देहरादून: कोरोना संकट को देखते हुए देश को 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में मेडिकल स्टोर्स में मास्क व हैंड ग्लव्ज और सैनिटाइजर के साथ ही जीवनरक्षक दवाओं की मांग बढ़ी है. लोगों घरों में जीवनरक्षक दवाओं का स्टॉक रख रहे हैं. ऐसे में लोगों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि आखिर मार्केट में दवाइयों का स्टॉक है कि नहीं. ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की और दवा मार्केट का हाल जाना.
लॉकडाउन के शुरुआती दौर में केमिस्ट शॉप और दवाइयों के सप्लायर को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस वक्त प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोर्स पर दवाइयों की कोई कमी नहीं है. इसको लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने उत्तराखंड केमिस्ट सप्लायर एसोसिएशन के अध्यक्ष नवनीत मल्होत्रा से बात की. उन्होंने बताया कि बाजार में दवा के स्टॉक को मेंटेन किया गया है. इसके लिए प्रशासन से पूरा सहयोग मिल रहा है. सभी को दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है.
नवनीत मल्होत्रा के मुताबिक लॉकडाउन की शुरुआत में दवाओं के स्टॉक में थोड़ी कमी जरूर आई थी लेकिन लॉकडाउन 2.0 में अंतरराज्यीय यातायात का संचालन होने से मार्केट अभी अच्छी स्थिति में है. इसके लिए उन्हें शासन-प्रशासन पूरा सहयोग मिल रहा है. इस लिए अभी दवाइयों का स्टॉक भरपूर है.
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लॉकडाउन में दवाइयों की डिमांड और स्टॉक को लेकर नेहरू कॉलोनी में स्थित केमिस्ट शॉप के संचालक अरविंद ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक हैं. बीमार कम पड़ रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं. उन्होंने बाजार में दवा की उपलब्धता को लेकर कहा कि एजेंसियों के पास दवाइयों का पूरा स्टॉक है. इसलिए छोटे केमिस्ट को भी समय से दवाइयां मिल रही हैं.
कोरोना काल में दवा की डिमांड बढ़ी
- कोरोना संकट में लोग रख रहे अपनी सेहत का ध्यान.
- लॉकडाउन 2.0 में रेगुलर दवाइयों की बढ़ी डिमांड.
- डायबिटीज, बीपी की दवाइयों की बाजार में खासी मांग.
- लॉकडाउन के पहले चरण में रही दवाइयों की शॉर्टेज.
- लॉकडाउन 2.0 में नहीं है दवाइयों की कोई कमी.
- सभी जरूतमंदों को समय पर मिल रहीं दवाइयां.
- इस वक्त बाजार में दवाइयों का 75% स्टॉक सुरक्षित.
कोरोना संकट में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले से अधिक जागरुक हैं. इसलिए मेडिकल स्टोर्स पर लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने भी इसके लिए पूरी तैयारियां की हैं. ट्रांसपोर्ट चलने से केमिस्ट और एजेंसियों तक दवाइयों का स्टॉक पहुंचने लगा है. बाजारों में दवाइयों का भरपूर स्टॉक है.