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विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में हटाये कर्मियों को फिर मिली नियुक्ति, बैकफुट पर अध्यक्ष और सरकार

उत्तराखंड में विधानसभा भर्ती मामले (uttarakhand assembly backdoor recruitment case) को लेकर वाह वाही लूटने वाली भाजपा सरकार और विधानसभा अध्यक्ष को तगड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट द्वारा बैकडोर भर्ती में हटाए गए कर्मियों को स्टे मिलने के बाद आप इन कर्मियों की विधानसभा में फिर से नियुक्ति होने लगी है.

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Published : Oct 19, 2022, 10:45 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भाई भतीजावाद के तहत विधानसभा में भर्तियों को लेकर जमकर बवाल भी हुआ और विधानसभा अध्यक्ष ने मामले में कड़ा एक्शन भी लिया. यही नहीं सरकार ने इस कार्रवाई के बाद वाहवाही भी लूटी, लेकिन इतना कुछ होने के बाद हाईकोर्ट में कमजोर कानूनी तैयारी के कारण इन भर्तियों में बिना किसी परीक्षा के नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों को राहत भी आसानी से मिल गई. ऐसे में इन कर्मियों ने विधानसभा में शपथ-पत्र देकर दोबारा नियुक्ति ले ली है.

बता दें कि उत्तराखंड ही नहीं देश की राजनीति में भी इस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी और राहुल गांधी से लेकर देश के कई बड़े चेहरे इस पर सोशल प्लेटफार्म पर अपनी बात कहते हुए भी दिखाई दिए. पूरे देश में इस मामले को लेकर भाजपा की खूब किरकिरी हुई. लेकिन इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने जो कार्रवाई की, उसको लेकर उनकी खूब तारीफ भी की गई.

पढ़ें- उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगाई रोक

खास बात यह है कि हाईकोर्ट में जाते ही 2016 में नियुक्ति पाने वाले कर्मियों ने राहत लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर स्टे ले लिया और इसके बाद अब इन कर्मचारियों को विधानसभा में शपथ पत्र के साथ नियुक्तियां दी जाने लगी है. खबर है कि 82 बैक डोर भर्ती में शामिल करने को दोबारा नियुक्ति दे दी गई है. उधर, 2016 में भर्ती कर्मियों के बाद 2021 में भर्ती कर्मी भी हाईकोर्ट से स्टे ले चुके हैं.

वहीं, कुल मिलाकर इस मामले में सरकार कानूनी तैयारी ना होने के कारण अब बैकफुट पर है. खास तौर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को हाईकोर्ट के इस फैसले से तगड़ा झटका लगा है. कानूनी जानकार मानते हैं कि इन कर्मियों को विधानसभा से हटाए जाने के दौरान ऐसी कई वैधानिक कमियां रहीं, जिसके कारण इन कर्मचारियों को आसानी से राहत मिलनी ही थी.

देहरादून: उत्तराखंड में भाई भतीजावाद के तहत विधानसभा में भर्तियों को लेकर जमकर बवाल भी हुआ और विधानसभा अध्यक्ष ने मामले में कड़ा एक्शन भी लिया. यही नहीं सरकार ने इस कार्रवाई के बाद वाहवाही भी लूटी, लेकिन इतना कुछ होने के बाद हाईकोर्ट में कमजोर कानूनी तैयारी के कारण इन भर्तियों में बिना किसी परीक्षा के नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों को राहत भी आसानी से मिल गई. ऐसे में इन कर्मियों ने विधानसभा में शपथ-पत्र देकर दोबारा नियुक्ति ले ली है.

बता दें कि उत्तराखंड ही नहीं देश की राजनीति में भी इस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी और राहुल गांधी से लेकर देश के कई बड़े चेहरे इस पर सोशल प्लेटफार्म पर अपनी बात कहते हुए भी दिखाई दिए. पूरे देश में इस मामले को लेकर भाजपा की खूब किरकिरी हुई. लेकिन इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने जो कार्रवाई की, उसको लेकर उनकी खूब तारीफ भी की गई.

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खास बात यह है कि हाईकोर्ट में जाते ही 2016 में नियुक्ति पाने वाले कर्मियों ने राहत लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर स्टे ले लिया और इसके बाद अब इन कर्मचारियों को विधानसभा में शपथ पत्र के साथ नियुक्तियां दी जाने लगी है. खबर है कि 82 बैक डोर भर्ती में शामिल करने को दोबारा नियुक्ति दे दी गई है. उधर, 2016 में भर्ती कर्मियों के बाद 2021 में भर्ती कर्मी भी हाईकोर्ट से स्टे ले चुके हैं.

वहीं, कुल मिलाकर इस मामले में सरकार कानूनी तैयारी ना होने के कारण अब बैकफुट पर है. खास तौर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को हाईकोर्ट के इस फैसले से तगड़ा झटका लगा है. कानूनी जानकार मानते हैं कि इन कर्मियों को विधानसभा से हटाए जाने के दौरान ऐसी कई वैधानिक कमियां रहीं, जिसके कारण इन कर्मचारियों को आसानी से राहत मिलनी ही थी.

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