देहरादून: टिकट बंटवारे के बाद से कांग्रेस के नाराज नेता बड़ी मुश्किल बनते जा रहे हैं. पार्टी के पास इन नेताओं को मनाने के अलावा अब कोई विकल्प बचता नहीं दिखाई दे रहा है. वहीं उत्तराखंड कांग्रेस में करीब 7 सीटों पर निर्दलीयों ने पार्टी की नींद हराम कर दी है. स्थिति ये है कि पार्टी से टिकट नहीं मिलने के चलते इन विधानसभाओं पर पार्टी के प्रत्याशियों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब पार्टी के पास केवल 24 घंटे का समय है जब पार्टी इन बागियों से बातचीत के बाद राहत की सांस ले सकती है.
उत्तराखंड में कांग्रेस सभी 70 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है और अब पार्टी प्रत्याशी भी मैदान में दमखम के साथ चुनाव जीतने के लिए पुरजोर तैयारियों में जुट गए हैं. अधिकतर सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों का मुकाबला भाजपा के प्रत्याशियों से ही है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां इस लड़ाई से पहले ही कांग्रेस के प्रत्याशी परेशानी में दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, यह वह सीटें हैं जहां कांग्रेस के दावेदारों को टिकट नहीं मिलने के चलते उन्होंने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय रूप से ही चुनाव में ताल ठोक दी है.
पढ़ें-2 फरवरी को कांग्रेस का प्रतिज्ञा पत्र होगा जारी, प्रियंका गांधी करेंगी लॉन्च
यदि सीटवार बात करें तो ऋषिकेश सीट पर शूरवीर सिंह सजवान ने निर्दलीय तौर पर चुनाव में ताल ठोक कर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी की मुसीबत बढ़ा दी है. यमुनोत्री विधानसभा में संजय डोभाल ने भी पार्टी प्रत्याशी की मुसीबतें बढ़ाते हुए निर्दलीय ताल ठोक दी है. लालकुआं विधानसभा सीट पर तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है, लेकिन इस सीट पर संध्या डालाकोटी ने भी चुनाव मैदान में उतर कर पूर्व मुख्यमंत्री के लिए कुछ परेशानी जरूर खड़ी कर दी है. रामनगर विधानसभा में संजय नेगी ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
पढ़ें-सवालों से असहज हुए प्रह्लाद जोशी, नहीं गिनवा पाए BJP की एक भी उपलब्धि
इसी तरह बागेश्वर में बालकृष्ण घनसाली में भीम लाल आर्य और सहसपुर में अकील अहमद ने निर्दलीय ताल ठोकते हुए पार्टी के प्रत्याशियों को हैरत में डाल दिया है. हालांकि पार्टी के नेता कहते हैं कि पार्टी के पास अभी 24 घंटे का समय है और उन्हें उम्मीद है कि वह अधिकतर बागियों को मना लिया जाएगा.