देहरादूनः उत्तराखंड में अप्रैल महीने से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है. इस बार की चारधाम यात्रा राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती के रूप में होगी. साल 2022 में हुई यात्रा के दौरान जितनी फजीहत उत्तराखंड सरकार और पूरे सिस्टम की हुई, वो किसी से छुपी नहीं है. वहीं, इस बार यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या भी डबल आने की उम्मीद जताई जा रही है. ऊपर से जोशीमठ में दरारों की बात हो या फिर स्वास्थ्य और दूसरी व्यवस्थाओं का मुकम्मल होना, ऐसे में साल 2023 की चारधाम यात्रा को सकुशल संपन्न कराना बड़ी चुनौती है.
जोशीमठ में घरों, सड़कों और पहाड़ों में आ रही दरारें आए दिन बढ़ती जा रही हैं. ऊपर से चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी सरकार को परेशानी में डाल सकती है. बीते साल जिस तरह से यात्रा ने सभी रिकॉर्ड तोड़े थे उसके बाद उम्मीद यही जताई जा रही है कि इस बार की यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल 2022 से भी अधिक रहेगी. बीते साल हुई यात्रा के दौरान सैकड़ों लोगों ने व्यवस्था सही न होने से दम तोड़ा था, कई जानवरों की भी मौत हुई थी. ऐसे में साल 2023 में शुरू होने जा रही इस चारधाम यात्रा में कई चुनौतियां हैं जो सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती हैं.
1- जोशीमठ भू-धंसाव बनेगा समस्याः उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बदरीनाथ है. हालांकि, केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या बीते कुछ सालों से बढ़ी है लेकिन आज भी सबसे अधिक भीड़ बदरीनाथ धाम में ही होती है. बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब को जाने वाला रास्ता जोशीमठ शहर से होकर गुजरता है. ऐसे में बीते दिनों से जोशीमठ शहर में आ रही दरारें कहीं इस यात्रा को बाधित न कर दें, ये बड़ा सवाल है.
हालांकि, जोशीमठ का एक छोटा हिस्सा ही इस आपदा से गुजर रहा है. लेकिन जब यात्रा के दौरान सैकड़ों की तादाद में वाहन बदरीनाथ की तरफ जाते हैं तो यह रास्ता उनके लिए मुख्य पड़ाव होता है. ऐसे में कई बार इन रास्तों पर लंबे-लंबे जाम भी लग जाते हैं. राज्य सरकार और सिस्टम के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगा. जब अचानक से वाहनों का दबाव जोशीमठ शहर पर पड़ेगा कहीं शहर में आई दरारें और अधिक न हो जाएं.
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भू-वैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी जोशी कहते हैं कि, जोशीमठ के जिस स्थान पर यह दरारें आ रही हैं, अगर वहां पर बड़ी-बड़ी मशीनें लगातार काम करती रहीं तो उसके कंपन से और गाड़ियों के दबाव से दरारों में इजाफा होगा. ऐसे में राज्य सरकार को बहुत सोच समझकर कदम उठाना होगा. अच्छा होगा कि उस रास्ते का प्रयोग न के बराबर किया जाए. अगर ऐसा होता है तो हमें तैयार रहना होगा क्योंकि यात्रा के दौरान सुबह से लेकर शाम तक गाड़ियों की संख्या उस रूट पर निरंतर चलती रहती हैं.
2- भक्तों के मौत के आंकड़े रोकना चुनौतीः जोशीमठ के साथ-साथ इस बार उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बीते सालों के मुताबिक बेहद कम बर्फबारी हुई है. ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि यात्रा सीजन के दौरान तेज गर्मी होगी और बारिश की संभावना भी अधिक रहेगी. लिहाजा मानसून सीजन में बारिश यात्रा का मिजाज न बिगाड़े इसका भी राज्य सरकार को पूरा ध्यान रखना होगा.
खासकर जोशीमठ में अधिक बारिश खतरे से खाली नहीं है. जोशीमठ के पहाड़ों में जिस तरह से नमी के बाद दरारें आ रही हैं, वो मानसून में और भी ज्यादा खतरनाक हो जाएंगी. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग को इस ओर भी ध्यान देना होगा कि यात्रा पर इसका कोई असर न पड़े.
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वहीं दूसरी ओर बीते साल जिस तरह से केदारनाथ धाम में 281 भक्तों की मौत हुई थी, उसने भी स्वास्थ्य विभाग और सरकार की तैयारियों पर कई सवाल खड़े कर दिए थे. अब आगामी यात्रा में ये मौतें दोबारा न हों इसके लिए सरकार की तरफ से फिर से बड़े बड़े वादे किए जा रहे हैं. इसके साथ ही पिछले साल केदारनाथ और यमुनोत्री में सैकड़ों घोड़े-खच्चरों की मौत भी चारधाम यात्रा में खूब चर्चा में रही थी. इस बार भी भक्तों की अधिक भीड़ इनका प्रयोग करेगी, ऐसे में पशुओं की रक्षा करना भी बड़ी चुनौती होगी.
जोशीमठ को लेकर अधिकारी और सरकार क्या कहते हैंः उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू कहते हैं कि जोशीमठ को लेकर सरकार ने रणनीति बनाई है. जोशीमठ में यात्रा के लिए परमानेंट आपदा कंट्रोल रूम बनाया जाएगा ताकि अगर कोई सूचना मिलती है तो तुरंत उस पर एक्शन हो सके. साथ ही बड़ी-बड़ी मशीनें भी उस क्षेत्र में तैनात रहेंगी ताकि किसी भी कारण से अगर सड़क बंद होती है तो सड़क पर दवाब न पड़े और गाड़ियां चलती रहें. मुख्य सचिव ने बताया कि, वैज्ञानिक और एक्सपर्ट की टीम भी मौके पर तैनात रहेंगी ताकि अगर दरारें बढ़ीं तो तुरंत उस पर काम किया जा सके.
वहीं, पर्यटन और पीडब्लूडी मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं कि चारधाम यात्रा में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. मंत्री ने देशभर से यात्रियों को विश्वास दिलाया कि वो उत्तराखंड चारधाम यात्रा में जरूर आएं. अगर कुछ भी होता है तो उस पर तुरंत काबू पाया जा सके इसके लिए भी पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं.