ऋषिकेश: नगर निगम के कांग्रेसी पार्षद आज नगर आयुक्त एवं नगर निगम के अधिशासी अभियंता का घेराव करने पहुंचे. पार्षदों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारियों ने 40 वॉर्ड में से केवल 2 वॉर्डों में कार्य करने के लिए बिना सहमति के लाखों के टेंडर निकाल दिए. बचे अन्य वॉर्डों के निर्माण कार्यों के लिए अधिकारी बजट का रोना रो रहे हैं, जबकि बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास हुआ है कि जिस वार्ड में सबसे कम कार्य हुए है, उनको प्राथमिकता में रखा जायेगा.
दरअसल, नगर निगम क्षेत्र के वॉर्ड नंबर 23 में लगभग 46 लाख और वॉर्ड नंबर 7 में लगभग 25 लाख के टेंडर निकाले गए हैं. जिसकी सूचना मिलने पर अन्य बचे वार्ड के कुछ पार्षद आग बबूला हो गए. कारण यह रहा कि जब शहर में टूटी सड़कों की मरम्मत के लिए हॉट मिक्स के काम होने का प्रस्ताव निगम के पास जाता है, तो बजट के अभाव की बात कही जाती है.
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विरोध करने पहुंचे पार्षदों का आरोप है कि मात्र दो वॉर्डों में करीब 75 लाख के टेंडर निकाले गए हैं. अन्य वार्डों के निर्माण के लिए बजट का रोना रोया जाता है जो कि सरासर अधिकारियों की ओर से यह जा रहे भेदभाव को दर्शाता है. विरोध करने पहुंचे पार्षदों ने नगर आयुक्त के न मिलने पर अधिशासी अभियंता वीके जोशी का घेराव किया. वे अधिकारी को कार्यालय से उठाकर कार्यालय से बाहर ले आए.
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विरोध करने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष पार्षद मनीष शर्मा ने बताया कि नगर निगम के अधिकारी बेलगाम हो कर काम कर रहे हैं. जनता जिन कामों के लिए तरस रही है, उन कामों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही. पार्षद देवेंद्र प्रजापति ने बताया कि नगर निगम अधिकारी मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं.
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इन पार्षद के वॉर्ड में होना है कार्य: वहीं, इस मामले में पार्षद विकास तेवतिया ने बताया कि 2019 में नमामि गंगे परियोजना के तहत उनके वॉर्ड में सीवर लाइन डालने का कार्य किया गया था. जिसकी भरपाई करते हुए विभाग के द्वारा नगर निगम को बाकायदा पैसा दिया था. जिससे सड़कों और रंभा नदी के किनारे का कार्य किया जाना था, लेकिन निगम ने वह पैसा अन्य विकास कार्यों में लगा दिया. अब निगम के पास बजट आया है तो उन्ही पैसों से यहां के कार्य को करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. जिसका टेंडर निकला गया है.
नगर निगम के अधिशासी अभियंता वीके जोशी ने बताया कि वार्ड नंबर 23 और वार्ड नंबर 7 में नमामि गंगे के द्वारा काम किया गया था. जिसकी वजह से वह काफी क्षति पहुंची थी. जिस क्षति को पूर्ण करने के लिए संबंधित विभाग के द्वारा नगर निगम के बोर्ड फंड में पैसा जमा कराया गया था. उस पैसे को नगर निगम ने अन्य विकास कार्य में लगा दिया. अब एक बार फिर नगर निगम के पास भी बजट आया है.