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उत्तराखंड में कैसे मजबूत हुई बीजेपी, सुनिए वरिष्ठ नेताओं की जुबानी

प्रदेश में बीजेपी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. वहीं तमाम बड़े नेता पार्टी संगठन से ही निकले हैं. लेकिन पार्टी को प्रदेश में अपनी जड़े मजबूत करने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा, ये कम ही लोग जानते हैं. वहीं पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने उस दौर के संघर्ष को याद करते हुए अपने विचार साझा किए हैं.

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Published : Apr 7, 2023, 4:09 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 5:27 PM IST

बीजेपी ने प्रदेश में देखे कई उतार-चढ़ाव

देहरादून: बीजेपी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी. देश के इतिहास में पहली बार साल 1984 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात्र दो सीटों से संतुष्ट होना पड़ा था. क्यों कि जनादेश बीजेपी के साथ नहीं था, लेकिन पार्टी ने हार नहीं मानी, साल दर साल पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती रही. वहीं 44 वें स्थापना दिवस के मौके पर उत्तराखंड में बीजेपी भले ही अपनी तमाम उपलब्धियों को गिना रही हो, लेकिन प्रदेश में पार्टी संगठन में कितने बदलाव हुए, आपको विस्तार से बताते हैं.

भाजपा नेत्री ने साझा किए विचार: भारतीय जनता पार्टी में अपना एक प्राण संगठन संघ के रूप में कार्य करता है. देश में जनसंघ का अपना एक अलग इतिहास है और इसी जनसंघ के दौर से ही उत्तराखंड में संघ विचारधारा की शुरूआत हुई. भाजपा के 44वें स्थापना दिवस के मौके पर हमने उत्तराखंड भाजपा के कुछ वरिष्ठ और संघ के समय से जुड़े कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनसे जानने की कोशिश की. आज पार्टी में संगठन के कितने मायने बदले हैं. उत्तराखंड भाजपा की वरिष्ठ महिला नेत्री विनोद उनियाल से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की. उत्तराखंड भाजपा की वरिष्ठ महिला नेत्री विनोद उनियाल 70 के दशक में संघ की विचारधारा से प्रभावित हुई थी और संघ परिवार के साथ उनका नाता जुड़ने के बाद वह पहले संघ में और उसके बाद भाजपा में कई पदों पर रह चुकी हैं.
पढ़ें-यशपाल आर्य ने 'पुराने दोस्तों' को याद दिलाया कांग्रेस काल, राहुल के निलंबन को बताया बीजेपी की बौखलाहट

लिखकर व बोलकर व्यक्त करना मुश्किल: उत्तराखंड भाजपा के प्रकाशन प्रभात की प्रमुख विनोद उनियाल पूर्व में उत्तराखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष, महामंत्री महिला मोर्चा सहित कई पदों पर रह चुकी हैं. वह पार्टी की रीति-नीति को भली भांति जानती हैं.भाजपा वरिष्ठ महिला नेत्री विनोद उनियाल ने बताया कि जिस दौर में वह पार्टी की विचारधारा से जुड़ी थी, उस समय वैल्यू कुछ और हुआ करते थे. पार्टी की विचारधारा और उसके मूल्यों को लिखकर या बोलकर व्यक्त करना मुश्किल है. विनोद उनियाल बताती हैं कि उन्हें पहली दफा संघ की विचारधारा समझने का अवसर तब मिला था, जब उनकी शादी एक 15 वर्ष संघ को दे चुके व्यक्ति से हुई थी. बताया कि किस तरह से आपातकाल के दौर में संघ का अंडर ग्राउंड लिटरेचर चलता था और उसके क्या मायने हुआ करते थे. उस समय संघ के लोग एक दूसरे का काफी ख्याल रखते थे.

