देहरादून: उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा संगठन में जद्दोजहद चल रहा है, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर नहीं लगी है. जहां, केंद्रीय भाजपा संगठन मुख्यमंत्री चयन को लेकर लगातार बैठकें कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर 21 मार्च यानी आज सुबह प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत सभी नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा में शपथ दिलाएंगे.
इससे पहले सोमवार सुबह बंशीधर भगत राजभवन पहुंचेंगे. जहां राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और फिर राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत को राजभवन में ही शपथ दिलाएंगे. प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ लेने के बाद बंशीधर भगत करीब 11 बजे विधानसभा पहुंचेंगे, जहां नवनिर्वाचित सभी सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे. इसके लिए विधानसभा और सचिवालय में तैयारियां शुरू कर दी गई है. चर्चा है कि भाजपा के विधायक मंडल दल की बैठक होने से पहले ही सभी विधायकों को शपथ दिला दिया जाएगा.
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कौन हैं बंशीधर भगत: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होकर राजनीति में आए बंशीधर भगत 1975 में जनसंघ पार्टी से जुड़े थे. उन्होंने सबसे पहले किसान संघर्ष समिति का मोर्चा संभाला था. रामजन्म भूमि आन्दोलन के दौरान बंशीधर भगत करीब 23 दिन अल्मोड़ा जेल में भी रहे. साल 1989 में बंशीधर भगत ने नैनीताल-ऊधम सिंह नगर जिले में अध्यक्ष पद संभाला. 1991 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में नैनीताल से विधायक बने. 1993 में दूसरी और 1996 में तीसरी बार नैनीताल से विधायक बने.
इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री, पर्वतीय विकास मंत्री, वन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला. वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वह उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री रहे. वर्ष 2007 में हल्द्वानी विधानसभा से वह चौथी बार विधायक बने. उत्तराखंड सरकार में उन्हें वन और परिवहन मंत्री बनाया गया.
इसके बाद 2012 में परिसीमन के बाद कालाढूंगी विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में छठी जीत दर्ज की. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद कैबिनेट मंत्री के रूप में 2022 के चुनाव में सातवीं बार कालाढूंगी से इस बार भी जीत दर्ज की है.
जानिए कौन होता है प्रोटेम स्पीकर: आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) का चुनाव कराना होता है. आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते हैं और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है. ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने.
प्रोटेम स्पीकर का कर्तव्य: प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर (Pro Tempore) का संक्षिप्त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए.' प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है, जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती. यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता.