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दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन का सर्वजन स्वराज पार्टी ने किया समर्थन, किसान हुए मुखर - Opposition to Agricultural Law

देहरादून में भी किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए सर्वजन स्वराज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क में मोदी सरकार के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाकर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं रुड़की और रुद्रप्रयाग में भी किसानों ने प्रदर्शन कर गुस्से का इजहार किया.

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किसान हुए मुखर
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Published : Nov 27, 2020, 6:40 PM IST

देहरादून/रुड़की/रुद्रप्रयाग : दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों का विरोध-प्रदर्शन हिंसक होता जा रहा है. जिसका असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला. प्रदेश के कई हिस्सों में किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपना रोष जताया. राजधानी देहरादून में भी किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए सर्वजन स्वराज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क में मोदी सरकार के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाकर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं रुड़की और रुद्रप्रयाग में भी किसानों ने प्रदर्शन कर गुस्से का इजहार किया.

सर्वजन स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. सर्वजन स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेश्वर भट्ट का कहना है कि नए कृषि कानून से किसानों में व्याप्त रोष है और यह बिल वापस होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए काले बिल वापस न लेने पर सर्वजन स्वराज पार्टी आगामी 11 दिसंबर को सचिवालय कूच करने जा रही है. जिसमें हजारों नौजवान,मातृशक्ति, गरीब मजदूर कृषि कानूनों को वापसी लेने की मांग करेंगे. साथ ही राज्य सरकार से राज्य बनने से अब तक 20 साल का जवाब व हिसाब भी लिया जाएगा. बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों का जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन जारी है. किसानों की मांगों के समर्थन में राजनीतिक पार्टियों भी सड़कों पर उतर रही हैं. वहीं कृषि कानूनों को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया जा रहा है.

पढ़ें-प्रदेश में पहली बार पशुओं के टीकाकरण के साथ की जा रही टैगिंग, ऑनलाइन मिलेगी सारी जानकारी

रुड़की में भी किसानों ने किया प्रदर्शन

कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली कूच कर रहे किसानों के समर्थन में प्रदेशभर से आए किसान और भारतीय किसान यूनियन उतर आए हैं. जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में भाकियू ने जाम लगा रखा है. वहीं उत्तराखंड में भी भाकियू के द्वारा नेशनल हाईवे- 58 पर जाम लगा दिया गया और ट्रैक्टर ट्राली हाईवे के बीचो-बीच लगाकर धरने पर बैठ गए. वहीं किसानों का कहना है कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है तब तक किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.

इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष विजय कुमार शास्त्री ने कहा है कि जब तक सरकार का किसानों पर अत्याचार नहीं रुकता तब तक यह आंदोलन पूरे देश में जारी रहेगा. वहीं मौके पर पहुंची रूड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने किसानों की बात सुनीं. जिसके बाद किसानों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपकर धरना समाप्त किया.

पढ़ें-छात्रों ने गढ़वाली और संस्कृत भाषा में लिखे जागरूकता स्लोगन, पुलिस करेगी सम्मानित

रुद्रप्रयाग में भी किसान हुए मुखर

अखिल भारतीय किसान सभा मण्डल ऊखीमठ, फाटा और गुप्तकाशी ने किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ तहसील ऊखीमठ में धरना देते हुए उप जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा. साथ ही किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर क्षेत्रीय समस्याओं के निस्तारण की मांग की. किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष राजाराम सेमवाल ने केन्द्र सरकार गलत नीतियों के कारण देश का विकास ठप हो गया है. आम वर्ग का व्यक्ति महंगाई से त्रस्त है तो किसान जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ज्ञापन भेजकर रेल सहित राष्ट्रीयकृत क्षेत्र का निजीकरण बंद किये जाने की मांग की गई है. साथ ही मजदूर विरोधी श्रम कानूनों, किसान विरोधी कृषि कानूनों, शिक्षा विरोधी एनईपी को रद्द किये जाने की मांग की.

वहीं दूसरी ओर बसुकेदार में भी किसान सभा मण्डल के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने तहसील परिसर में किसान विरोधी नीतियों को लेकर धरना दिया. इधर, किसान सभा के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी मजुल गोयल को ज्ञापन प्रेषित कर क्षेत्रीय समस्याओं के निस्तारण की मांग की. ज्ञापन में कहा गया कि तहसील ऊखीमठ में उप जिलाधिकारी, तहसीदार की स्थायी तैनाती की जाए. एनएच द्वारा चारधाम सड़क निर्माण किया जा रहा है. रुद्रप्रयाग-फाटा राजमार्ग पर कार्य कर रही निर्माणदायी संस्था आरजीबी ने क्षेत्रीय ग्रामीणों की भूमि, जंगल, रास्तों व पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचाया है. डंपिंग जोन न बनाये जाने से किसानों की निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया है. कंपनी को ग्रामीणों के नुकसान की जल्द भरपाई करनी चाहिए. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि शीघ्र समस्याओं को निस्तारण नहीं किया गया तो किसान सभा क्षेत्रीय जनता को साथ लेकर सड़कों पर आंदोलन करने के लिए विवश होगी.

