देहरादूनः रूस-यूक्रेन के बीच जंग के दौरान अपने डॉगी को साथ लाने की जिद पर अड़े देहरादून निवासी ऋषभ कौशिक आखिरकार बड़ी मशक्कत के बाद अपने घर देहरादून पहुंच गए हैं. अपने डॉगी माले बु के साथ 200 घंटे का सफर कर ऋषभ शुक्रवार को देहरादून पहुंचे. भावुक माहौल में परिवार ने ऋषभ और उनके साथी डॉगी माले बु की आरती उतारकर और टिका लगाया स्वागत किया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उनका पूरा परिवार बेहद भावुक दिखा.
ऋषभ की दादी का कहना है कि बेटा घर आ गया है तो खुशी का ठिकाना नहीं है. 10 दिनों से कोई भी ठीक से सोया नहीं है. उनका एक ही पोता है और वो युद्धग्रस्त देश में फंसा था तो ऐसे में भला परिवार को कैसे नींद आती. इसलिए जैसे ही मालूम हुआ कि ऋषभ दिल्ली आ गया है, तब जाकर परिवार ने राहत की सांस ली. दादी कहती है कि ऋषभ को वो हजार बार कह रही थी कि अपने डॉगी को छोड़कर भारत वापस आ जाए, लेकिन ऋषभ अकेले आने के लिए तैयार नहीं था. घर में ऋषभ के साथ नया मेहमान आया है तो बेहद खुशी है.
ये भी पढ़ेंः वफादार यारी: भारत सरकार ने यूक्रेन से ऋषभ के डॉगी को लाने की दी NOC, ईटीवी भारत का जताया आभार
OTT से डॉक्यूमेंट्री का ऑफरः ऋषभ के चाचा संजय कहते हैं कि पूरे परिवार को फिक्र थी कि बेटा कैसे भारत पहुंचे. लेकिन आपने (ईटीवी भारत) ने इस बात को समझा और खबर दिखाई. उसके बाद बहुत मदद मिली. जिस माले बु की वजह से ऋषभ रुका था, उसकी एनओसी भी बनकर उसके पास आ गई. इसके बाद सब पॉजिटिव होता चला गया. संजय बताते हैं कि ऋषभ के पास OTT जैसे प्लेटफॉर्म से डॉक्यूमेंट्री के लिए ऑफर आए हैं.
अन्य जानवरों के लिए भी खुले विकल्पः वहीं, ETV भारत से बात करते हुए ऋषभ ने कहा कि घर आकर संतुष्टि मिली है और उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उन्होंने जो चाहा जैसा चाहा, वैसा हुआ और उनका माले बु उनके साथ भारत आ गया है. फिलहाल माले बु घबराया हुआ है और जिस तरह की प्रक्रिया से गुजरा है उसका असर उसके ऊपर पड़ा है. लिहाजा दो-तीन दिन अभी इसे यहां का माहौल समझने में लगेगा. ऋषभ कहते हैं कि उनके द्वारा आवाज उठाने के बाद यूक्रेन और आस-पास के देशों में जो जानवर फंसे हुए थे वो भी अपने-अपने देशों में आ गए हैं. खासकर भारत ने जिस तरह से एनओसी पर अपना फैसला लिया, उसके बाद जिस प्लेन से वह दिल्ली वापस आए हैं, उसमें ही लगभग 15 से अधिक कुत्ते-बिल्ली भारत वापस आए.
क्या है पूरी कहानी: ऋषभ बीते 3 सालों से यूक्रेन में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. ऋषभ का यह लास्ट ईयर है. ऋषभ के परिवार के और लोग भी यूक्रेन में बिजनेस करते हैं. जैसे ही परिवार के सदस्यों को पता लगा कि दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ सकता है वैसे ही 19 और 20 फरवरी को पूरा परिवार, जिनमें लगभग 7 सदस्य थे वह किसी तरह टिकट बुक करवाकर दुबई के लिए रवाना हो गये. परिजनों ने ऋषभ को भी दुबई चलने के लिए कहा. तब ऋषभ ने सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दिया क्योंकि ऋषभ जिस कुत्ते के साथ पिछले 1 साल से रह रहे हैं, वो फ्लाइट में नहीं जा सकता था. ऋषभ ने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह 2 से 3 दिन में भारत सरकार और तमाम विभागों से एनओसी लेने के बाद अपने कुत्ते के साथ ही घर वापसी करेंगे. तब परिवार को यह लगा कि अभी हालात इतने नहीं बिगड़े, लिहाजा उन्होंने ऋषभ की बात मान ली.
ये भी पढ़ेंः Ukraine Russia War : बेजुबान से प्यार की दिलचस्प कहानी, 'Dear' डॉगी के लिए ऋषभ ने नहीं छोड़ा यूक्रेन
उधर, यूक्रेन और रूस में विवाद बढ़ता चला गया और जैसे ही युद्ध की स्थिति बनी उसकी अगली सुबह ही ऋषभ के पिता मधुकांत ने बेटे से तुरंत बात करके न केवल वीजा का इंतजाम करवाया बल्कि वहां से निकलने की भी पूरी व्यवस्था करवा दी. तब भी ऋषभ ने कुत्ते के साथ ही वापस आने की बात कही. ऋषभ ने तमाम पेपरवर्क पूरे करने शुरू किए. यूक्रेन और भारत सरकार जो भी पत्राचार करना चाहती थी ऋषभ ने तत्काल प्रभाव से उन कागजों को बनवाकर ऑनलाइन जमा भी करवाया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला. जिसकी वजह से ऋषभ अपने हॉस्टल में वापस चले गए.
यूक्रेन में अपने हॉस्टल से ऋषभ ने तब ईटीवी भारत से बातचीत की थी और बताया था कि वो चाहते हैं कि वो घर वापस आएं तो अपने कुत्ते के साथ आएं. अगर वो अकेले लौट आये तो वहां कुत्ते का ख्याल रखने वाला कोई नहीं. ऋषभ लगातार पेपरवर्क में लगे रहे. वहीं, खबर प्रकाशित होने के बाद सबसे बड़ी और खास बात ये हुई कि भारत सरकार ने तमाम पालतु जानवरों के लिए एनओसी फ्री कर दी. इतना ही नहीं इंटरनेशनल एनजीओ जो जानवरों के लिए काम करती हैं, उन्होंने भी ऋषभ से संपर्क किया और तमाम जानकारी ली. जिसके बाद ऋषभ अपने कुत्ते संग यूक्रेन छोड़कर हंगरी पहुंचे और वहां से भारत लाए गए.