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कांग्रेस ने गुटबाजी चरम पर, प्रीतम सिंह बोले- प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव हार के बाद से नदारद

उत्तराखंड में कांग्रेस (Uttarakhand Congress) अपनी हार से भी सबक लेने को तैयार नहीं है. एक तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ा यात्रा के जरिए पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं, वही उत्तराखंड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही संगठन से नाराज चल रहे है. हरीश रावत के बाद प्रीतम सिंह (Pritam Singh) ने बड़ा बयान दिया है.

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Published : Oct 3, 2022, 9:38 PM IST

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देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस (Uttarakhand Congress) के अंदर सब कुछ सही नहीं चल रहा है. पार्टी कई गुटों में बंटी हुई साफ नजर आ रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चकरात से विधायक प्रीतम सिंह (Pritam Singh) ने एक बार उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव (Devendra Yadav) की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. प्रीतम सिंह ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की हार के बाद से देवेंद्र यादव नदारद हैं, इससे पार्टी कार्यकर्ताओं ने अच्छा संदेश नहीं जाता है.

दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की हार के बाद से ही देवेंद्र यादव बहुत कम सक्रिय दिख रहे हैं. देवेंद्र यादव उत्तराखंड दौरे पर भी बहुत कम आ रहे हैं. इस बारे में जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रीतम सिंह ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राजनीति जीवन में हार जीत चलती रहती है, वो छह बार से विधायक से हैं. लेकिन हार के बाद कभी निराश नहीं होना चाहिए, उससे पूरा दल संशय की स्थिति में आ जाता है.
पढ़ें- हरदा ने राजनीति से संन्यास लेने का बनाया मन!, बोले- 'उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं बदलेगी'

प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की हार हुई तो ऐसे में दोगुने उत्साह के साथ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी को उत्तराखंड आना चाहिए और कांग्रेस को खड़ा करना चाहिए. लेकिन पार्टी के प्रदेश प्रभारी उत्तराखंड से नदारद हैं. प्रीतम सिंह का कहना है कि हरिद्वार पंचायत चुनाव में कांग्रेस लड़ते हुए भी दिखाई नहीं दी. ऐसे समय में प्रदेश प्रभारी को उत्तराखंड होना चाहिए था लेकिन वह नदारद हैं.

बता दें कि प्रीतम सिंह से पहले हरीश रावत का भी सोशल मीडिया पर एक बयान आया है. जिसमें उन्होंने भी पार्टी संगठन पर सवाल खड़े किए हैं. हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं लगता अपने को बदलेगी. इसीलिए उन्होंने थोड़ा आराम करने के मन बनाया है. हरीश रावत ने इशारों-इशारों में राजनीति से संन्यास लेने की बात भी कही है. प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बयानों से एक बात तो साफ है कि कांग्रेस संगठन लगातार मिल रही हार के बाद भी अपने आप को बदलना नहीं चाहता है. बड़े नेताओं के इन बयानों से साफ पता चल रहा है कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है.

देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस (Uttarakhand Congress) के अंदर सब कुछ सही नहीं चल रहा है. पार्टी कई गुटों में बंटी हुई साफ नजर आ रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चकरात से विधायक प्रीतम सिंह (Pritam Singh) ने एक बार उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव (Devendra Yadav) की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. प्रीतम सिंह ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की हार के बाद से देवेंद्र यादव नदारद हैं, इससे पार्टी कार्यकर्ताओं ने अच्छा संदेश नहीं जाता है.

दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की हार के बाद से ही देवेंद्र यादव बहुत कम सक्रिय दिख रहे हैं. देवेंद्र यादव उत्तराखंड दौरे पर भी बहुत कम आ रहे हैं. इस बारे में जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रीतम सिंह ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राजनीति जीवन में हार जीत चलती रहती है, वो छह बार से विधायक से हैं. लेकिन हार के बाद कभी निराश नहीं होना चाहिए, उससे पूरा दल संशय की स्थिति में आ जाता है.
पढ़ें- हरदा ने राजनीति से संन्यास लेने का बनाया मन!, बोले- 'उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं बदलेगी'

प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की हार हुई तो ऐसे में दोगुने उत्साह के साथ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी को उत्तराखंड आना चाहिए और कांग्रेस को खड़ा करना चाहिए. लेकिन पार्टी के प्रदेश प्रभारी उत्तराखंड से नदारद हैं. प्रीतम सिंह का कहना है कि हरिद्वार पंचायत चुनाव में कांग्रेस लड़ते हुए भी दिखाई नहीं दी. ऐसे समय में प्रदेश प्रभारी को उत्तराखंड होना चाहिए था लेकिन वह नदारद हैं.

बता दें कि प्रीतम सिंह से पहले हरीश रावत का भी सोशल मीडिया पर एक बयान आया है. जिसमें उन्होंने भी पार्टी संगठन पर सवाल खड़े किए हैं. हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं लगता अपने को बदलेगी. इसीलिए उन्होंने थोड़ा आराम करने के मन बनाया है. हरीश रावत ने इशारों-इशारों में राजनीति से संन्यास लेने की बात भी कही है. प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बयानों से एक बात तो साफ है कि कांग्रेस संगठन लगातार मिल रही हार के बाद भी अपने आप को बदलना नहीं चाहता है. बड़े नेताओं के इन बयानों से साफ पता चल रहा है कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है.

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