देहरादून: पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बीच प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को क्लीन चिट दी है. उनका कहना है कि इस पूरे मामले के पीछे सिद्धू नहीं हैं. हरीश रावत का कहना है कि सिद्धू एक अलग परिवेश से आए हैं. कई बातों और भविष्य को देखकर उनको पंजाब का दायित्व सौंपा गया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पूरी कांग्रेस उनको सौंप दी है.
दरअसल, पंजाब कांग्रेस के सिद्धू गुट के नेताओं ने देहरादून में कांग्रेस महासचिव हरीश रावत से मुलाकात की. ये सभी लोग पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज हैं और पंजाब कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश रावत से नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. हालांकि, हरीश रावत ने कहा है कि उनकी जो भी नाराजगी है, उसका समाधान निकाला जाएगा. पंजाब में कांग्रेस के पास लोगों की कमी नहीं है और वो सब लोग सामूहिक रूप से आगे चुनाव में कैसे जीता जाए, उसपर काम करेंगे.
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'4 मंत्री और 3 विधायक मुझसे मिले. उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि वे राज्य में पार्टी की जीत की संभावनाओं के बारे में चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि वे किसी के खिलाफ नहीं हैं, वे एक स्पष्ट रोडमैप के साथ चुनाव में जाना चाहते हैं, ताकि हम जीत सकें. उन्हें राज्य और जिला प्रशासन के कामकाज के बारे में कुछ शिकायतें भी थीं. अगर कोई कांग्रेस विधायक खुद को असुरक्षित समझता है और सोचता है कि प्रशासन उन्हें हराने या उनके खिलाफ काम करने की कोशिश कर सकता है, तो यह चिंता का विषय है'- हरीश रावत, प्रदेश प्रभारी
बता दें कि पंजाब में जारी कलह को दूर करने का काम हरीश रावत को सौंपा गया है. रावत का पहले से ही पार्टी में बगावत और मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने का पुराना अनुभव है. बताया जा रहा है कि विधायकों- मंत्रियों की जो नाराजगी है, उसे सुनने के बाद हरीश रावत पूरी बैठक का हाल शाम तक आलाकमान को बताएंगे. उसके बाद अगर विधायक और मंत्री नहीं मानते हैं तो पार्टी आलाकमान पंजाब के नेताओं से बातचीत करेगा.