देहरादून: राजनीतिक रूप से उत्तराखंड में साल 2019 के दौरान सरकार के फैसले और बीजेपी से जुड़े कुछ घटनाक्रम ही छाए रहे. यह पूरा साल कांग्रेस और तमाम दूसरे विपक्षी दलों के लिहाज से बेहद फीका सा रहा, जबकि इस साल राजनीतिक घटनाक्रम में कुल 6 मुद्दे राजनीतिक गलियारों और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहे.
1- प्रकाश पंत का निधन
राजनीतिक घटनाक्रम में इस साल प्रकाश पंत के निधन की खबर सबसे ज्यादा चौकाने वाली रही. 05 जून 2019 को प्रकाश पंत की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु की खबर आई तो कोई भी इस पर यकीन ना कर सका. अमेरिका में इलाज के दौरान उनके निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर उत्तराखंड लाया गया. प्रकाश पंत का इस तरह जाना न केवल भाजपा के लिए एक अपूरणीय क्षति था बल्कि उत्तराखंड ने अपने एक होनहार युवा नेता को खो दिया था.
2- चर्चा में रहे कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन
उत्तराखंड की राजनीति में कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन भी इस साल सुर्खियों में रहे. खानपुर विधायक प्रणव सिंह कभी हथियार लहराते वीडियो तो कभी विधायक देशराज से उलझने के चलते चर्चाओं में रहे. इसके बाद बीजेपी से निकाले जाने और उनपर विधायक द्वारा मुकदमा करवाने को लेकर भी उन्हें सोशल मीडिया पर खूब सर्च किया गया. देखा जाए तो प्रणव सिंह की उटपटांग बयानबाजियों पर भी इस साल खुब चटकारे लिए गए.
3- पीएम मोदी की साधना
उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा चुनाव परिणामों से ठीक पहले का दौरा भी खासा चर्चा में रहा. इसमें एक तरफ पीएम मोदी के केदारनाथ जाकर गुफा में साधना करने की खबरें छाई रही तो कॉर्बेट में मैन वर्सेस वाइल्ड की शूटिंग में पीएम मोदी के बेयर गिल्स के साथ दिखना दुनियाभर में सुर्खियों में रहा.
4- लोकसभा चुनाव
लोकतंत्र के पर्व के रूप में लोकसभा चुनाव भी इस साल संपन्न हुए. जिसमें बीजेपी ने एक बार फिर सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि इसके बाद केंद्र में कैबिनेट मंत्री के तौर पर प्रदेश के डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को जगह मिलना भी बड़ा घटनाक्रम रहा.
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5- पंचायती राज एक्ट
राजनीतिक गलियारों में राज्य सरकार का पंचायत चुनाव में दो बच्चों की बाध्यता और दसवीं पास की अनिवार्यता का मुद्दा भी खासा गर्म रहा. इस मामले पर सरकार ने पंचायती राज एक्ट में संशोधन किया तो विपक्ष समेत पंचायतों से जुड़े प्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया. यह मामला कोर्ट भी पहुंचा.
6- चार धाम श्राइन बोर्ड
साल 2019 के दौरान राज्य सरकार का श्राइन बोर्ड का मुद्दा भी राजनीतिक रूप से लोगों की जुबां पर रहा. चार धाम श्राइन बोर्ड पर विधानसभा में विधेयक पास हुआ तो विपक्ष ने सदन से लेकर सड़क तक पर इसका विरोध किया. तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों ने भी इस बिल के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. हालांकि सरकार ने पीछे हटने के बजाय इसके नाम में संशोधन कर इसे चार धाम देवस्थानम का नाम देकर विधानसभा से पास करवा दिया. हालांकि इसको लेकर हक हकूक धारियों ने अपना विरोध जारी रखा. वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने इन्हें समर्थन देकर इस मामले पर हक हकूक पारियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की.
उत्तराखंड के लिए इन 6 घटनाक्रमों को राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा अहम माना जा सकता है. साल 2019 के दौरान अलग-अलग समय हुए इन घटनाक्रमों ने प्रदेश की राजनीति को गरम रखा.