देहरादून: उत्तराखंड में रियल एस्टेट फर्जीवाड़े का मकड़जाल लगातार फैलता जा रहा है. घर और फ्लैट खरीदारों के साथ आए दिन धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े बिल्डर व प्रमोटरों से घर खरीदने का सपना संजोने वाले ग्राहकों के साथ सबसे ज्यादा और तेजी के साथ फर्जीवाड़े के मामले बढ़ रहे हैं.
सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक 405 बिल्डरों के खिलाफ शिकायतें रेरा में दर्ज
प्रदेश में 2017 में बने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में अब तक 405 शिकायतें पहुंची हैं. जिनमें से अभी तक केवल 273 मामलों का ही निस्तारण हुआ है. जबकि 132 शिकायतें अब भी लंबित हैं. प्रदेश में करीब 250 परियोजनाएं रेरा में पंजीकृत हैं. इनमें से करीब 80 परियोजनाएं दून जिले में चल रही हैं. यहां बिल्डरों में रेरा का कोई खौफ नहीं है. वह खरीदार से फ्लैट का पैसा तो ले लेते हैं, लेकिन कब्जा नहीं देते हैं. रेरा में 200 से अधिक शिकायतें रिफंड को लेकर आ चुकी हैं.
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उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट में सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक बिल्डर व प्रमोटरों के खिलाफ फ्लैट अपार्टमेंट का कब्जा ना देने, प्रोजेक्ट को अधर में लटकाने व पैसा वापस न करने सहित कई फर्जीवाड़ों में अधिकारिक जिलेवार सूची बनाई है.
देहरादून- 143
हरिद्वार - 159
उधम सिंह नगर - 27
नैनीताल - 6
पौड़ी गढ़वाल- 2
टिहरी गढ़वाल- 1
रेरा का विस्तारीकरण न होना बना कारण
धोखेबाज बिल्डरों पर शिकंजा कसने वाली उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण को कार्रवाई करने में सबसे बड़ी समस्या प्राधिकरण के विस्तारीकरण न होना है. रियल एस्टेट रेगुलेश को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए रेरा में स्टॉफ की कमी भी सामने आ रही है.
बता दें कि 26 मार्च 2016 को रियल स्टेट रेगुलेशन ऑफ डेवलपमेंट एक्ट 2016 अधिनियम बनाया गया. हालांकि 1 मई 2017 को यह लागू किया गया. जिसके बाद से सभी बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड कराने का नियम है.