ये थी संघ की विचारधारा: विचारों और मूल्यों की उसमें अत्यधिक मान्यता होती थी.उन्होंने बताया कि किस तरह से उनके घर से जो संघ के कार्यक्रम चलते थे, उनमें कितनी विश्वसनीयता और गोपनीयता होती थी. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उस समय उत्तराखंड में जिस तरह से अन्य पार्टियों का दबदबा था और बेहद मुश्किल समय में संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम कुछ मात्र लोग कर रहे थे. उनके इरादों और विचारों में एक तरह की क्रांति का उन्होंने एहसास किया था. उन्होंने बताया कि वो संघ के कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं सहित शिव प्रकाश के साथ भी काम किया. उन्होंने अपने तमाम उस दौर के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि त्याग, देश भक्ति और अपने विचारों के प्रति गंभीरता उस समय के लोगों में अलग तरह की थी जो कि अब देखने को नहीं मिलती है.
पढ़ें-राज्य गठन से लेकर ग्रीष्मकालीन राजधानी तक, जानें उत्तराखंड बीजेपी की क्या रही उपलब्धियां

समय बदलने के साथ ये शिकायतें रही: विनोद उनियाल ने बताया कि पार्टी ने एक लंबे दौर का सफर तय किया है और निश्चित तौर से इस सफर में मूल्यों में अंतर जरूर आया है. पार्टी के शुरूआती दौर के बारे में बताते हुए कहा कि उस समय सेवा भाव होता था. लेकिन अब थोड़ा बहुत महत्वाकांक्षा ने अपनी जगह मजबूत बनाई है.ऐसे ही पार्टी के एक और काशी से आने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता उमेद चंद रमोला से भी हमने बातचीत की और उन्होंने बताया कि किस तरह से आज पार्टी के कार्यकर्ता की पहुंच कम हुई है और कार्यकर्ता आज बेहद निराश है. बीजेपी के वरिष्ठ कार्यकर्ता उमेद चंद रमोला बताते हैं कि उत्तराखंड में कई राजनीतिक दल आए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ही लोगों के दिलों में अपनी जगह बना पाई है. राज्य गठन से लेकर के उत्तराखंड के हित में तमाम बड़े कार्य भारतीय जनता पार्टी द्वारा ही किए गए हैं. लेकिन आज कार्यकर्ताओं की समस्याओं का संज्ञान कम लिया जा रहा है और अधिकारी नेताओं पर हावी हैं.

बीजेपी ने प्रदेश में देखे कई उतार-चढ़ाव

देहरादून: बीजेपी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी. देश के इतिहास में पहली बार साल 1984 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात्र दो सीटों से संतुष्ट होना पड़ा था. क्यों कि जनादेश बीजेपी के साथ नहीं था, लेकिन पार्टी ने हार नहीं मानी, साल दर साल पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती रही. वहीं 44 वें स्थापना दिवस के मौके पर उत्तराखंड में बीजेपी भले ही अपनी तमाम उपलब्धियों को गिना रही हो, लेकिन प्रदेश में पार्टी संगठन में कितने बदलाव हुए, आपको विस्तार से बताते हैं.

भाजपा नेत्री ने साझा किए विचार: भारतीय जनता पार्टी में अपना एक प्राण संगठन संघ के रूप में कार्य करता है. देश में जनसंघ का अपना एक अलग इतिहास है और इसी जनसंघ के दौर से ही उत्तराखंड में संघ विचारधारा की शुरूआत हुई. भाजपा के 44वें स्थापना दिवस के मौके पर हमने उत्तराखंड भाजपा के कुछ वरिष्ठ और संघ के समय से जुड़े कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनसे जानने की कोशिश की. आज पार्टी में संगठन के कितने मायने बदले हैं. उत्तराखंड भाजपा की वरिष्ठ महिला नेत्री विनोद उनियाल से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की. उत्तराखंड भाजपा की वरिष्ठ महिला नेत्री विनोद उनियाल 70 के दशक में संघ की विचारधारा से प्रभावित हुई थी और संघ परिवार के साथ उनका नाता जुड़ने के बाद वह पहले संघ में और उसके बाद भाजपा में कई पदों पर रह चुकी हैं.
पढ़ें-यशपाल आर्य ने 'पुराने दोस्तों' को याद दिलाया कांग्रेस काल, राहुल के निलंबन को बताया बीजेपी की बौखलाहट

