देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय प्रत्ययन बोर्ड के नियमों पर खरा उतरने के बाद आखिरकार प्रदेश के पहले राजकीय चिकित्सालय को NABH की मान्यता मिल गई है. रामनगर का रामदत्त जोशी चिकित्सालय विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत पीपीपी मोड पर संचालित किया जा रहा है.
NABH से प्रमाणिकता अस्पतालों के स्टैंडर्ड को अपग्रेड करता है. इसी के तहत रामनगर के रामदत्त जोशी चिकित्सालय ने उन सभी मानकों को पूरा किया है जो NABH के एक्रीडिटेशन के लिए जरूरी हैं. पीपीपी मोड पर चलने वाला अस्पताल अब राज्य का पहला NABH से प्रमाणित अस्पताल बन गया है. हालांकि, राज्य में ऐसे कई निजी अस्पताल हैं जो NABH से प्रमाणित हैं. इस प्रमाणिकता के बाद अस्पताल में रोगियों को इसका लाभ मिलता है. बेहतर चिकित्सा के साथ रोगियों को स्टैंडर्ड स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी जाती हैं.
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राष्ट्रीय प्रत्ययन बोर्ड से ग्रेडेशन या प्रमाणिकता मिलने के बाद सबसे ज्यादा फायदे मरीजों को ही होते हैं, क्योंकि इससे न केवल चिकित्सीय गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि मरीजों के अधिकारों का भी सम्मान होता है. रोगियों की संतुष्टि का मूल्यांकन होने के कारण अस्पताल में इस बात का स्टाफ की तरफ से भी खास ख्याल रखा जाता है. उधर इससे अस्पताल को भी फायदा होता है. अस्पताल की केटेगरी बेहतर सुविधाओं वाले अस्पतालों में हो पाती है. बेहतर अस्पतालों के चयन के तमाम मौकों पर इस प्रमाणिकता को आधार बनाया जाता है.