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बिल्डरों की दबंगई और फर्जीवाड़े से परेशान प्रदेश की जनता, नकेल कसने में असफल रेरा

बिल्डरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन पर रेरा के आदेशों का भी कोई असर नहीं हो रहा है. प्रदेश में 2017 में बने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में अब तक 405 शिकायतें पहुंची हैं. जिनमें से अभी तक केवल 273 मामलों का ही निस्तारण हुआ है. जबकि 132 शिकायतें अब भी लंबित हैं.

उत्तराखंड में चल रही बिल्ड़रों की मनमानी
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Published : Jul 27, 2019, 12:14 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में रियल एस्टेट फर्जीवाड़े का मकड़जाल लगातार फैलता जा रहा है. घर और फ्लैट खरीदारों के साथ आए दिन धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े बिल्डर व प्रमोटरों से घर खरीदने का सपना संजोने वाले ग्राहकों के साथ सबसे ज्यादा और तेजी के साथ फर्जीवाड़े के मामले बढ़ रहे हैं.

सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक 405 बिल्डरों के खिलाफ शिकायतें रेरा में दर्ज

प्रदेश में 2017 में बने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में अब तक 405 शिकायतें पहुंची हैं. जिनमें से अभी तक केवल 273 मामलों का ही निस्तारण हुआ है. जबकि 132 शिकायतें अब भी लंबित हैं. प्रदेश में करीब 250 परियोजनाएं रेरा में पंजीकृत हैं. इनमें से करीब 80 परियोजनाएं दून जिले में चल रही हैं. यहां बिल्डरों में रेरा का कोई खौफ नहीं है. वह खरीदार से फ्लैट का पैसा तो ले लेते हैं, लेकिन कब्जा नहीं देते हैं. रेरा में 200 से अधिक शिकायतें रिफंड को लेकर आ चुकी हैं.

पढे़ं- उत्तराखंड के लोकगीतों को नई पहचान दे रहे युवा, कार्यक्रम में पहाड़ी गानों और डांस से बांधा समां

उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट में सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक बिल्डर व प्रमोटरों के खिलाफ फ्लैट अपार्टमेंट का कब्जा ना देने, प्रोजेक्ट को अधर में लटकाने व पैसा वापस न करने सहित कई फर्जीवाड़ों में अधिकारिक जिलेवार सूची बनाई है.

देहरादून- 143
हरिद्वार - 159
उधम सिंह नगर - 27
नैनीताल - 6
पौड़ी गढ़वाल- 2
टिहरी गढ़वाल- 1

रेरा का विस्तारीकरण न होना बना कारण
धोखेबाज बिल्डरों पर शिकंजा कसने वाली उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण को कार्रवाई करने में सबसे बड़ी समस्या प्राधिकरण के विस्तारीकरण न होना है. रियल एस्टेट रेगुलेश को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए रेरा में स्टॉफ की कमी भी सामने आ रही है.

बता दें कि 26 मार्च 2016 को रियल स्टेट रेगुलेशन ऑफ डेवलपमेंट एक्ट 2016 अधिनियम बनाया गया. हालांकि 1 मई 2017 को यह लागू किया गया. जिसके बाद से सभी बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड कराने का नियम है.

देहरादून: उत्तराखंड में रियल एस्टेट फर्जीवाड़े का मकड़जाल लगातार फैलता जा रहा है. घर और फ्लैट खरीदारों के साथ आए दिन धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े बिल्डर व प्रमोटरों से घर खरीदने का सपना संजोने वाले ग्राहकों के साथ सबसे ज्यादा और तेजी के साथ फर्जीवाड़े के मामले बढ़ रहे हैं.

सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक 405 बिल्डरों के खिलाफ शिकायतें रेरा में दर्ज

प्रदेश में 2017 में बने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में अब तक 405 शिकायतें पहुंची हैं. जिनमें से अभी तक केवल 273 मामलों का ही निस्तारण हुआ है. जबकि 132 शिकायतें अब भी लंबित हैं. प्रदेश में करीब 250 परियोजनाएं रेरा में पंजीकृत हैं. इनमें से करीब 80 परियोजनाएं दून जिले में चल रही हैं. यहां बिल्डरों में रेरा का कोई खौफ नहीं है. वह खरीदार से फ्लैट का पैसा तो ले लेते हैं, लेकिन कब्जा नहीं देते हैं. रेरा में 200 से अधिक शिकायतें रिफंड को लेकर आ चुकी हैं.

पढे़ं- उत्तराखंड के लोकगीतों को नई पहचान दे रहे युवा, कार्यक्रम में पहाड़ी गानों और डांस से बांधा समां

उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट में सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक बिल्डर व प्रमोटरों के खिलाफ फ्लैट अपार्टमेंट का कब्जा ना देने, प्रोजेक्ट को अधर में लटकाने व पैसा वापस न करने सहित कई फर्जीवाड़ों में अधिकारिक जिलेवार सूची बनाई है.

देहरादून- 143
हरिद्वार - 159
उधम सिंह नगर - 27
नैनीताल - 6
पौड़ी गढ़वाल- 2
टिहरी गढ़वाल- 1

रेरा का विस्तारीकरण न होना बना कारण
धोखेबाज बिल्डरों पर शिकंजा कसने वाली उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण को कार्रवाई करने में सबसे बड़ी समस्या प्राधिकरण के विस्तारीकरण न होना है. रियल एस्टेट रेगुलेश को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए रेरा में स्टॉफ की कमी भी सामने आ रही है.

बता दें कि 26 मार्च 2016 को रियल स्टेट रेगुलेशन ऑफ डेवलपमेंट एक्ट 2016 अधिनियम बनाया गया. हालांकि 1 मई 2017 को यह लागू किया गया. जिसके बाद से सभी बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड कराने का नियम है.

