नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्री-बजट डॉक्यूमेंट में अनाज के अधिक उत्पादन में कटौती करने के लिए नीतिगत सुधारों का सुझाव दिया गया है. जबकि दालों और खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है, जिनका देश वर्तमान में घरेलू कमी को पूरा करने के लिए आयात करता है.
शुक्रवार को संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) 2024-25 में इस बात पर जोर दिया गया कि अलग-अलग विकास पहलों के बावजूद भारत के कृषि क्षेत्र में "काफी अप्रयुक्त विकास क्षमता" (Considerable untapped growth potential) है. इसमें कहा गया है कि, किसानों को बाजार से बिना किसी बाधा के मूल्य संकेत प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके साथ ही कमजोर परिवारों की सुरक्षा के लिए अलग मैकेनिज्म होना चाहिए.
Agriculture Remains a Crucial Pillar for Growth and Food Security
— PIB India (@PIB_India) January 31, 2025
🌾Agriculture and Allied Activities contributes approximately 16% to the economy (GDP)
🌾3.5% growth in the second quarter of 2024-25
🌾5% annual average growth during FY17 to FY23
🌾Credit support measures… pic.twitter.com/GS5gqNOPIV
डॉक्यूमेंट में तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों की रूपरेखा दी गई है. मूल्य जोखिम हेजिंग के लिए मार्केट मैकेनिज्म स्थापित करना, अत्यधिक फर्टिलाइजर उपयोग को रोकना और पहले से ही सरप्लस में मौजूद पानी और सघन खेती के उत्पादन को कम करना शामिल है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि, ये नीतिगत बदलाव इलाके में भूमि और श्रम उत्पादकता को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करेंगे.
वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 23 के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि औसतन 5 प्रतिशत वार्षिक रही, जो चुनौतियों के बावजूद लचीलापन दिखाती है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछली चार तिमाहियों में 0.4-2.0 प्रतिशत की वृद्धि दर से उबर रही है.
📍Priorities for the Agriculture Sector 👇
— PIB India (@PIB_India) January 31, 2025
🌾Promoting production patterns and practices that align with specific agro-climatic conditions and natural resource availabilities of different regions is vital
🌾Effectively utilizing e-NAM, FPOs and enabling cooperatives to play a… pic.twitter.com/b7UEDns5nG
वर्तमान मूल्यों पर वित्त वर्ष 2024 के प्रोविजनल एस्टीमेट के अनुसार, यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 46.1 प्रतिशत आबादी का भरण-पोषण करता है. डॉक्यूमेंट में इनकम डायवर्सिफिकेशन के लिए पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों के बढ़ते महत्व पर जोर दिया गया है. हालांकि, इसने जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी जैसी चुनौतियों को चिह्नित किया है. इस पर हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
डॉक्यूमेंट में डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाना और ई-एनएएम जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से बेहतर बाजार बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्रों के रूप में उजागर किया गया है. सरकारी योजनाओं ने पॉजिटिव प्रभाव दिखाया है, जिसमें 31 अक्टूबर, 2024 तक 11 करोड़ से अधिक किसान पीएम-किसान से लाभान्वित हुए हैं और 23.61 लाख किसान पीएमकेएमवाई पेंशन योजना के तहत नामांकित हैं.
रिपोर्ट में छोटे किसानों का समर्थन करने और विशेष रूप से दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में खाद्यान्न भंडारण प्रणालियों को आधुनिक बनाने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है.
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