देहरादून: उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों को लेकर स्थानांतरण नीति में दुर्गम सेवाओं से जुड़े कुछ नियमों को शासन की तरफ से स्पष्ट किया गया है. राज्य कर्मियों की मांग के बाद स्थानांतरण नीति में धारा 20 (क) और (ख) से जुड़ा आदेश जारी किया गया है. जिसका लाभ आने वाले समय में कर्मियों को मिलेगा.
प्रदेश में लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत दुर्गम क्षेत्रों में तैनात कर्मचारी को विशेष रियायत दी गई है. इसके तहत दुर्गम क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों की सेवाओं को अलग-अलग वर्गीकृत किया गया है. शासन की तरफ से आज इन्हीं सेवा शर्तों को स्पष्ट करते हुए एक आदेश जारी किया गया. दरअसल, विभिन्न कर्मचारियों संगठनों की तरफ से उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 की धारा 20 क और ख को स्पष्ट करने की मांग की जा रही थी, जिसके मद्देनजर अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल की तरफ से इस पर आदेश जारी किया गया है.
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अपर सचिव की तरफ से जारी आदेश के अनुसार राज्य में किसी कर्मचारी के 7000 फीट से अधिक पर स्थित दुर्गम स्थान पर तैनाती होने की स्थिति में उसकी सेवाओं को दुर्गम में दोगुने के बराबर माना जाएगा. यानी यदि किसी कर्मचारी ने 7000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित दुर्गम स्थान में एक साल तक काम किया है तो उसकी दुर्गम में 2 साल की सेवाएं मानी जायेगी. इसी तरह यदि कोई कर्मचारी 7000 फीट से काम की ऊंचाई वाले दुर्गम स्थान में तैनात है तो उसकी 1 साल की सेवा को एक साल 3 महीने के बराबर माना जाएगा. यानी उक्त कर्मचारी यदि ऐसे स्थान पर 8 साल तक सेवाएं देता है तो उसकी सेवाएं दुर्गम में 10 साल मानी जाएगी.इस नए आदेश के जारी होने के बाद लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 की धारा 20 क और ख को स्पष्ट कर दिया गया है.