देहरादूनः बच्चों में डायरिया के बढ़ते हुए रोग को रोकने के लिए आगामी 8 अगस्त को एनडीटी के अभियान के साथ रोटावायरस को इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल किया जाएगा. रोटावायरस वैक्सीन प्रदेश में पहली बार उपलब्ध होने जा रही है. इसके उपयोग से डायरिया नियंत्रण और कुपोषण में मदद मिलेगी.
एनएचएम डॉयरेक्टर डॉ. अंजलि नौटियाल ने बताया कि रोटावायरस वैक्सीन स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण कदम है. बता दें कि रोटावायरस वैक्सीन अभी तक रूटीन इम्यूनाइजेशन में शामिल नहीं थी. वैक्सीन बच्चों में डायरिया की वजह से होने वाली मौतों में कमी लाएगा. पांच साल से कम उम्र के शिशुओं की ज्यादा मौतें डायरिया से होती हैं. उनमें 20 से 30 प्रतिशत बच्चों की मौतें रोटावायरस के इन्फेक्शन की वजह से होती हैं. राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत रोटावायरस शिशुओं को अन्य टिकों के साथ 6-10 और 14 सप्ताह पर दिया जाएगा. इससे डायरिया से होने वाली मृत्यु में कमी आएगी.
डायरिया एक वैश्विक समस्या है, यह मृत्यु का आठवां प्रमुख कारण भी है. इसकी वजह से प्रति वर्ष 16 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि 5 साल से कम आयु के बच्चों में रोटावायरस डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण बनता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में 5 साल से कम आयु वाले बच्चों में रोटावायरस डायरिया से 2,15,000 बच्चों की मौत हो जाती है. भारत की बात की जाए तो यहां 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को मामूली से लेकर गंभीर दस्त के सभी तरह के मामलों में 40 प्रतिशत के लिए अकेला रोटावायरस जिम्मेदार है.
रोटावायरस क्या है-
-रोटावायरस बेहद संक्रामक और मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से फैलता है. जब बच्चा संक्रमित पानी या भोजन के संपर्क में आता है.
- रोटावायरस हाथों तथा सतह पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है.
- जो शिशु रोटा वायरस से संक्रमित होते हैं. उन्हें डायरिया का खतरा ज्यादा होता है, जिसके कारण शिशु को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है.
- रोटावायरस डायरिया के बचाव के लिए रोटावायरस वैक्सीन एकमात्र उपाय है. यह वैक्सीन शिशुओं की मृत्यु- दर को कम करने में उपयोगी साबित होती है.
- उत्तराखंड राज्य में यह वैक्सीन अनुमानित 183008 शिशुओं को दी जाएंगी.