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कोरोना संकट के बीच राजधानी में बड़ा खतरा, मलिन बस्तियों में हो सकता है जनसंख्या 'विस्फोट'

जब से प्रदेश में संपूर्ण लॉकडाउन जारी किया गया, तब से मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को न ही सेनेटरी पैड वितरित किए गए और न ही गर्भनिरोधक गोलियां. ऐसे में शहर की 10 लाख से ज्यादा आबादी वाली मलिन बस्तियों में जनसंख्या विस्फोट का खतरा काफी बढ़ गया है.

मलिन बस्ती
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Published : Jun 8, 2020, 9:18 PM IST

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बीच राजधानी की 132 पंजीकृत मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाएं विभिन्न तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझ रही हैं. स्थिति ये है कि बीती 23 मार्च से जब से प्रदेश में संपूर्ण लॉकडाउन जारी किया गया, तब से इन मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को न ही सेनेटरी पैड वितरित किए गए और न ही गर्भनिरोधक गोलियां. ऐसे में शहर की 10 लाख से ज्यादा आबादी वाली मलिन बस्तियों में जनसंख्या विस्फोट का खतरा काफी बढ़ गया है.

बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की कुछ इन्हीं समस्याओं को समझने के लिए ईटीवी भारत ने बस्तियों में रहने वाली महिलाओं से बात की. इन महिलाओं ने बताया कि पिछले लंबे वक्त से उनकी बस्तियों में न ही स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं और न ही उन्हें सेनेटरी पैड और गर्भनिरोधक जैसी जरूरी गोलियां उपलब्ध कराई जा रही हैं.

मलिन बस्तियों में हो सकता है जनसंख्या 'विस्फोट'

ऐसे में महिलाओं को विभिन्न तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. बस्तियों में रहने वाली महिलाएं बताती हैं कि सामान्य दिनों में अक्सर उनकी बस्तियों में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते थे. इस दौरान चिकित्सकों की ओर से महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम और आयरन फॉलिक कैप्सूल भी दिए जाते थे. लेकिन पिछले लंबे समय से सरकार ने महिलाओं तक इन जरूरी चीजों को पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे महिलाएं अनचाहे गर्भ धारण का शिकार हो रही हैं.

वहीं, राजधानी की विभिन्न मलिन बस्तियों की महिलाओं से जुड़े इस गंभीर समस्या को लेकर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नेहा कुशवाहा भी चिंता व्यक्त कर चुकी हैं. नेहा कुशवाहा बताती हैं कि जब उनकी टीम द्वारा बस्तियों में खाद्य सामग्री वितरित की जा रही थी तो उस दौरान बस्तियों में रहने वाली महिलाओं ने उनकी टीम के समक्ष गर्भनिरोधक गोलियां न मिलने की शिकायत की थी. जिसके बाद उनके द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून के साथ ही स्वास्थ्य सचिव को भी पत्र लिखा गया.

पढ़ेंः गैरसैंण बनी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दी स्वीकृति

वहीं, बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियों की उपलब्धता न होने को लेकर जब ईटीवी भारत ने सूबे की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य से बात की तो उन्होंने आश्वस्त किया कि वह जल्द ही स्वास्थ्य महकमे को बस्ती में रहने वाली महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां इत्यादि उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करेंगी. जिससे कि बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के अनचाहे गर्भधारण की समस्या का निदान हो सके.

बहरहाल, लॉकडाउन के बीच सरकार ने गरीब जरूरतमंदों तक विभिन्न जरूरी चीजों को पहुंचाने का पूर्ण प्रयास किया. लेकिन कहीं न कहीं सरकार को बस्तियों में महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का भी ख्याल रखना चाहिए था. अब देखना ये होगा कि राज्य मंत्री रेखा आर्य के आश्वासन के बाद आखिर कब तक बस्तियों में रहने वाली महिलाओं तक गर्भ निरोधक गोलियां पहुंच पाती हैं?

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बीच राजधानी की 132 पंजीकृत मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाएं विभिन्न तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझ रही हैं. स्थिति ये है कि बीती 23 मार्च से जब से प्रदेश में संपूर्ण लॉकडाउन जारी किया गया, तब से इन मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को न ही सेनेटरी पैड वितरित किए गए और न ही गर्भनिरोधक गोलियां. ऐसे में शहर की 10 लाख से ज्यादा आबादी वाली मलिन बस्तियों में जनसंख्या विस्फोट का खतरा काफी बढ़ गया है.

बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की कुछ इन्हीं समस्याओं को समझने के लिए ईटीवी भारत ने बस्तियों में रहने वाली महिलाओं से बात की. इन महिलाओं ने बताया कि पिछले लंबे वक्त से उनकी बस्तियों में न ही स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं और न ही उन्हें सेनेटरी पैड और गर्भनिरोधक जैसी जरूरी गोलियां उपलब्ध कराई जा रही हैं.

मलिन बस्तियों में हो सकता है जनसंख्या 'विस्फोट'

ऐसे में महिलाओं को विभिन्न तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. बस्तियों में रहने वाली महिलाएं बताती हैं कि सामान्य दिनों में अक्सर उनकी बस्तियों में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते थे. इस दौरान चिकित्सकों की ओर से महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम और आयरन फॉलिक कैप्सूल भी दिए जाते थे. लेकिन पिछले लंबे समय से सरकार ने महिलाओं तक इन जरूरी चीजों को पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे महिलाएं अनचाहे गर्भ धारण का शिकार हो रही हैं.

वहीं, राजधानी की विभिन्न मलिन बस्तियों की महिलाओं से जुड़े इस गंभीर समस्या को लेकर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नेहा कुशवाहा भी चिंता व्यक्त कर चुकी हैं. नेहा कुशवाहा बताती हैं कि जब उनकी टीम द्वारा बस्तियों में खाद्य सामग्री वितरित की जा रही थी तो उस दौरान बस्तियों में रहने वाली महिलाओं ने उनकी टीम के समक्ष गर्भनिरोधक गोलियां न मिलने की शिकायत की थी. जिसके बाद उनके द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून के साथ ही स्वास्थ्य सचिव को भी पत्र लिखा गया.

पढ़ेंः गैरसैंण बनी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दी स्वीकृति

वहीं, बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियों की उपलब्धता न होने को लेकर जब ईटीवी भारत ने सूबे की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य से बात की तो उन्होंने आश्वस्त किया कि वह जल्द ही स्वास्थ्य महकमे को बस्ती में रहने वाली महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां इत्यादि उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करेंगी. जिससे कि बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के अनचाहे गर्भधारण की समस्या का निदान हो सके.

बहरहाल, लॉकडाउन के बीच सरकार ने गरीब जरूरतमंदों तक विभिन्न जरूरी चीजों को पहुंचाने का पूर्ण प्रयास किया. लेकिन कहीं न कहीं सरकार को बस्तियों में महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का भी ख्याल रखना चाहिए था. अब देखना ये होगा कि राज्य मंत्री रेखा आर्य के आश्वासन के बाद आखिर कब तक बस्तियों में रहने वाली महिलाओं तक गर्भ निरोधक गोलियां पहुंच पाती हैं?

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