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जौनसार बावर में माघ मरोज पर्व की धूम, लोकगीतों पर पूरे माह थिरकेंगे लोग

जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में माघ मरोज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व परंपरागत तरीके से यह पर्व 28 गते पूस से शुरू हो जाता है और एक महीने तक मनाया जाता है.

vikasnagar
माघ मरोज पर्व की शुरू हुई तैयारी
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Published : Jan 3, 2020, 3:07 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 1:32 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में माघ मरोज पर्व को लेकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह है. लोगों ने बताया कि ये पर्व जनवरी के दूसरे हफ्ते में मनाया जाता है. यह पर्व परंपरागत तरीके से यह पर्व 28 गते पूस से शुरू हो जाता है और एक महीने तक मनाया जाता है. त्योहार के दौरान लोग खंजरी और ढोलक की थाप लोकनृत्य करते हैं.

माघ मरोज पर्व की शुरू हुई तैयारी

जौनसार बावर के लोग माघ मरोज पर्व को जनवरी के दूसरे हफ्ते में मनाते है, जिसको लेकर लोगों ने सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली हैं. बताया जा रहा है कि ये त्योहार एक महीने तक मनाया जाता है. इस दौरान हर गांव के पंचायती आंगन, लोक संस्कृति से गुलजार रहेंगे. वहीं, ये त्योहार सिद्ध पीठ महासू देवता के मंदिर में शुरू हो जाएगा.

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लोगों की मान्यता है कि एक समय जौनसार बावर क्षेत्र में किरमिर राक्षस की दहशत थी. वह हर रोज एक मनुष्य को अपना निवाला बनाता था. लोगों ने राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए महासू देवता की पूजा-अर्चना की. महासू देवता के निर्देश पर सेनापति कैलू देवता ने किरमिर राक्षस का वध कर दिया था. इसी खुशी में जौनसार बावर के सभी लोग माघ मरोज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. वहीं, कैलू मंदिर में बलि वाले बकरे के मांस का कुछ हिस्सा किरमिर राक्षस के नाम पर टौंस नदी में बहाया जाता है.

ये भी पढ़ें: सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना पड़ा महंगा, 100 से ज्यादा लोगों के काटे चालान

वहीं, स्थानीय स्याना शांत सिंह पंवार ने बताया कि जौनसार बावर क्षेत्र में सदियों से मरोज पर्व मनाने की परंपरा है. परंपरागत तरीके से यह पर्व 28 गते पूस से शुरू हो जाता है. फिर उसके बाद इसको पूरे एक महीने मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस दौरान जौनसार बावर के हर घर में विशेष दावतों का आयोजन किया जाता है. वहीं. घरों में खंजरी और ढोलक की थाप पर नाच-गाना भी होता है.

विकासनगर: जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में माघ मरोज पर्व को लेकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह है. लोगों ने बताया कि ये पर्व जनवरी के दूसरे हफ्ते में मनाया जाता है. यह पर्व परंपरागत तरीके से यह पर्व 28 गते पूस से शुरू हो जाता है और एक महीने तक मनाया जाता है. त्योहार के दौरान लोग खंजरी और ढोलक की थाप लोकनृत्य करते हैं.

माघ मरोज पर्व की शुरू हुई तैयारी

जौनसार बावर के लोग माघ मरोज पर्व को जनवरी के दूसरे हफ्ते में मनाते है, जिसको लेकर लोगों ने सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली हैं. बताया जा रहा है कि ये त्योहार एक महीने तक मनाया जाता है. इस दौरान हर गांव के पंचायती आंगन, लोक संस्कृति से गुलजार रहेंगे. वहीं, ये त्योहार सिद्ध पीठ महासू देवता के मंदिर में शुरू हो जाएगा.

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लोगों की मान्यता है कि एक समय जौनसार बावर क्षेत्र में किरमिर राक्षस की दहशत थी. वह हर रोज एक मनुष्य को अपना निवाला बनाता था. लोगों ने राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए महासू देवता की पूजा-अर्चना की. महासू देवता के निर्देश पर सेनापति कैलू देवता ने किरमिर राक्षस का वध कर दिया था. इसी खुशी में जौनसार बावर के सभी लोग माघ मरोज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. वहीं, कैलू मंदिर में बलि वाले बकरे के मांस का कुछ हिस्सा किरमिर राक्षस के नाम पर टौंस नदी में बहाया जाता है.

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वहीं, स्थानीय स्याना शांत सिंह पंवार ने बताया कि जौनसार बावर क्षेत्र में सदियों से मरोज पर्व मनाने की परंपरा है. परंपरागत तरीके से यह पर्व 28 गते पूस से शुरू हो जाता है. फिर उसके बाद इसको पूरे एक महीने मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस दौरान जौनसार बावर के हर घर में विशेष दावतों का आयोजन किया जाता है. वहीं. घरों में खंजरी और ढोलक की थाप पर नाच-गाना भी होता है.

Intro:विकासनगर जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में माघ मरोज पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है जनवरी के दूसरे सप्ताह में मनाए जाने वाले इस पर्व के लिए लोग बकरों की खरीदारी करने में भी लगे हुए हैं यह पर्व एक माह तक मनाया जाता है


Body:जौनसार बावर मैं माघ मरोज पर्व जनवरी जनवरी के दूसरे सप्ताह में मनाए जाने वाले इस पर्व के लिए लोगों ने बकरों की खरीदारी शुरू की है तो वहीं कुछ लोगों ने घरों में ही बकरे पाले हुए हैं यह पर्व एक माह तक मनाया जाता है इस दरमियान हर गांव के पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार रहेंगे पर्व की शुरुआत सिद्ध पीठ महासू देवता मंदिर हनोल के पास स्थित कैलू महाराज के मंदिर में चुराज के बकरे को काटने के साथ होगा इसके बाद समूचे इलाके में यह त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा

मान्यता अनुसार एक समय जौनसार बावर क्षेत्र में किरमिर राक्षस की दहशत थी वह हर रोज एक मनुष्य का भक्षण करता था लोगों ने राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए महासू देवता की पूजा अर्चना की महासू देवता के निर्देश पर सेनापति कैलू देवता ने किरमिर राक्षस का वध किया था इसी खुशी में जौनसार बावर के सभी लोग माघ मरोज का जश्न धूमधाम से मनाते हैं कैलू मंदिर में कटने वाले बकरे के मांस का कुछ हिस्सा किरमिर राक्षस के नाम पर टॉस नदी में बहाया जाता है.


Conclusion:स्थानीय स्याना शांत सिंह पवार का कहना है कि सदियों से मरोज पर्व मनाने की परंपरा है महासू देवता के सहायक देवी देवता के नाम से बकरे का बलिदान दिया जाता है और परंपरागत तरीके से यह पर्व 28 गते पुस से शुरू हो जाता है वह 1 माह तक मनाया जाता है माघ मरोज के दौरान जौनसार बावर के हर घर में दांवतो का दौर चलता है नौकरी पेशा व कारोबारी अपने पैतृक गांव आकर घर परिवार के साथ जश्न मनाते हैं रिश्तेदारों नातेदार व अन्य मेहमानों को दावत के लिए बुलाया जाता है पंचायती आंगन में ढोल दमो की थाप पर हारूल के साथ झैंता रासो तांदी नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है रात्रि भोज के बाद घरों में भी खंजरी व ढोलक की थाप पर नाच गाना होता है

बाइट_ शांत सिंह पवार_ स्याना _कनबुआ
Last Updated : Jan 4, 2020, 1:32 PM IST
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