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UPCL की दलील बेकार! नहीं बढ़े बिजली के दाम, आयोग करेगा विचार - electricity price in uttarakhand

उत्तराखड में बिजली के दाम साल में दूसरी बार बढ़ाए जाने को लेकर यूपीसीएल ने सुनवाई के दौरान उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (Uttarakhand Electricity Regulatory Commission) के समक्ष अपनी बात रखी. जनसुनवाई में बिजली के दाम बढ़ाने के खिलाफ काफी संख्या में लोग पहुंचे. इस दौरान हैरानी की बात ये रही कि जन सुनवाई में यूकेडी के नेता के अलावा बीजेपी या कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि नजर नहीं आया.

Uttarakhand Electricity Regulatory Commission
बिजली के दाम
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Published : Jun 6, 2022, 7:31 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में बिजली के दाम दूसरी बार बढ़ाए जाने की पैरवी करने वाले यूपीसीएल ने आज सोमवार को उत्तराखंड नियामक आयोग में अपनी बात रखी. इस दौरान जनसुनवाई में लोगों ने यूपीसीएल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए बिजली के दामों में बढ़ोतरी न किए जाने की पैरवी की है. खास बात यह रही कि आम जनता की जेब पर बोझ डालने वाले इस मुद्दे पर राजनीतिक रूप से उत्तराखंड क्रांति दल के अलावा किसी भी पार्टी का प्रतिनिधि मौजूद नहीं रहा.

उत्तराखंड के लोगों पर बिजली के दामों में बढ़ोतरी के रूप में बोझ डालने की तैयारी की जा रही है, तो जन सुनवाई के जरिए तमाम संगठन और आम लोग यूपीसीएल के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध भी कर रहे हैं. उत्तराखंड नियामक आयोग में आज जनसुनवाई के जरिए यूपीसीएल के प्रस्ताव पर लोगों की बात को सुना गया. इस दौरान आम लोगों से जुड़े इस मुद्दे पर जनता की पैरवी करने के लिए केवल उत्तराखंड क्रांति दल के प्रतिनिधि ही मौजूद दिखाई दिए. लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के नेता मौके पर मौजूद नहीं रहे. आयोग में तमाम लोगों ने ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. साथ ही ऊर्जा निगम के अधिकारियों की गलती को जनता पर बोझ के रूप में नहीं डालने की पैरवी की.

बिजली के दामों पर जनसुनवाई

आयोग में आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष और सदस्य तकनीकी ने सभी लोगों की बात सुनी और उस पर ऊर्जा निगम के अधिकारियों का पक्ष भी जाना. बता दें कि अप्रैल महीने में पहले ही बिजली के दामों में बढ़ोतरी की जा चुकी है और यह साल में दूसरा मौका होगा जब यूपीसीएल बिजली के दामों में बढ़ोतरी की डिमांड कर रहा है.
पढ़ें- करोड़ों के बकाए पर UPCL का 'सरेंडर', सरकार से बजट की गुहार

बिजली के दाम 12.27 फीसदी बढ़ाने की मांग: उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों की तरफ से 12.27 प्रतिशत बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजा है.

बिजली के दाम साल में दो बार बढ़ाए जाने का नियम नहीं: वैसे सामान्य रूप से साल में दो बार बिजली के दाम में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती. लेकिन ऊर्जा निगम इसे आपात स्थिति बताकर बिजली के दामों में बढ़ोतरी चाहता है. सुनवाई के दौरान निगम के अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश में कहीं भी रोस्टिंग नहीं की जा रही है और अब भी महंगे दामों में बिजली खरीदी जा रही है. लिहाजा भविष्य में भी बिजली की बेहतर आपूर्ति हो इसके लिए जरूरी है कि बिजली के दाम बढ़ाया जाएं. इसको लेकर आयोग भविष्य में फैसला करेगा.

ऊर्जा निगम ने राज्य सरकार से मांगा बजट: वित्तीय संकट से उबरने के लिए उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने (UPCL) राज्य सरकार से ₹350 करोड़ की वित्तीय मदद मांगी थी. निगम अब तक बैंकों से करीब 100 करोड़ रुपए का ओवर ड्राफ्ट कर चुका है. यूपीसीएल एफडी के एवज में 250 करोड़ तक का ओवर ड्राफ्ट कर सकता है. यहां हैरान करने वाली बात यह है कि ऊर्जा निगम कई करोड़ के बकायेदारों से बकाया नहीं वसूल पा रहा है.

महंगी बिजली खरीदने की मजबूरी: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुताबिक वर्तमान समय में प्रदेश भर में प्रतिदिन 45 मिलियन यूनिट बिजली जरूरत होती है, जबकि 31.52 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध है. हालांकि, बाकी की बिजली खरीदकर आपूर्ति की जाती है. जानकारी के मुताबिक पिछले 2 महीने में करीब 400 करोड़ की बिजली खरीदी गई है, जबकि सामान्य स्थिति में यूपीसीएल 300 करोड़ तक बिजली खरीदता है.

बकाया नहीं वसूल पा रहा निगम: उत्तराखंड बिजली विभाग का बकायेदारों पर करोड़ों का बकाया है. ऊर्जा निगम की तरफ से बकायदा अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर भी ऐसे डिफॉल्टर्स की सूची जारी की गई है, जिन्होंने विभाग का पैसा दबाकर रखा है. इस लिस्ट में 2500 से ज्यादा ऐसे डिफॉल्टर्स हैं, जिन्हें 1 लाख से ज्यादा बकाया देना है.

