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योगा कैपिटल ऋषिकेश, अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में पहचान रखती है तीर्थनगरी

ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है, जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई. यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित है.

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Published : Jun 20, 2021, 10:21 PM IST

योग नगरी ऋषिकेश
योग नगरी ऋषिकेश

ऋषिकेश: 21 जून को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है. वहीं, योग की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कई आयोजन किए जाते हैं, लेकिन आज हम आपको उस संत के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने ऋषिकेश को योग की राजधानी के रूप में एक नई पहचान दिलाई थी.

महर्षि महेश योगी के लाखों अनुयायी थे

हम बात कर रहे हैं महर्षि महेश योगी की, जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के अनुयायी थे. महर्षि महेश योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था.

गंगा किनारे योग साधना करते विदेशी सैलानी
गंगा किनारे योग साधना करते विदेशी सैलानी

कई मशहूर हस्ती महर्षि योगी से जुड़े

उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी. 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे.

महर्षि महेश योगी ने दिलाई योग को पहचान
महर्षि महेश योगी ने दिलाई योग को पहचान

राजाजी नेशनल पार्क में चौरासी कुटिया

ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है, जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई. यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित है, जहां अब जंगली जानवर रहते हैं. इस 84 कुटी में ब्रिटेन का मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य भी योग सिखने आए थे, जो करीब तीन महीने तक यहीं रुके थे. अब हर साल बड़ी तादाद में विदेशी टूरिस्ट इसे देखने आते हैं. यहां आने वाले विदेशी पर्यटक इस आश्रम को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जानते हैं.

ऋषिकेश बना विदेशियों का योग डेस्टिनेशन
ऋषिकेश बना विदेशियों का योग डेस्टिनेशन

बीटल्स आश्रम क्यों पड़ा नाम ?

महर्षि महेश योगी बीटल्स आश्रम (84 कुटिया) आज भले ही खंडहर में तब्दील हो चुका हो, लेकिन आज भी ये खंडहर और वीरान जगह हजारों विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस जगह को बीटल्स आश्रम क्यों कहा जाता है, इसके पीछे की एक वजह है. महर्षि महेश योगी ने 1962 में 84 कुटिया, एक भव्य आश्रम और एक ध्यान करने के लिए मेडिटेशन हॉल बनवाया था. ये जमीन उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें 20 साल के लिए लीज पर दी थी. महर्षि से ध्यान सीखने बीटल्स बंधु भी आए थे.

राजाजी नेशनल पार्क में 84 कुटिया
राजाजी नेशनल पार्क में 84 कुटिया

ये भी पढ़ें: International Yoga Day 2021: योग दिवस मनाने की ये है खास वजह, हर साल होती है एक अलग थीम

1968 में अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर

गंगा किनारे स्थित चौरासी कुटी और आश्रम के बारे में कहा जाता है कि महर्षि ने यहां 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित कराया था. जिसमें दुनिया भर के तत्कालीन 60 मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था. इसके बाद ही विदेशी पर्यटकों के कदम ऋषिकेश की ओर बढ़े थे और पर्यटन को एक नई दिशा मिली.

योग की राजधानी ऋषिकेश
योग की राजधानी ऋषिकेश

कभी यहां हॉलीवुड स्टार आते थे

84 कुटिया में कभी काफी चहल-पहल हुआ करती थी. यहां कभी पूरा एक नगर बसा था. महर्षि से ध्यान और योग की शिक्षा लेने कई हॉलीवुड हस्तियां यहां आया करती थी. साथ ही बीटल्स बैंड के रिंगो स्टार, जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन भी योग और ध्यान लगाने आया करते थे. बीटल्स ने यहीं रहकर 48 गाने भी तैयार किया थे, जो दुनिया भर में फेमस हुए थे.

खंडहर में तब्दील हुई 84 कुटिया
खंडहर में तब्दील हुई 84 कुटिया

84 कुटिया खंडहर में तब्दील

1981 में इस आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया. जिससे इस बसी बसाई ध्यान योग नगरी पर संकट के बादल छाने लगे. सरकार ने इसे राजाजी नेशनल पार्क में शामिल करते हुए यहां किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी थी. महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए थे. उसके बाद वों कभी इस आश्रम में वापस नहीं आये. धीरे-धीरे आश्रम में रहने वाले कर्मचारियों को भी यहां से जाना पड़ा. उसके बाद ये साढ़े सात एकड़ में फैली 84 कुटिया खंडहर में तब्दील होने लगी.

योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी

राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने 84 कुटिया का दीदार करने के लिए बीटल्स के फैन और महर्षि के अनुयायी आज भी इस आश्रम को देखने के लिए पंहुचते हैं. 84 कुटिया में प्रवेश कर ध्यान योग नगरी से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जहां कभी महर्षि ने बीटल्स को ध्यान योग का अभ्यास कराया था. आज महर्षि महेश योगी के कारण ही विश्व पटल पर भारत योग के रूप में जाना जाता है. भारत को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में जाना जाता है.

