देहरादून: मुख्य सचिव आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश की विदाई हो गई है. एनएचएआई निदेशक सुखबीर सिंह संधू के रिलीज होने के बाद अब वो उत्तराखंड के मुख्य सचिव का पद संभालेंगे. मुख्य सचिव ओमप्रकाश की विदाई के पीछे क्या कुछ कारण हैं, वह जानने भी जरूरी हैं.
दरअसल, मार्च में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के बदले जाने के बाद से ही मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बदलने की कवायद तेज हो चुकी थी. लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद आए तीरथ सिंह रावत मुख्य सचिव ओमप्रकाश को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ऊपर से लेकर नीचे तक लगातार ओम प्रकाश को हटाए जाने की बातें की जाती रहीं.
ओमप्रकाश का रिजर्व नेचर
मुख्य सचिव ओमप्रकाश को हटाए जाने के पीछे उनका रिजर्व नेचर, उनके कार्यकाल में हुए तमाम विवाद, सरकारी कामों में उनका ढीला रवैया भी अहम वजह माना जा रहा है. यही नहीं मुख्य सचिव रहते ओम प्रकाश पर दबाव कम करने के लिए सरकार ने मुख्य सलाहकार के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को भी अप्वॉइंट किया. यह मुख्य सचिव ओमप्रकाश के लिए सबसे बड़ा फेल्योर था.
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नए सीएम धामी की ओम प्रकाश से ट्यूनिंग ठीक नहीं
सियासी गलियारों में एक और किस्सा बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. बताया जा रहा है कि करीब एक सप्ताह पहले जब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री नहीं थे और वह एक सामान्य विधायक की हैसियत से मुख्य सचिव ओमप्रकाश से उनके विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित कुछ कार्यों से को लेकर मिलने आए थे, तो मुख्य सचिव से उनकी कुछ अनबन हो गई थी. उसके बाद पुष्कर सिंह धामी गुस्से में मुख्य सचिव कार्यालय से चले गए थे. समय का पहिया ऐसा घूमा कि एक सप्ताह बाद ही पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये.
ओम प्रकाश को हटाने का दूसरा कारण
तीरथ सिंह रावत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सुखबीर सिंह संधू को उत्तराखंड लाने के लिए फाइल चलाई थी. इसी बीच उनकी सरकार चली गई. लेकिन उनकी चलाई फाइल की टाइमिंग ऐसी रही कि धामी के शपथ ग्रहण करने के दूसरे दिन ही उनके NHAI के चेयरमैन के पद से रिलीविंग की खबर आ गई.
कौन हैं ओम प्रकाश?
वरिष्ठ आईएएस ओम प्रकाश का मूल रूप से बिहार के बांका जिले के बौंसी के रहने वाले हैं. साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हुआ था. साल 2020 में ओम प्रकाश को उत्पल कुमार सिंह के स्थान पर उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया. उस समय ओम प्रकाश तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अपर मुख्य सचिव भी थे. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे तब भी वह उनके साथ पांच साल कृषि सचिव रहे थे. मुख्यमंत्री के निकट होने का फायदा उन्हें मिला. इसके अलावा ओमप्रकाश को प्रदेश में वरिष्ठता के क्रम का भी फायदा मिला, जिसके कारण वो इस रेस में पहले ही आगे चल रहे थे.
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1962 को पटना में हुआ जन्म
14 मई 1962 को पटना में जन्मे ओम प्रकाश के पिता बिहार इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में इंजीनियर थे. इस दौरान उनके लगातार ट्रांसफर होते रहते थे, जिसके कारण ओमप्रकाश ने अपनी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई तकरीबन 7 अलग-अलग स्कूलों से हासिल की. पटना से मैट्रिक पास करने के बाद ओम प्रकाश ने साइंस कॉलेज पटना से बीएससी फिजिक्स ऑनर्स किया. जिसके बाद एमएससी थियोरेटिकल फिजिक्स के लिए वह दिल्ली विश्वविद्यालय आ गए. इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने एमफिल की पढ़ाई भी थियोरेटिकल फिजिक्स से पूरी की.
ओमप्रकाश ने कई नौकरियां ठुकराई
एमफिल के दौरान ओम प्रकाश को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी सीएसआईआर में फेलोशिप भी प्राप्त हुई. इसके बाद वर्ष 1983 में ओमप्रकाश का सलेक्शन जियो फिजिसिस्ट ओएनजीसी देहरादून में हुआ. मगर उन्होंने यहां ज्वाइन नहीं किया. इसके बाद 1985 में ओमप्रकाश का सलेक्शन सिविल सर्विसेस में बतौर आईपीएस हुआ, लेकिन ओमप्रकाश ने ये भी ठुकरा दिया. इसके बाद फिर उन्होंने इनकम टैक्स विभाग ज्वाइन किया. दिल्ली में ओमप्रकाश तकरीबन 3 महीने असिस्टेंट कमिश्नर इनकम टैक्स रहे.
साल 1987 में पास की सिविल सर्विसेस की परीक्षा
कई नौकरियां करने के बाद भी ओमप्रकाश का सपना सिविल सर्विस में बतौर आईएएस काम करना था. आखिरकार साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हो गया. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला.
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खुर्जा में पहली नियुक्ति
दरअसल, यूपी कैडर में ओमप्रकाश सबसे पहले जौनपुर में प्रोबेशन पर रहे. फिर खुर्जा के एसडीएम और फतेहपुर के सीडीओ रहे. इसके बाद मऊ, गाजीपुर, बांदा, हाथरस में भी तैनात रहे.
साल 2002 के बाद उत्तराखंड में रहे ओमप्रकाश
साल 2002 में उत्तराखंड कैडर मिलने के बाद आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश देहरादून के डीएम बनाए गए. वर्ष 2003 में उन्हें मेला अधिकारी अर्ध कुंभ बनाया गया. इसके बाद ओमप्रकाश को सचिवालय में अलग-अलग विभागों में सचिव पद मिलते हुए प्रमोशन होते रहे.