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देवस्थानम् बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तीर्थ पुरोहित, कांग्रेस ने सत्ता में आने पर किया ये दावा

नैनीताल हाईकोर्ट से चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड को लेकर दायर याचिका खारिज हो गई है. अब बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और चार धामों के तीर्थ पुरोहित व हक-हकूकधारी अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं.

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Published : Jul 21, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 8:36 PM IST

chardham
चारधाम

देहरादूनः चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड को लेकर दायर की गई याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को राहत देते हुए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और चार धामों के तीर्थ पुरोहित व हक-हकूकधारी अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का माना है कि अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. उधर, कांग्रेस ने खुद को न्यायालय से दूर बताते हुए सत्ता में काबिज होने के बाद देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड को भंग करने की बात कही है.

देवस्थानम् बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तीर्थ पुरोहित.

बता दें कि राज्य सरकार ने चारधामों समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को शामिल करते हुए चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड का गठन किया है. जिसमें चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाओं की कमान सरकार के हाथों में होगी, लेकिन देवस्थानम् बोर्ड का विरोध जारी है. हालांकि, इन्हीं विरोध के चलते बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने देवस्थानम् बोर्ड को असंवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने देवस्थानम् बोर्ड पर दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

ये भी पढ़ेंः बना रहेगा देवस्थानम् बोर्ड, नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वामी की याचिका की खारिज

ऐसे में अब सुब्रमण्यम स्वामी और बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का ही रास्ता बचा है. जहां एक ओर बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है तो वहीं, तीर्थ पुरोहित भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कह रहे हैं.

डिमरी पंचायत समाज के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि राज्य सरकार ने तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों का बिना मन जाने देवस्थानम् बोर्ड को पारित किया था. जो आज एक्ट के रूप में प्रभावी है. हालांकि, इस मामले में हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है. अब हाई कोर्ट के जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. साथ ही बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बात को भी स्पष्ट कर दिया है कि हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

ये भी पढ़ेंः हाईकोर्ट ने देवस्थानम् बोर्ड के गठन को ठहराया सही, महाराज बोले- सुब्रमण्यम स्वामी को मिल गया जवाब

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि मामले में कांग्रेस का न्यायिक प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है. साथ ही सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि आगामी 2022 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही देवस्थानम् बोर्ड को भंग कर, पुरानी व्यवस्था को लागू किया जाएगा. क्योकि, इस कानून को बिना पंडा-पुरोहित समाज और स्थानीय जनता को विश्वास में लिए राज्य सरकार ने बनाया है.

ऐसे में कांग्रेस को यह कानून स्वीकार्य नहीं है. इतना ही नहीं धस्माना ने कहा कि कांग्रेस न्यायालय का सम्मान करती है, लेकिन इस कानून के बारे में कांग्रेस की जो राय है. उसका न्यायिक निर्णय से कोई लेना देना नहीं है.

ये भी पढ़ेंः पर्यटक करेंगे किसानों की समस्या का समाधान, महकमे ने तैयार किया खाका

वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी पर कुछ भी कहने से मना कर दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता सभी के पास है. अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. क्योंकि तीर्थ पुरोहितों के हक-हकहकूक और परंपराओं को सुरक्षित रखा जाएगा.

उधर, डिमरी पंचायत समाज के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि अगर राज्य सरकार को न्यायालय से बचना था तो उन्हें इस बोर्ड को सदन में लाने से पहले तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों से सलाह- मशवरा करना चाहिए था.

देहरादूनः चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड को लेकर दायर की गई याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को राहत देते हुए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और चार धामों के तीर्थ पुरोहित व हक-हकूकधारी अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का माना है कि अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. उधर, कांग्रेस ने खुद को न्यायालय से दूर बताते हुए सत्ता में काबिज होने के बाद देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड को भंग करने की बात कही है.

देवस्थानम् बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तीर्थ पुरोहित.

बता दें कि राज्य सरकार ने चारधामों समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को शामिल करते हुए चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड का गठन किया है. जिसमें चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाओं की कमान सरकार के हाथों में होगी, लेकिन देवस्थानम् बोर्ड का विरोध जारी है. हालांकि, इन्हीं विरोध के चलते बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने देवस्थानम् बोर्ड को असंवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने देवस्थानम् बोर्ड पर दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

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ऐसे में अब सुब्रमण्यम स्वामी और बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का ही रास्ता बचा है. जहां एक ओर बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है तो वहीं, तीर्थ पुरोहित भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कह रहे हैं.

डिमरी पंचायत समाज के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि राज्य सरकार ने तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों का बिना मन जाने देवस्थानम् बोर्ड को पारित किया था. जो आज एक्ट के रूप में प्रभावी है. हालांकि, इस मामले में हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है. अब हाई कोर्ट के जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. साथ ही बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बात को भी स्पष्ट कर दिया है कि हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

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कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि मामले में कांग्रेस का न्यायिक प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है. साथ ही सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि आगामी 2022 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही देवस्थानम् बोर्ड को भंग कर, पुरानी व्यवस्था को लागू किया जाएगा. क्योकि, इस कानून को बिना पंडा-पुरोहित समाज और स्थानीय जनता को विश्वास में लिए राज्य सरकार ने बनाया है.

ऐसे में कांग्रेस को यह कानून स्वीकार्य नहीं है. इतना ही नहीं धस्माना ने कहा कि कांग्रेस न्यायालय का सम्मान करती है, लेकिन इस कानून के बारे में कांग्रेस की जो राय है. उसका न्यायिक निर्णय से कोई लेना देना नहीं है.

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वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी पर कुछ भी कहने से मना कर दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता सभी के पास है. अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. क्योंकि तीर्थ पुरोहितों के हक-हकहकूक और परंपराओं को सुरक्षित रखा जाएगा.

उधर, डिमरी पंचायत समाज के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि अगर राज्य सरकार को न्यायालय से बचना था तो उन्हें इस बोर्ड को सदन में लाने से पहले तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों से सलाह- मशवरा करना चाहिए था.

Last Updated : Jul 21, 2020, 8:36 PM IST
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