देहरादूनः उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग द्वारा किए गए विभागीय ऑडिट में अब तक 36 पुल असुरक्षित पाए (36 dilapidated bridges of Uttarakhand unsafe) गए हैं. इन सभी पुलों पर अभी भी ट्रैफिक चल रहा है. विभाग के पास इन पुलों के समाधान को लेकर फिलहाल कोई प्लानिंग (PWD does not have budget to repair bridges) नहीं है. गुजरात के भीषण मोरबी पुल हादसे के बाद पूरे देश में इस तरह के जर्जर पुलों को लेकर चिंता जताई गई तो वहीं उत्तराखंड में भी इस तरह के जर्जर पुलों को लेकर सवाल उठे.
इसके बाद प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने तत्काल राज्य के सभी पुलों को लेकर ऑडिट के आदेश दिए और तीन स्पताह के भीतर विभाग से रिपोर्ट मांगी. आदेश की डेडलाइन तक प्रदेश में मौजूद 3 हजार के करीब पुलों में से तकरीबन 2500 पुलों का ऑडिट हो पाया. इसमें से 36 पुलों को बेहद जोखिम भरा यानी असुरक्षित पाया गया. डेडलाइन के बाद भी बचे हुए बाकी पुलों का ऑडिट जारी है. अब सवाल ये है कि जब ऑडिट में क्लियर हो गया है कि 36 ऐसे पुल हैं जो बेहद जोखिम भरे व असुरक्षित हैं तो फिर विभाग का एक्शन प्लान क्या है.
अफसोस कि बात यह है कि ऑडिट में असुरक्षित पाए गए पुलों को लेकर विभाग के पास कोई भी एक्शन प्लान नहीं है. असुरक्षित पाए गए इन पुलों पर आज भी ट्रैफिक चल रहा है. इन पुलों का स्थाई समाधान क्या होगा, इसका कोई उत्तर नहीं है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पीडब्ल्यूडी चीफ अयाज अहमद (PWD Chief Ayaz Ahmed) ने ऑडिट की विस्तार में जानकारी देते हुए प्रदेश के सभी डिवीजनों में हुए ऑडिट की जानकारी दी. हर एक डिवीजन में जर्जर पाए गए पुलों की जानकारी भी दी.
उन्होंने बताया कि पौड़ी प्रभाग में सबसे ज्यादा पुल असुरक्षित हैं. पौड़ी क्षेत्र में कुछ 25 पुलों का बुरा हाल है जिनमें से भी सबसे ज्यादा पौड़ी में 16 पुलों पर सबसे ज्यादा जोखिम है. हालांकि इन जोखिम भरे पुलों को लेकर विभाग के पास क्या तत्काल एक्शन प्लान है, इसका कोई जवाब नहीं मिला. विभागाध्यक्ष अयाज अहमद का कहना है कि अभी केवल औपचारिकता मात्र पुलों पर ट्रैफिक को कम किया गया है. विभाग के पास इन पुलों के स्थाई समाधान की कोई मद नहीं है. हालांकि, लोग प्लानिंग में इन पुलों को ठीक किए जाने की बात जरूर कह रहे हैं.