देहरादून: महाराष्ट्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे के बाद जितनी हलचल महाराष्ट्र में है. उतनी ही उत्तराखंड में भी राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है. स्थिति यह है कि भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे की मंजूरी की खबर आते ही उत्तराखंड में राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. दरअसल कोश्यारी के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड लौटने को लेकर कई नए राजनीतिक समीकरण बनने के कयास लगाए जा रहे हैं.
महाराष्ट्र के राज्यपाल रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने ऐसे कई बयान दिए हैं, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल लाकर रख दिया. शायद यही कारण है कि भगत सिंह कोश्यारी को इस तरह अचानक राज्यपाल पद से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि, इस स्थिति को भगत सिंह कोश्यारी के स्वैच्छिक रूप से इस्तीफा लेने के रूप में पेश किया जा रहा है.
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भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अनंतोगत्वा श्री @BSKoshyari जी को महाराष्ट्र के गवर्नर पद से हटा ही दिया!पहले @DrRPNishank जी शिक्षा मंत्री पद से हटाए गए,नई शिक्षा नीति बनाई लेकिन उनको पद से हटा दिया गया।कार्यकाल पूरा होने के बाद तो व्यक्ति हटते ही हैं, वह कोई असामान्य बात नहीं है..1/2 pic.twitter.com/SACktKuMKy
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भगत सिंह कोश्यारी के विवादित बयान: कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर भी विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज गुजरे जमाने के आइकॉन हैं. अब नए आईकॉन बाबासाहेब आंबेडकर और नितिन गडकरी जैसे लोग हैं.
वहीं, उन्होंने सावित्रीबाई फुले के बाल विवाह को लेकर भी विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि जब सावित्रीबाई फुले का विवाह हुआ तो, वह 10 साल की थी और उनके पति 13 साल के. ऐसे में शादी के बाद उनके मन में क्या ख्याल आए होंगे? आप समझ सकते हैं.
वहीं, भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि महाराष्ट्र से अगर गुजराती और राजस्थानी चले जाए तो महाराष्ट्र कंगाल हो जाएगा. वहीं, साल 2019 में रातों-रात देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने पर भी वह सवालों के घेरे में आ गए थे. इन सब कारणों ने कोश्यारी विवादों और सुर्खियों में रह चुके हैं. वहीं, अब उनके इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र में तो इसको लेकर घमासान है ही, लेकिन उत्तराखंड में इस पूरे घटनाक्रम से कई नए राजनीतिक समीकरणों के पैदा होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
हरीश रावत ने भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे पर ट्वीट करते हुए लिखा कि कार्यकाल के बीच में हटना कई तरीके की चिंताएं पैदा करता है. उन्होंने लिखा कि पहले रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति बनाते ही हटाया गया. कार्यकाल पूरा होने के बाद तो व्यक्ति हटते ही हैं, वह कोई असामान्य बात नहीं है. लेकिन कार्यकाल के बीच में हटना कई तरीके की चिंताएं पैदा करता है.
दरअसल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक गुरु भगत सिंह कोश्यारी के उत्तराखंड आने से राज्य में एक नया पावर सेंटर तैयार होने की उम्मीद लगाई जा रही है. माना जा रहा है कि कोश्यारी उत्तराखंड आने के बाद अपने चिर परिचित राजनीतिक रवैया के कारण सरकार को कई मौकों पर असहज कर सकते हैं.
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कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा यूं तो यह भाजपा का अंदरूनी मामला है, लेकिन जिस तरह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में बयान दिए हैं, उससे भाजपा असहज थी और इसीलिए उनका इस्तीफा लिया गया है. अब भगत सिंह कोश्यारी के उत्तराखंड वापस लौटने से सरकार की भी परेशानियां बढ़ सकती हैं.
वहीं, उत्तराखंड भाजपा के भीतर भी भगत सिंह कोश्यारी के वापसी लौटने को लेकर कुछ हलचल सी है. हालांकि, पार्टी उनके वापस लौटने को उत्तराखंड के लिए अच्छा मान रही है. और सरकार को भी उनके अनुभव का लाभ बेहतर तरीके से मिलने की बात कही जा रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल ने कहा भगत सिंह कोश्यारी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा को खड़ा करने का काम किया है. लिहाजा उनकी वापसी के बाद उत्तराखंड संरक्षक के रूप में उनकी भूमिका अहम होगी.