देहरादून: साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा तमाम मिथकों को तोड़ते हुए दोबारा सत्ता पर काबिज हुई. लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए. बावजूद इसके धामी को दोबारा राज्य की कमान सौंपी गई. भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत 9 कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली थी. उस दौरान तीन मंत्रिमंडल के पद खाली रह गए थे. तब से ही मंत्रिमंडल के ये तीन खाली पद अभी तक भरे नहीं जा सके हैं. हालांकि, इस मामले को लेकर कई मर्तबा कांग्रेस, सरकार से चुटकी लेती भी नजर आती रही है.
कर्नाटक चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार होने की संभावना: धामी 2.0 ने सरकार के कार्यकाल को एक साल से अधिक का समय बीत गया है. लेकिन अभी तक खाली पड़े मंत्रिमंडल के पदों को भरा नहीं जा सका है. वहीं चंदन रामदास के निधन के बाद मंत्रिमंडल का एक और पद खाली हो गया है. ऐसे में चर्चाएं हैं कि कर्नाटक चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होने की संभावना है. वही, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि 15 मई को कर्नाटक चुनाव संपन्न हो रहा है. ऐसे में इस चुनाव के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार पर चर्चा की जाएगी और फिर मंत्रिमंडल के खाली पदों को भरा जाएगा. साथ ही कहा कि हाल ही में दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुष्यंत गौतम से भी इस बात को लेकर चर्चा की थी.
बागेश्वर विधानसभा पर उपचुनाव के बाद विस्तार ही है चर्चाएं: जहां एक ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की जाएगी. वहीं चर्चाएं यह भी चल रही हैं कि बागेश्वर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए. यही नहीं, हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस बाबत बयान दिया था कि कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के निधन के बाद खाली हुई बागेश्वर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. बहरहाल, विधानसभा चुनाव में अभी 6 महीने का वक्त बचा है.
मंत्रिमंडल के लिए चेहरा खोजना संगठन के लिए है चुनौती: दरअसल, साल 2022 में जब पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो उस दौरान उनके अलावा मात्र आठ नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली थी. लिहाजा उस दौरान विपक्ष चुटकी लेते हुए यही कह रहा था कि बीजेपी के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जिसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सके. यही वजह है कि बड़ी खोजबीन के बाद 8 नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए 3 पदों को खाली छोड़ दिया गया. वर्तमान समय में तमाम विधायक मंत्रिमंडल की रेस में हैं और वर्तमान समय में मंत्रिमंडल की 4 सीटें खाली हैं. ऐसे में सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती यही है कि किन-किन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए.
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दुष्यंत गौतम से हुई है सीएम की चर्चा: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार होना ही है. लेकिन ये निर्णय नेतृत्व का रहता है. ऐसे में यह निर्णय सीएम धामी को लेना है. इस मामले को लेकर सीएम धामी बीते दिन प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम से मिले हैं और इस पर बातचीत हुई है. साथ ही भट्ट में कहा कि, 15 मई तक कर्नाटक के चुनाव हैं. लिहाजा 15 मई के बाद सभी विषयों पर चर्चा की जाएगी. साथ ही कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार, दायित्व बंटवारे और बागेश्वर उपचुनाव को लेकर चर्चा की जाएगी. लेकिन फिलहाल संगठन बागेश्वर में होने वाले उपचुनाव पर फोकस करने जा रहा है.
मंत्रिमंडल के विस्तार को कांग्रेस ने बताया जरूरी: धामी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर समय-समय पर सुगबुगाहट उठती रही है. इसी क्रम में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी मंत्रिमंडल विस्तार को राज्य के विकास के लिए जरूरी बता रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महरा ने कहा कि अगर मंत्रिमंडल के पद भरे रहेंगे तो जनता की सेवा बेहतर ढंग से हो पाएगी. लेकिन बीजेपी इन पदों को लॉलीपॉप की तरह इस्तेमाल करती है ताकि पार्टी में कोई विरोध ना हो पाए, और हर व्यक्ति को लगे कि उनका नंबर आ सकता है. लिहाजा अगर सरकार खाली पड़े सभी मंत्रिमंडल के पदों को भर देती है, तो उससे राज्य की सेवा बेहतर ढंग से हो पाएगी.
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बहरहाल, चंदन रामदास के निधन के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं जोरों शोरों पर हैं. हालांकि, चर्चाएं दो तरफा नजर आ रही हैं. क्योंकि पहली चर्चा यह है कि 15 मई को कर्नाटक चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है. वहीं, बागेश्वर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की भी चर्चाएं चल रही हैं. इन चर्चाओं में कितना दम है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.