देहरादून: प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तमाम पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं. चुनावी 'रण' में जाने से पहले पार्टियां बूथ स्तर पर मजबूती में जुटे हुए हैं. वहीं, उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को स्थापित करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड का दौरा करने से लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन हकीकत यह है कि आम आदमी पार्टी का कमजोर संगठन पार्टी की परेशानी बना हुआ है. उधर, भारतीय जनता पार्टी जैसे बड़े संगठन के सामने अनुभवहीन नेताओं पर आप को छोड़ना वाकई चुनौतीपूर्ण है.
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने न्याय पंचायत स्तर पर कार्यकर्ताओं को जुटाकर संगठन को नई धार दे दी है, उधर पन्ना प्रमुख बनाने की नई कोशिश ने भाजपा को और भी मजबूत कर दिया है, इतना ही नहीं कांग्रेस ने भी गणेश गोदियाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अपने संगठन को नई ताकत देने की कोशिश की है. लेकिन पहली बार उत्तराखंड में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर जीतने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी बेरोजगारों और मुफ्त बिजली देने की गारंटी के साथ सत्ता तक पहुंचने का ख्वाब तो देख रही है. लेकिन हकीकत यह है कि कमजोर संगठन आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी कमजोरी दिख रही है.
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बता दें कि पार्टी में आधे से ज्यादा जिलों में जिला अध्यक्षों की तैनाती नहीं की गई है. देहरादून और पौड़ी जिले में हाल ही में जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं. उधर, पहाड़ के जिलों पर जिलाध्यक्ष देने तक की जहमत पार्टी नहीं उठा रही है. हालांकि, इस सब के बावजूद आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि पार्टी का संगठन बेहद मजबूत है और बेरोजगारों समेत लोगों को भी रजिस्ट्रेशन के लिए पार्टी के सभी कार्यकर्ता जुटे हुए हैं.
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ऐसे में अनुभवहीन नेताओं के भरोसे छोड़ा केजरीवाल ने संगठन दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को ऐसे नेताओं के भरोसे छोड़ दिया है, जो पहले किसी प्रदेश स्तरीय संगठन को चलाने का अनुभव ही नहीं रखते. संगठन में प्रवक्ताओं से लेकर पदाधिकारियों तक ऐसे लोग बनाए गए हैं जो किसी बड़े संगठन को चलाने को लेकर जानकार नहीं है.
हालांकि, आम आदमी पार्टी पूरी तरह से दिल्ली से ही ऑपरेट की जा रही है, लेकिन उत्तराखंड में संगठन में कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने और पार्टी को लेकर आम लोगों के बीच जाने के लिए कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो आम आदमी पार्टी को मजबूत करता हुआ दिखाई देता हो. ऐसे में देखना होगा कि संगठन को मजबूत किए बिना आप कैसे चुनाव में परफॉर्म करती है.