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किशाऊ बांध परियोजना का फिर से होगा सर्वेक्षण, तैयार होगी संशोधित डीपीआर - किशाऊ परियोजना का दोबारा सर्वे

किशाऊ बांध परियोजना का सर्वेक्षण एक बार फिर किया जाएगा. सर्वेक्षण के बाद एक बार फिर से संशोधित डीपीआर तैयार की जाएगी. प्रस्ताव में करीब 4 करोड़ हजार रुपये की बढ़ने की संभावना है.

Kishau Dam Project DPR
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Published : Jan 15, 2021, 4:13 PM IST

Updated : Jan 15, 2021, 4:45 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच प्रस्तावित किशाऊ बांध परियोजना के लिए अब एक बार फिर सर्वेक्षण किया जाएगा. एशिया में मौजूद सबसे बड़े बांध, टिहरी बांध के बाद दूसरे सबसे बड़े किशाऊ बांध के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड फिर से सर्वेक्षण कर संशोधित डीपीआर तैयार करने जा रहा है. इस बांध के बनने के बाद बांध से लाभान्वित होने वाले उत्तराखंड समेत अन्य छह राज्यों के बीच एग्रीमेंट भी किया जाएगा. इसको लेकर हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक 24 नवंबर 2019 को हुई थी, जिसमें यह तय किया गया था कि इसका डीपीआर संशोधित किया जाएगी.

बता दें कि साल 2008 में किशाऊ बांध परियोजना को राज्य सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया था. क्योंकि, यह बांध उत्तराखंड के देहरादून स्थित टौंस नदी और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के बीच यह परियोजना तैयार की जानी है. इस योजना के लिए पहले ही डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ले गए थे, जिसको एक लंबा समय बीत गया है. लेकिन अभी तक यह परियोजना धरातल पर नहीं उतर पाई. ऐसे में अब संशोधित डीपीआर तैयार की जाएगी. जिसमें हाइड्रोलॉजिकल, डाटा सर्वेक्षण, अतिरिक्त सर्वेक्षण, विस्तृत जिओ तकनीकी इन्वेस्टिगेशन, ताजा सीसमिक पैरामीटर स्टडीज, प्रोजेक्ट के संशोधन खर्च के हिसाब से संशोधित स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा.

पहले किशाऊ बांध परियोजना की लागत करीब 11 हजार करोड़ रुपए थी, जो अब संशोधित प्रस्ताव के बाद बढ़कर ₹15 करोड़ तक होने की संभावना है. हालांकि, इस बांध के लिए उत्तराखंड समेत छह राज्य पैसे देंगे. जिसमें हरियाणा ₹478.85 करोड़, उत्तर प्रदेश ₹298.76 करोड़, राजस्थान ₹93.51 करोड़, दिल्ली ₹60.50 करोड़, उत्तराखंड ₹38.19 करोड़ और हिमाचल प्रदेश ₹31.58 करोड़ रुपए देगा. यही नहीं, इस बांध के बनने से इन सभी राज्यों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगी.

पढ़ें- सतपाल महाराज के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे DM और SP, मुख्य सचिव ने मांगा स्पष्टीकरण

वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के एमडी संदीप सिंघल ने बताया कि पिछले साल हुई हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में इस परियोजना के लिए संशोधित डीपीआर तैयार करना तय किया गया था. ऐसे में अब इस बांध के लिए फिर से सर्वेक्षण कराया जाएगा, जिसके बाद उत्तराखंड समेत छह राज्यों के बीच एग्रीमेंट होंगे. साथ ही बताया कि किशाऊ बांध बनने के बाद 660 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी. यह बांध 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा होगा.

देहरादून: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच प्रस्तावित किशाऊ बांध परियोजना के लिए अब एक बार फिर सर्वेक्षण किया जाएगा. एशिया में मौजूद सबसे बड़े बांध, टिहरी बांध के बाद दूसरे सबसे बड़े किशाऊ बांध के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड फिर से सर्वेक्षण कर संशोधित डीपीआर तैयार करने जा रहा है. इस बांध के बनने के बाद बांध से लाभान्वित होने वाले उत्तराखंड समेत अन्य छह राज्यों के बीच एग्रीमेंट भी किया जाएगा. इसको लेकर हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक 24 नवंबर 2019 को हुई थी, जिसमें यह तय किया गया था कि इसका डीपीआर संशोधित किया जाएगी.

बता दें कि साल 2008 में किशाऊ बांध परियोजना को राज्य सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया था. क्योंकि, यह बांध उत्तराखंड के देहरादून स्थित टौंस नदी और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के बीच यह परियोजना तैयार की जानी है. इस योजना के लिए पहले ही डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ले गए थे, जिसको एक लंबा समय बीत गया है. लेकिन अभी तक यह परियोजना धरातल पर नहीं उतर पाई. ऐसे में अब संशोधित डीपीआर तैयार की जाएगी. जिसमें हाइड्रोलॉजिकल, डाटा सर्वेक्षण, अतिरिक्त सर्वेक्षण, विस्तृत जिओ तकनीकी इन्वेस्टिगेशन, ताजा सीसमिक पैरामीटर स्टडीज, प्रोजेक्ट के संशोधन खर्च के हिसाब से संशोधित स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा.

पहले किशाऊ बांध परियोजना की लागत करीब 11 हजार करोड़ रुपए थी, जो अब संशोधित प्रस्ताव के बाद बढ़कर ₹15 करोड़ तक होने की संभावना है. हालांकि, इस बांध के लिए उत्तराखंड समेत छह राज्य पैसे देंगे. जिसमें हरियाणा ₹478.85 करोड़, उत्तर प्रदेश ₹298.76 करोड़, राजस्थान ₹93.51 करोड़, दिल्ली ₹60.50 करोड़, उत्तराखंड ₹38.19 करोड़ और हिमाचल प्रदेश ₹31.58 करोड़ रुपए देगा. यही नहीं, इस बांध के बनने से इन सभी राज्यों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगी.

पढ़ें- सतपाल महाराज के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे DM और SP, मुख्य सचिव ने मांगा स्पष्टीकरण

वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के एमडी संदीप सिंघल ने बताया कि पिछले साल हुई हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में इस परियोजना के लिए संशोधित डीपीआर तैयार करना तय किया गया था. ऐसे में अब इस बांध के लिए फिर से सर्वेक्षण कराया जाएगा, जिसके बाद उत्तराखंड समेत छह राज्यों के बीच एग्रीमेंट होंगे. साथ ही बताया कि किशाऊ बांध बनने के बाद 660 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी. यह बांध 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा होगा.

Last Updated : Jan 15, 2021, 4:45 PM IST
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