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वेतन भुगतान मामले पर चढ़ा रोडवेज कर्मचारियों का पारा, चुनाव बहिष्कार की दी चेतावनी

वेतन भुगतान लंबित होने के कारण रोडवेज कर्मचारियों ने चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.

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वेतन भुगतान मामले पर चढ़ा रोडवेज कर्मचारियों का पारा
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Published : Feb 2, 2022, 4:55 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम में कार्यरत कर्मचारियों का 2 माह (दिसंबर-जनवरी) वेतन भुगतान लंबित होने का मामला गर्माता जा रहा है. परिवहन कर्मचारी यूनियन संयुक्त परिषद ने राज्य सरकार और परिवहन निगम मुख्यालय को साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों का दिसंबर और जनवरी का लंबित वेतन भुगतान नहीं किया गया तो रोडवेज कर्मचारी न सिर्फ चुनाव का बहिष्कार करेंगे, बल्कि चुनावी ड्यूटी में लगने वाली परिवहन निगम की बसों को भी संचालित नहीं करेंगे.

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस मामले में परिवहन निगम मुख्यालय को ज्ञापन पत्र प्रेषित किया है. जिसमें कहा गया है कि पिछले 2 माह से निगम में कार्यरत नियमित, संविदा और विशेष श्रेणी चालक परिचालक सहित अन्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय है. ऐसे में चुनावी ड्यूटी में जाने से पहले उन्हें लंबित वेतन भुगतान किया जाए.

पढ़ें- हरीश रावत ने बेटी के चुनाव कार्यालय का किया उद्घाटन, भावुक हुए दोनों

उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद शाखा अध्यक्ष संजय डोभाल के मुताबिक बीते दिसंबर और जनवरी माह के वेतन भुगतान के लिए लगातार परिवहन मुख्यालय से अनुरोध किया गया है, लेकिन मात्र मौखिक तौर पर आश्वासन ही दिया जा रहा है. ऐसे में वेतन न मिलने से कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय होने से नाराजगी बढ़ती जा रही है. वर्तमान समय में उत्तराखंड परिवहन निगम में स्थाई कर्मियों के अलावा संविदा और विशेष श्रेणी के तहत लगभग 3500 से 4000 कर्मचारी कार्यरत हैं. ऐसे में हर बार की तरह समय से कर्मचारियों का वेतन भुगतान ना होना दुर्भाग्यपूर्ण विषय है.

पढ़ें- प्रियंका गांधी ने लॉन्च किया उत्तराखंडी स्वाभिमान प्रतिज्ञा पत्र, महिलाओं को 40% सरकारी नौकरी, पुलिस भर्ती, फ्री बस सर्विस का वादा

चुनावी ड्यूटी में लगभग 500 बसें और 1000 कर्मी रहेंगे: रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के मुताबिक हर बार की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में भी परिवहन निगम की लगभग 400 से 500 बसें राज्य भर में चुनावी ड्यूटी के लिए लगाई जा रही हैं. परिवहन निगम की बसों में निर्वाचन और सुरक्षाकर्मियों को पहाड़ी और मैदानी पोलिंग बूथों पर लाने और ले जाने का कार्य होता है. वहीं इन बसों को संचालित करने के लिए 1000 से अधिक कर्मचारियों को भी चुनावी ड्यूटी में लगाया गया है. ऐसे में अगर परिवहन निगम चुनाव से पहले पिछले 2 माह का लंबित वेतन भुगतान नहीं करता तो चुनाव बहिष्कार कर निर्वाचन ड्यूटी में लगने वाली बसों का भी संचालन ठप किया जा सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम में कार्यरत कर्मचारियों का 2 माह (दिसंबर-जनवरी) वेतन भुगतान लंबित होने का मामला गर्माता जा रहा है. परिवहन कर्मचारी यूनियन संयुक्त परिषद ने राज्य सरकार और परिवहन निगम मुख्यालय को साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों का दिसंबर और जनवरी का लंबित वेतन भुगतान नहीं किया गया तो रोडवेज कर्मचारी न सिर्फ चुनाव का बहिष्कार करेंगे, बल्कि चुनावी ड्यूटी में लगने वाली परिवहन निगम की बसों को भी संचालित नहीं करेंगे.

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस मामले में परिवहन निगम मुख्यालय को ज्ञापन पत्र प्रेषित किया है. जिसमें कहा गया है कि पिछले 2 माह से निगम में कार्यरत नियमित, संविदा और विशेष श्रेणी चालक परिचालक सहित अन्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय है. ऐसे में चुनावी ड्यूटी में जाने से पहले उन्हें लंबित वेतन भुगतान किया जाए.

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उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद शाखा अध्यक्ष संजय डोभाल के मुताबिक बीते दिसंबर और जनवरी माह के वेतन भुगतान के लिए लगातार परिवहन मुख्यालय से अनुरोध किया गया है, लेकिन मात्र मौखिक तौर पर आश्वासन ही दिया जा रहा है. ऐसे में वेतन न मिलने से कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय होने से नाराजगी बढ़ती जा रही है. वर्तमान समय में उत्तराखंड परिवहन निगम में स्थाई कर्मियों के अलावा संविदा और विशेष श्रेणी के तहत लगभग 3500 से 4000 कर्मचारी कार्यरत हैं. ऐसे में हर बार की तरह समय से कर्मचारियों का वेतन भुगतान ना होना दुर्भाग्यपूर्ण विषय है.

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चुनावी ड्यूटी में लगभग 500 बसें और 1000 कर्मी रहेंगे: रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के मुताबिक हर बार की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में भी परिवहन निगम की लगभग 400 से 500 बसें राज्य भर में चुनावी ड्यूटी के लिए लगाई जा रही हैं. परिवहन निगम की बसों में निर्वाचन और सुरक्षाकर्मियों को पहाड़ी और मैदानी पोलिंग बूथों पर लाने और ले जाने का कार्य होता है. वहीं इन बसों को संचालित करने के लिए 1000 से अधिक कर्मचारियों को भी चुनावी ड्यूटी में लगाया गया है. ऐसे में अगर परिवहन निगम चुनाव से पहले पिछले 2 माह का लंबित वेतन भुगतान नहीं करता तो चुनाव बहिष्कार कर निर्वाचन ड्यूटी में लगने वाली बसों का भी संचालन ठप किया जा सकता है.

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