देहरादून: चकराता नागथात में धूल फांकते 30 बेड के अस्पताल की पड़ताल करते हुए ईटीवी भारत के पास कुछ और चौंकाने वाली जानकारियां निकलकर सामने आई हैं. दरअसल इस तरह के अस्पताल बनाने को लेकर रेडक्रॉस ने वर्ष 2010 में ही हाथ खड़े कर दिए थे और सरकार से मदद मांगी थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने भी अब तक इस अस्पताल की सुध लेने की जहमत नहीं उठाई है. अफसोस की बात तो यह है कि प्रदेश में ऐसे कई और भी बड़े अस्पताल हैं, जहां इसी तरह के हालात हैं.
अस्पताल के लिए दान में दी थी जमीन
अपनी जमीन को लोगों ने यह सोचकर दान किया था कि उनके आने वाले भविष्य और बच्चों को इसका लाभ मिलेगा. उनकी दान की हुई जमीन पर अस्पताल बनेगा, लेकिन आज यह त्याग बेकार साबित हो रहा है. दरअसल चकराता के नागथात में रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा सालों पहले बने बनाए गए 30 बेड के अस्पताल की हालात ईटीवी भारत ने आप को दिखाए थे. सफेद हाथी बन चुके इस अस्पताल पर बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल ने भी अपना दुख जताया था. साथ ही हमने आपको बताया था कि किस तरह से यहां पर कोविड महामारी जैसे समय में भी ना तो कोई स्टाफ है और ना कोई संसाधन.
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विदेशी फंडिंग रुकने से अस्पताल हुआ बदहाल
वहीं, इस मामले में अब कुछ और तथ्य निकलकर सामने आए हैं. रेडक्रॉस सोसाइटी के उत्तराखंड में जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर मोहम्मद अंसारी ने बताया कि रेडक्रॉस सोसाइटी में वर्ष 2009 में विदेशी फंडिंग रुक जाने के बाद इस अस्पताल के संचालन का काम रुक गया था. उसके बाद ना तो इस अस्पताल में किसी नए डॉक्टर को नियुक्त किया गया और ना ही इस अस्पताल को सुचारू ढंग से चलाया गया. इसके बाद वर्ष 2010 में ही उत्तराखंड रेडक्रॉस द्वारा अलग-अलग माध्यमों से इस अस्पताल के संचालन का प्रयास किया गया.
रेडक्रॉस ने किए हाथ खड़े
रेडक्रॉस सोसाइटी ने उत्तराखंड सरकार से भी कई बार गुहार लगायी और स्वास्थ्य विभाग को भी कई बार लिखा कि इस अस्पताल का संचालन वह अपने स्तर पर करें, क्योंकि रेडक्रॉस सक्षम नहीं है. लेकिन आज तक सरकार के किसी नुमाइंदे ने इस अस्पताल की सुध नहीं ली. इतना ही नहीं रेडक्रॉस द्वारा प्रदेश में एक नहीं, बल्कि गढ़वाल और कुमाऊं में कुल मिलाकर चार बड़े अस्पतालों की स्थापना की गई थी. इनमें से टिहरी जिले के चंबा में, देहरादून के नागथात में, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में भी एक-एक अस्पताल की स्थापना की गई थी. इनके भी बिल्कुल यही हालात हैं.
सुबोध उनियाल ने कार्रवाई का दिया भरोसा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड में 20 साल जनरल सेक्रेटरी रहे और मौजूदा समय में आईएमए में सेंट्रल वर्किंग कमेटी के एग्जीक्यूटिव मेंबर डॉक्टर डीडी चौधरी ने बताया कि उन्हीं के सामने इस अस्पताल का उद्घाटन किया गया था. इस अस्पताल के लिए आसपास के कई ग्रामीणों ने अपनी करोड़ों की जमीन दान की थी. उन्होंने कहा कि यहां बेहद अच्छा अस्पताल बनाया गया था. लेकिन वक्त के साथ सिस्टम के नकारेपन से आज अस्पताल खंडहर बनता जा रहा है. वहीं इस पूरे मामले से बेखबर सरकार से भी हमने इस बारे में सवाल किया और सरकार के शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल के संज्ञान में यह मामला लाया. उन्होंने कहा कि वह जल्दी इस विषय पर संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई के निर्देश देंगे.