देहरादून/रुड़की/रुद्रप्रयाग : दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों का विरोध-प्रदर्शन हिंसक होता जा रहा है. जिसका असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला. प्रदेश के कई हिस्सों में किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपना रोष जताया. राजधानी देहरादून में भी किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए सर्वजन स्वराज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क में मोदी सरकार के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाकर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं रुड़की और रुद्रप्रयाग में भी किसानों ने प्रदर्शन कर गुस्से का इजहार किया.

सर्वजन स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. सर्वजन स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेश्वर भट्ट का कहना है कि नए कृषि कानून से किसानों में व्याप्त रोष है और यह बिल वापस होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए काले बिल वापस न लेने पर सर्वजन स्वराज पार्टी आगामी 11 दिसंबर को सचिवालय कूच करने जा रही है. जिसमें हजारों नौजवान,मातृशक्ति, गरीब मजदूर कृषि कानूनों को वापसी लेने की मांग करेंगे. साथ ही राज्य सरकार से राज्य बनने से अब तक 20 साल का जवाब व हिसाब भी लिया जाएगा. बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों का जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन जारी है. किसानों की मांगों के समर्थन में राजनीतिक पार्टियों भी सड़कों पर उतर रही हैं. वहीं कृषि कानूनों को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया जा रहा है.

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रुड़की में भी किसानों ने किया प्रदर्शन

कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली कूच कर रहे किसानों के समर्थन में प्रदेशभर से आए किसान और भारतीय किसान यूनियन उतर आए हैं. जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में भाकियू ने जाम लगा रखा है. वहीं उत्तराखंड में भी भाकियू के द्वारा नेशनल हाईवे- 58 पर जाम लगा दिया गया और ट्रैक्टर ट्राली हाईवे के बीचो-बीच लगाकर धरने पर बैठ गए. वहीं किसानों का कहना है कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है तब तक किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.

इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष विजय कुमार शास्त्री ने कहा है कि जब तक सरकार का किसानों पर अत्याचार नहीं रुकता तब तक यह आंदोलन पूरे देश में जारी रहेगा. वहीं मौके पर पहुंची रूड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने किसानों की बात सुनीं. जिसके बाद किसानों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपकर धरना समाप्त किया.

पढ़ें-छात्रों ने गढ़वाली और संस्कृत भाषा में लिखे जागरूकता स्लोगन, पुलिस करेगी सम्मानित

रुद्रप्रयाग में भी किसान हुए मुखर

अखिल भारतीय किसान सभा मण्डल ऊखीमठ, फाटा और गुप्तकाशी ने किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ तहसील ऊखीमठ में धरना देते हुए उप जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा. साथ ही किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर क्षेत्रीय समस्याओं के निस्तारण की मांग की. किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष राजाराम सेमवाल ने केन्द्र सरकार गलत नीतियों के कारण देश का विकास ठप हो गया है. आम वर्ग का व्यक्ति महंगाई से त्रस्त है तो किसान जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ज्ञापन भेजकर रेल सहित राष्ट्रीयकृत क्षेत्र का निजीकरण बंद किये जाने की मांग की गई है. साथ ही मजदूर विरोधी श्रम कानूनों, किसान विरोधी कृषि कानूनों, शिक्षा विरोधी एनईपी को रद्द किये जाने की मांग की.

वहीं दूसरी ओर बसुकेदार में भी किसान सभा मण्डल के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने तहसील परिसर में किसान विरोधी नीतियों को लेकर धरना दिया. इधर, किसान सभा के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी मजुल गोयल को ज्ञापन प्रेषित कर क्षेत्रीय समस्याओं के निस्तारण की मांग की. ज्ञापन में कहा गया कि तहसील ऊखीमठ में उप जिलाधिकारी, तहसीदार की स्थायी तैनाती की जाए. एनएच द्वारा चारधाम सड़क निर्माण किया जा रहा है. रुद्रप्रयाग-फाटा राजमार्ग पर कार्य कर रही निर्माणदायी संस्था आरजीबी ने क्षेत्रीय ग्रामीणों की भूमि, जंगल, रास्तों व पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचाया है. डंपिंग जोन न बनाये जाने से किसानों की निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया है. कंपनी को ग्रामीणों के नुकसान की जल्द भरपाई करनी चाहिए. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि शीघ्र समस्याओं को निस्तारण नहीं किया गया तो किसान सभा क्षेत्रीय जनता को साथ लेकर सड़कों पर आंदोलन करने के लिए विवश होगी.

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