे के शिशुओं की जितनी भी मौतें डायरिया से होती है उनमें से 20 से 30 प्रतिशत बच्चों की मौतें रोटावायरस के इन्फेक्शन की वजह से होती हैं। अब राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत रोटावायरस भी शिशु को दिया जाएगा, यह वैक्सीन शिशुओं को अन्य टिको के साथ 6-10 और 14 सप्ताह पर दी जाएगी। इससे डायरिया की वजह से होने वाली मृत्यु में कमी आएगी। एनएचएम निदेशिका डॉ अंजलि नौटियाल ने डायरिया से बचने के उपाय बताते हुए कहा कि सर्वप्रथम वैसे तो डायरिया होना ही नहीं चाहिए, डायरिया से बचने के लिए स्वच्छता के साथ ही घर का बने हुए ताजे भोजन का सेवन करें। ठेलियों में बिक रहे भोजन को खाने से परहेज करें क्योंकि ये हानिकारक होता है। खाना खाने से पूर्व हाथ अवश्य धोएं साथ ही भोजन को हमेशा ढककर रखें। यदि उसके बाद भी किसी शिशु को डायरिया हो जाए तो उस शिशु को ओआरएस का घोल और जिंक की गोली 14 दिन तक खिलाएं। इससे डायरिया नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी और शिशुओं के स्वास्थ्य में आशा जनक सुधार आएंगे।

बाईट-डॉ अंजलि नोटियाल, एनएचएम निदेशिका, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग।


Conclusion:दरअसल डायरिया एक वैश्विक समस्या है, यह मृत्यु का आठवां प्रमुख कारण भी है और इसकी वजह से हर वर्ष 16 लाख से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है जबकि 5 साल से कम आयु के बच्चों में रोटावायरस डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में 5 साल से कम आयु वाले बच्चों में रोटावायरस डायरिया से 2'15,000 बच्चों की मौत हो जाती है। यदि भारत की बात करी जाए तो यहां 5 साल से कम आयु वाले बच्चों को मामूली से लेकर गंभीर दस्त के सभी तरह के मामलों में 40 प्रतिशत के लिए अकेला रोटावायरस जिम्मेदार है। कुपोषण के शिकार बच्चों और स्वास्थ सुविधाओं से वंचित गरीब वर्ग मे दस्त का खतरा सबसे अधिक होता है। डायरिया, कुपोषण, प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने और बच्चों के बीमारी की चपेट में आने का दुष्चक्र रचता है।

रोटावायरस क्या है-

-रोटावायरस बेहद संक्रामक और मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से फैलता है जब बच्चा संक्रमित पानी या भोजन के संपर्क में आता है।

- रोटावायरस हाथों तथा सतह पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है।

- जो शिशु रोटा वायरस से संक्रमित होते हैं उस शिशु को गंभीर डायरिया का खतरा ज्यादा होता है जिसके कारण उस शिशु अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है।

- रोटावायरस डायरिया के बचाव के लिए रोटावायरस वैक्सीन एकमात्र उपाय है। यह वैक्सीन शिशुओं की मृत्यु- दर को कम करने में उपयोगी साबित होती है

- उत्तराखंड राज्य में यह वैक्सीन अनुमानित 183008 शिशुओं को दी जाएंगी।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.