ऋषिकेश: 21 जून को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है. वहीं, योग की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कई आयोजन किए जाते हैं, लेकिन आज हम आपको उस संत के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने ऋषिकेश को योग की राजधानी के रूप में एक नई पहचान दिलाई थी.

महर्षि महेश योगी के लाखों अनुयायी थे

हम बात कर रहे हैं महर्षि महेश योगी की, जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के अनुयायी थे. महर्षि महेश योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था.

गंगा किनारे योग साधना करते विदेशी सैलानी
गंगा किनारे योग साधना करते विदेशी सैलानी

कई मशहूर हस्ती महर्षि योगी से जुड़े

उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी. 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे.

महर्षि महेश योगी ने दिलाई योग को पहचान
महर्षि महेश योगी ने दिलाई योग को पहचान

राजाजी नेशनल पार्क में चौरासी कुटिया

ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी की बसाई चौरासी कुटी वो जगह है, जिसने ऋषिकेश को मेडिटेशन और योग सेंटर के रूप में दुनियाभर में पहचान दिलाई. यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित है, जहां अब जंगली जानवर रहते हैं. इस 84 कुटी में ब्रिटेन का मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य भी योग सिखने आए थे, जो करीब तीन महीने तक यहीं रुके थे. अब हर साल बड़ी तादाद में विदेशी टूरिस्ट इसे देखने आते हैं. यहां आने वाले विदेशी पर्यटक इस आश्रम को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जानते हैं.

ऋषिकेश बना विदेशियों का योग डेस्टिनेशन
ऋषिकेश बना विदेशियों का योग डेस्टिनेशन

बीटल्स आश्रम क्यों पड़ा नाम ?

महर्षि महेश योगी बीटल्स आश्रम (84 कुटिया) आज भले ही खंडहर में तब्दील हो चुका हो, लेकिन आज भी ये खंडहर और वीरान जगह हजारों विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस जगह को बीटल्स आश्रम क्यों कहा जाता है, इसके पीछे की एक वजह है. महर्षि महेश योगी ने 1962 में 84 कुटिया, एक भव्य आश्रम और एक ध्यान करने के लिए मेडिटेशन हॉल बनवाया था. ये जमीन उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें 20 साल के लिए लीज पर दी थी. महर्षि से ध्यान सीखने बीटल्स बंधु भी आए थे.

राजाजी नेशनल पार्क में 84 कुटिया
राजाजी नेशनल पार्क में 84 कुटिया

ये भी पढ़ें: International Yoga Day 2021: योग दिवस मनाने की ये है खास वजह, हर साल होती है एक अलग थीम

1968 में अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर

गंगा किनारे स्थित चौरासी कुटी और आश्रम के बारे में कहा जाता है कि महर्षि ने यहां 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित कराया था. जिसमें दुनिया भर के तत्कालीन 60 मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था. इसके बाद ही विदेशी पर्यटकों के कदम ऋषिकेश की ओर बढ़े थे और पर्यटन को एक नई दिशा मिली.

योग की राजधानी ऋषिकेश
योग की राजधानी ऋषिकेश

कभी यहां हॉलीवुड स्टार आते थे

84 कुटिया में कभी काफी चहल-पहल हुआ करती थी. यहां कभी पूरा एक नगर बसा था. महर्षि से ध्यान और योग की शिक्षा लेने कई हॉलीवुड हस्तियां यहां आया करती थी. साथ ही बीटल्स बैंड के रिंगो स्टार, जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन भी योग और ध्यान लगाने आया करते थे. बीटल्स ने यहीं रहकर 48 गाने भी तैयार किया थे, जो दुनिया भर में फेमस हुए थे.

खंडहर में तब्दील हुई 84 कुटिया
खंडहर में तब्दील हुई 84 कुटिया

84 कुटिया खंडहर में तब्दील

1981 में इस आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया. जिससे इस बसी बसाई ध्यान योग नगरी पर संकट के बादल छाने लगे. सरकार ने इसे राजाजी नेशनल पार्क में शामिल करते हुए यहां किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी थी. महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए थे. उसके बाद वों कभी इस आश्रम में वापस नहीं आये. धीरे-धीरे आश्रम में रहने वाले कर्मचारियों को भी यहां से जाना पड़ा. उसके बाद ये साढ़े सात एकड़ में फैली 84 कुटिया खंडहर में तब्दील होने लगी.

योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी

राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने 84 कुटिया का दीदार करने के लिए बीटल्स के फैन और महर्षि के अनुयायी आज भी इस आश्रम को देखने के लिए पंहुचते हैं. 84 कुटिया में प्रवेश कर ध्यान योग नगरी से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जहां कभी महर्षि ने बीटल्स को ध्यान योग का अभ्यास कराया था. आज महर्षि महेश योगी के कारण ही विश्व पटल पर भारत योग के रूप में जाना जाता है. भारत को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में जाना जाता है.

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