Intro:

summary- उत्तराखंड में रियल एस्टेट फर्जीवाड़े का फैलता मकड़जाल, पिछले 2 साल में 405 बिल्डरों के खिलाफ रेरा प्राधिकरण में शिकायतें दर्ज, हरिद्वार व देहरादून में सबसे बड़ा खेल।
उत्तराखंड में रियल एस्टेट का फर्जीवाड़ा लगातार मकड़जाल फैलाकर तेजी से अपने पाव पसारता जा रहा है। घर, फ्लैट अपार्टमेंट जैसे भवन खरीदारों के साथ आए दिन धोखाधड़ी व ठगी के मामलें सामने आ रहे हैं। घर खरीदने का सपना देखने वाले ग्राहकों से रुपया वसूल कर फ्लैट आपर्टमेंट का कब्जा ना देने से लेकर प्रोजेक्ट को लटकाने जैसे अन्य फर्जीवाड़े मामलों की सबसे ज्यादा शिकायतें राज्य के हरिद्वार जिले से आ रही हैं, जबकि दूसरे नंबर पर देहरादून के बिल्डरों के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायत उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा-
रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट)के पास आ रही है.


Body: सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक 405 बिल्डरों के खिलाफ फर्जीवाड़े की शिकायतें रेरा में दर्ज.

रियल स्टेट कारोबार पर शिकंजा कसने के चलते सरकार द्वारा बनाए गए उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण विभाग(रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट) (रेरा)के पास पिछले 2 सालों में राज्य भर से 405 फ्लैट व अपार्टमेंट प्रोजेक्ट बिल्डरों के खिलाफ अलग-अलग तरह की फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आई है। प्राधिकरण द्वारा इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए 273 शिकायतों का निस्तारण तरण कर ग्राहकों अलग अलग शिकायत पर राहत दिलाने का काम किया है। जबकि 132 शिकायतों के मामले प्राधिकरण में अभी लंबित चल रहे हैं।

273 निस्तारण मामलों में से अलग-अलग तरह की शिकायतों पर ग्राहकों को राहत

प्राधिकरण द्वारा 273 निस्तारण मामलों में से 154 शिकायतों पर ग्राहकों को बिल्डर से धनराशि वापस कराई गई है जबकि 63 ऐसी शिकायतें हैं जिनका निस्तारण कब्जा व Delay penalty दिलाकर प्राधिकरण द्वारा ग्राहक को राहत पहुंचाई गई है।
24 ऐसे मामले हैं जिनकी शिकायतों पर प्राधिकरण ने गलत गलत पाया जिसके चलते उनको निरस्त कर दिया गया है।
32 शिकायतों पर प्राधिकरण ने ग्राहक और बिल्डर के बीच आपसी सहमति बनाकर मामले का निस्तारण किया है।

उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण ने पिछले 2 साल में 32 करोड़ 33 लाख रुपए की धनराशि ग्राहकों को बिल्डर के द्वारा वापस दिलाने का कार्य किया हैं।
प्राधिकरण के आदेश के बावजूद उनका अनुपालन ना करने वाले 15 बिल्डर व प्रमोटरों के खिलाफ भू राजस्व के रूप में 1करोड़ 87 लाख धनराशि वसूलने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।





Conclusion:उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा)(रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट ) में सितंबर 2017 से 25 जुलाई 2019 तक बिल्डर व प्रमोटरों के खिलाफ फ्लैट अपार्टमेंट का कब्जा ना देने,प्रोजेक्ट को अधर पर लटकाने व पैसा वापस न करने सहित अन्य तरह के फर्जीवाड़े मामलों में आने वाली शिकायतों का रेरा प्राधिकरण द्वारा अधिकारिक जिलेवार सूची.

जिला शिकायत

देहरादून- 143
हरिद्वार - 159
उधम सिंह नगर - 27
नैनीताल - 6
पौड़ी गढ़वाल- 2
टिहरी गढ़वाल- 1

रेरा के विस्तारीकरण ना होने के चलते रियल स्टेट पर शिकंजा कसने में समस्या

उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार व उधमसिंह नगर में रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े बिल्डर व प्रमोटरों से घर खरीदने का सपना संजोने वाले ग्राहकों के साथ सबसे ज्यादा और तेजी के साथ फर्जीवाड़े के मामलें बढ़ रहे हैं। ऐसे में धोखेबाज बिल्डरों पर शिकंजा कसने वाली उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण को कार्रवाई करने में सबसे बड़ी समस्या प्राधिकरण के विस्तारीकरण ना होने के चलते सामने आ रही है.. रियल एस्टेट रेगुलेश को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए जरूरत मुताबिक प्रयाग सुविधाएं के अलावा अधिकारियों व कर्मचारियों सहित मैनपावर कमी के चलते रियल एस्टेट के फर्जीवाड़े में कार्रवाई करने में समस्या आ रही हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा रेरा रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट में फर्जीवाड़ा करने वाले रियल एस्टेट कारोबारी के ऊपर शिकंजा कसने की पर्याप्त अधिकार है।

26 मार्च 2016 को रियल स्टेट रेगुलेशन आफ डेवलपमेंट एक्ट 2016 अधिनियम बनाया गया हालांकि 1 मई 2017 को यह लागू किया गया..तभी से सभी बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड कराने का नियम है। ताकि किसी भी तरह की फर्जीवाड़ा होने पर रेरा द्वारा ग्राहकों को राहत दिलाई जा सके


pls नोट डेस्क- महोदय यह खबर रेरा से आधिकारिक आंकड़ो से लेकर बनाएंगे स्टोरी है कृपया इसे स्पेशल में लगाने का कष्ट करें।
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