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मांगों को लेकर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने भरी हुंकार, आंदोलन की दी चेतावनी

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ (Provincial Medical Health Service Association) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. लंबित मांगों को लेकर संघ ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया. संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि सुगम और दुर्गम क्षेत्रों का गलत निर्धारण किया गया है. साथ ही कहा कि ऐसे सभी चिकित्सक जो सेवा के दौरान पोस्ट ग्रेजुएशन करने जाते हैं, उन्हें सरकार पूर्ण वेतन दे.

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Published : Nov 18, 2022, 7:32 AM IST

Updated : Nov 18, 2022, 11:35 AM IST

देहरादून: प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ (Provincial Medical Health Service Association) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. अपनी मांगों को लेकर संघ ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि सुगम और दुर्गम क्षेत्रों का गलत निर्धारण किया गया है. साथ ही कहा कि ऐसे सभी चिकित्सक जो कि सेवा के दौरान पोस्ट ग्रेजुएशन करने जाते हैं, उन्हें सरकार पूर्ण वेतन दे.

गौर हो कि लंबित मांगों को लेकर संघ ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया. बैठक में मौजूद प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि ऐसे सभी चिकित्सक जो की सेवा के दौरान पोस्ट ग्रेजुएशन करने जाते हैं, उन्हें सरकार पूर्ण वेतन दे. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत (Former Chief Minister Trivendra Rawat) ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन व्यवस्था अभी तक अमल में लाई नहीं गई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी प्रोन्नत चिकित्सकों के त्रैमासिक आदेश तत्काल जारी किए जाएं. इसके अलावा 2003 बैच के सभी चिकित्सा अधिकारियों के वेतन के संबंध में डीजी हेल्थ में पत्र जारी हुआ है और इस पत्र को संघ के साथ प्रस्तावित बैठक तक स्थगित रखा जाए.

मांगों को लेकर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने भरी हुंकार
पढ़ें-वाडिया इंस्टीट्यूट में बोले सीएम धामी, इकोनॉमी और इकोलॉजी में संतुलन बना रही सरकार

इसके अलावा संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अलग के एनएचएम ऑफिसर इंचार्ज (NHM Officer Incharge) की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि उत्तराखंड में जूनियर चिकित्सा अधिकारियों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जिम्मेदारी दे दी गई है. जबकि डीजी हेल्थ में कार्यक्रम अधिकारियों के संयुक्त निदेशक व अपर निदेशक के पद (Post of Joint Director and Additional Director) पहले से ही हैं. ऐसे में दंत चिकित्सकों के पद लंबे समय से लंबित हैं. संघ ने तत्काल रिक्त पदों पर समायोजित किए जाने की मांग उठाई है.
पढ़ें-'देवभूमि में धर्म परिवर्तन के लिए कोई जगह नहीं', धर्मांतरण कानून पर बोले CM धामी

चिकित्सकों ने इस बात पर भी सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया है कि राजकीय अवकाश पर ओपीडी को बंद नहीं रखा जाता है. ऐसे में यदि कोई अवकाश होता है तो ओपीडी को पूर्ण रूप से बंद रखा जाए और इमरजेंसी में ही मरीज देखे जाएं. चिकित्सकों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सुगम और दुर्गम क्षेत्रों का गलत निर्धारण किया गया है. जिसका खामियाजा सरकारी डॉक्टरों को भुगतना पड़ रहा है. सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में कहा कि यदि उनके मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

देहरादून: प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ (Provincial Medical Health Service Association) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. अपनी मांगों को लेकर संघ ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि सुगम और दुर्गम क्षेत्रों का गलत निर्धारण किया गया है. साथ ही कहा कि ऐसे सभी चिकित्सक जो कि सेवा के दौरान पोस्ट ग्रेजुएशन करने जाते हैं, उन्हें सरकार पूर्ण वेतन दे.

गौर हो कि लंबित मांगों को लेकर संघ ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया. बैठक में मौजूद प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि ऐसे सभी चिकित्सक जो की सेवा के दौरान पोस्ट ग्रेजुएशन करने जाते हैं, उन्हें सरकार पूर्ण वेतन दे. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत (Former Chief Minister Trivendra Rawat) ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन व्यवस्था अभी तक अमल में लाई नहीं गई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी प्रोन्नत चिकित्सकों के त्रैमासिक आदेश तत्काल जारी किए जाएं. इसके अलावा 2003 बैच के सभी चिकित्सा अधिकारियों के वेतन के संबंध में डीजी हेल्थ में पत्र जारी हुआ है और इस पत्र को संघ के साथ प्रस्तावित बैठक तक स्थगित रखा जाए.

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इसके अलावा संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अलग के एनएचएम ऑफिसर इंचार्ज (NHM Officer Incharge) की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि उत्तराखंड में जूनियर चिकित्सा अधिकारियों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जिम्मेदारी दे दी गई है. जबकि डीजी हेल्थ में कार्यक्रम अधिकारियों के संयुक्त निदेशक व अपर निदेशक के पद (Post of Joint Director and Additional Director) पहले से ही हैं. ऐसे में दंत चिकित्सकों के पद लंबे समय से लंबित हैं. संघ ने तत्काल रिक्त पदों पर समायोजित किए जाने की मांग उठाई है.
पढ़ें-'देवभूमि में धर्म परिवर्तन के लिए कोई जगह नहीं', धर्मांतरण कानून पर बोले CM धामी

चिकित्सकों ने इस बात पर भी सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया है कि राजकीय अवकाश पर ओपीडी को बंद नहीं रखा जाता है. ऐसे में यदि कोई अवकाश होता है तो ओपीडी को पूर्ण रूप से बंद रखा जाए और इमरजेंसी में ही मरीज देखे जाएं. चिकित्सकों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सुगम और दुर्गम क्षेत्रों का गलत निर्धारण किया गया है. जिसका खामियाजा सरकारी डॉक्टरों को भुगतना पड़ रहा है. सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में कहा कि यदि उनके मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

Last Updated : Nov 18, 2022, 11:35 AM IST
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