लिखकर व बोलकर व्यक्त करना मुश्किल: उत्तराखंड भाजपा के प्रकाशन प्रभात की प्रमुख विनोद उनियाल पूर्व में उत्तराखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष, महामंत्री महिला मोर्चा सहित कई पदों पर रह चुकी हैं. वह पार्टी की रीति-नीति को भली भांति जानती हैं.भाजपा वरिष्ठ महिला नेत्री विनोद उनियाल ने बताया कि जिस दौर में वह पार्टी की विचारधारा से जुड़ी थी, उस समय वैल्यू कुछ और हुआ करते थे. पार्टी की विचारधारा और उसके मूल्यों को लिखकर या बोलकर व्यक्त करना मुश्किल है. विनोद उनियाल बताती हैं कि उन्हें पहली दफा संघ की विचारधारा समझने का अवसर तब मिला था, जब उनकी शादी एक 15 वर्ष संघ को दे चुके व्यक्ति से हुई थी. बताया कि किस तरह से आपातकाल के दौर में संघ का अंडर ग्राउंड लिटरेचर चलता था और उसके क्या मायने हुआ करते थे. उस समय संघ के लोग एक दूसरे का काफी ख्याल रखते थे.

ये थी संघ की विचारधारा: विचारों और मूल्यों की उसमें अत्यधिक मान्यता होती थी.उन्होंने बताया कि किस तरह से उनके घर से जो संघ के कार्यक्रम चलते थे, उनमें कितनी विश्वसनीयता और गोपनीयता होती थी. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उस समय उत्तराखंड में जिस तरह से अन्य पार्टियों का दबदबा था और बेहद मुश्किल समय में संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम कुछ मात्र लोग कर रहे थे. उनके इरादों और विचारों में एक तरह की क्रांति का उन्होंने एहसास किया था. उन्होंने बताया कि वो संघ के कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं सहित शिव प्रकाश के साथ भी काम किया. उन्होंने अपने तमाम उस दौर के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि त्याग, देश भक्ति और अपने विचारों के प्रति गंभीरता उस समय के लोगों में अलग तरह की थी जो कि अब देखने को नहीं मिलती है.
पढ़ें-राज्य गठन से लेकर ग्रीष्मकालीन राजधानी तक, जानें उत्तराखंड बीजेपी की क्या रही उपलब्धियां

समय बदलने के साथ ये शिकायतें रही: विनोद उनियाल ने बताया कि पार्टी ने एक लंबे दौर का सफर तय किया है और निश्चित तौर से इस सफर में मूल्यों में अंतर जरूर आया है. पार्टी के शुरूआती दौर के बारे में बताते हुए कहा कि उस समय सेवा भाव होता था. लेकिन अब थोड़ा बहुत महत्वाकांक्षा ने अपनी जगह मजबूत बनाई है.ऐसे ही पार्टी के एक और काशी से आने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता उमेद चंद रमोला से भी हमने बातचीत की और उन्होंने बताया कि किस तरह से आज पार्टी के कार्यकर्ता की पहुंच कम हुई है और कार्यकर्ता आज बेहद निराश है. बीजेपी के वरिष्ठ कार्यकर्ता उमेद चंद रमोला बताते हैं कि उत्तराखंड में कई राजनीतिक दल आए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ही लोगों के दिलों में अपनी जगह बना पाई है. राज्य गठन से लेकर के उत्तराखंड के हित में तमाम बड़े कार्य भारतीय जनता पार्टी द्वारा ही किए गए हैं. लेकिन आज कार्यकर्ताओं की समस्याओं का संज्ञान कम लिया जा रहा है और अधिकारी नेताओं पर हावी हैं.

Last Updated : Apr 7, 2023, 5:27 PM IST
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