इसमें अधिकतर ₹5 लाख से अधिक के बकायेदार हैं. डिफॉल्टर्स की 54 पेज की सूची में ऐसे बकाएदार भी हैं, जिनका बकाया ₹10 लाख से भी ज्यादा है. 60 पेज की दूसरी सूची में ऐसे डिफॉल्टर्स के नाम लिखे गए हैं, जिन्हें ₹2000 से ज्यादा की देनदारी करनी है. इसमें भी करीब 3 हजार संस्थान या लोग हैं जिन्हें यह बकाया देना है.

देहरादून: उत्तराखंड में बिजली के दाम दूसरी बार बढ़ाए जाने की पैरवी करने वाले यूपीसीएल ने आज सोमवार को उत्तराखंड नियामक आयोग में अपनी बात रखी. इस दौरान जनसुनवाई में लोगों ने यूपीसीएल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए बिजली के दामों में बढ़ोतरी न किए जाने की पैरवी की है. खास बात यह रही कि आम जनता की जेब पर बोझ डालने वाले इस मुद्दे पर राजनीतिक रूप से उत्तराखंड क्रांति दल के अलावा किसी भी पार्टी का प्रतिनिधि मौजूद नहीं रहा.

उत्तराखंड के लोगों पर बिजली के दामों में बढ़ोतरी के रूप में बोझ डालने की तैयारी की जा रही है, तो जन सुनवाई के जरिए तमाम संगठन और आम लोग यूपीसीएल के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध भी कर रहे हैं. उत्तराखंड नियामक आयोग में आज जनसुनवाई के जरिए यूपीसीएल के प्रस्ताव पर लोगों की बात को सुना गया. इस दौरान आम लोगों से जुड़े इस मुद्दे पर जनता की पैरवी करने के लिए केवल उत्तराखंड क्रांति दल के प्रतिनिधि ही मौजूद दिखाई दिए. लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के नेता मौके पर मौजूद नहीं रहे. आयोग में तमाम लोगों ने ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. साथ ही ऊर्जा निगम के अधिकारियों की गलती को जनता पर बोझ के रूप में नहीं डालने की पैरवी की.

बिजली के दामों पर जनसुनवाई

आयोग में आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष और सदस्य तकनीकी ने सभी लोगों की बात सुनी और उस पर ऊर्जा निगम के अधिकारियों का पक्ष भी जाना. बता दें कि अप्रैल महीने में पहले ही बिजली के दामों में बढ़ोतरी की जा चुकी है और यह साल में दूसरा मौका होगा जब यूपीसीएल बिजली के दामों में बढ़ोतरी की डिमांड कर रहा है.
पढ़ें- करोड़ों के बकाए पर UPCL का 'सरेंडर', सरकार से बजट की गुहार

बिजली के दाम 12.27 फीसदी बढ़ाने की मांग: उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों की तरफ से 12.27 प्रतिशत बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजा है.

बिजली के दाम साल में दो बार बढ़ाए जाने का नियम नहीं: वैसे सामान्य रूप से साल में दो बार बिजली के दाम में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती. लेकिन ऊर्जा निगम इसे आपात स्थिति बताकर बिजली के दामों में बढ़ोतरी चाहता है. सुनवाई के दौरान निगम के अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश में कहीं भी रोस्टिंग नहीं की जा रही है और अब भी महंगे दामों में बिजली खरीदी जा रही है. लिहाजा भविष्य में भी बिजली की बेहतर आपूर्ति हो इसके लिए जरूरी है कि बिजली के दाम बढ़ाया जाएं. इसको लेकर आयोग भविष्य में फैसला करेगा.

ऊर्जा निगम ने राज्य सरकार से मांगा बजट: वित्तीय संकट से उबरने के लिए उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने (UPCL) राज्य सरकार से ₹350 करोड़ की वित्तीय मदद मांगी थी. निगम अब तक बैंकों से करीब 100 करोड़ रुपए का ओवर ड्राफ्ट कर चुका है. यूपीसीएल एफडी के एवज में 250 करोड़ तक का ओवर ड्राफ्ट कर सकता है. यहां हैरान करने वाली बात यह है कि ऊर्जा निगम कई करोड़ के बकायेदारों से बकाया नहीं वसूल पा रहा है.

महंगी बिजली खरीदने की मजबूरी: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुताबिक वर्तमान समय में प्रदेश भर में प्रतिदिन 45 मिलियन यूनिट बिजली जरूरत होती है, जबकि 31.52 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध है. हालांकि, बाकी की बिजली खरीदकर आपूर्ति की जाती है. जानकारी के मुताबिक पिछले 2 महीने में करीब 400 करोड़ की बिजली खरीदी गई है, जबकि सामान्य स्थिति में यूपीसीएल 300 करोड़ तक बिजली खरीदता है.

बकाया नहीं वसूल पा रहा निगम: उत्तराखंड बिजली विभाग का बकायेदारों पर करोड़ों का बकाया है. ऊर्जा निगम की तरफ से बकायदा अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर भी ऐसे डिफॉल्टर्स की सूची जारी की गई है, जिन्होंने विभाग का पैसा दबाकर रखा है. इस लिस्ट में 2500 से ज्यादा ऐसे डिफॉल्टर्स हैं, जिन्हें 1 लाख से ज्यादा बकाया देना है.

इसमें अधिकतर ₹5 लाख से अधिक के बकायेदार हैं. डिफॉल्टर्स की 54 पेज की सूची में ऐसे बकाएदार भी हैं, जिनका बकाया ₹10 लाख से भी ज्यादा है. 60 पेज की दूसरी सूची में ऐसे डिफॉल्टर्स के नाम लिखे गए हैं, जिन्हें ₹2000 से ज्यादा की देनदारी करनी है. इसमें भी करीब 3 हजार संस्थान या लोग हैं जिन्हें यह बकाया देना है.

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