देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार अभीतक पुलिसकर्मियों के 4600 ग्रेड पे की मांग को लागू नहीं कर पाई है. वहीं, आज 20 अप्रैल को साल 2002 के पुलिस बैच को भी 20 साल पूरे हो गए (2002 batch of constable in Uttarakhand Police) हैं. ऐसे में वे भी 4600 ग्रेड पे में शामिल हो गए (Uttarakhand Police grade pay issue) हैं. ऐसे में 4600 ग्रेड-पे की मांग के पहले से ज्यादा जोर पकड़ने के आसार (implement 4600 grade pay) हैं.
साल 2002 के बैच में 1800 पुरुष और 200 महिलाएं भर्ती हुई थीं. इनमें से 500 के करीब प्रमोशन या अन्य कारणों से ग्रेड-पे की कतार में नहीं हैं, जबकि 1,500 पुलिसकर्मी बीस साल की सेवा पूरी करने के बाद 4600 ग्रेड-पे में शामिल हो गए हैं. लेकिन अभीतक सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा पाई है. हालांकि सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए ये निर्णय लिया था कि उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे नहीं मिलेगा, बल्कि उसकी जगह उन्हें दो लाख रुपए एकमुश्त दिए जाएंगे. इससे पुलिसकर्मियों के परिजनों की नाराजगी और बढ़ गई थी. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भी पुलिसकर्मियों के परिजनों ने 4600 ग्रेड पे लागू करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था. कई पुलिसकर्मियों के परिजनों ने तो चुनाव में कांग्रेस का खुले तौर पर समर्थन किया था.
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8 साल पहले पड़ गया था विवाद का बीज: उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे के विवाद का बीज सात साल पहले ही पड़ गया था. यह विवाद था ग्रेड पे दिए जाने के लिए समय सीमा में बदलाव. पहले आठ, 12 और 22 का प्रावधान था. लेकिन, जैसे ही सिपाहियों के पहले बैच को 12 साल होने को आए इसे बदल दिया गया. यही नहीं इसके बाद भी इसमें बदलाव किया गया और जब फिर से नंबर आया तो 2800 ग्रेड पे दिए जाने की बात शुरू हो गई. विवाद इतना बढ़ा कि बात प्रदर्शन तक पहुंच गई थी.
दरअसल, उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों की पहली भर्ती 2001 में हुई थी. उस वक्त पदोन्नति के लिए तय समय सीमा आठ, 12 व 22 साल थी. सिपाहियों की भर्ती के समय 2000 ग्रेड पे होता है. इसके बाद आठ साल बाद उन्हें 2400, 12 साल बाद 4600 और 22 साल की सेवा के बाद 4800 ग्रेड पे दिए जाने का प्रावधान था. अब इस बैच के सिपाहियों को वर्ष 2013 में 4600 रुपये ग्रेड पे का लाभ मिलना था. लेकिन, उससे पहले ही सरकार ने समय-सीमा में बदलाव कर दिया.
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उस वक्त कहा गया कि अब यह लाभ उन्हें नई नीति 10, 16 व 26 वर्ष के आधार पर मिलना है. ऐसे में इन सिपाहियों को अब वर्ष 2017 में 4600 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना था. मगर, उससे पहले ही समय-सीमा को बढ़ाकर 10, 20 व 30 वर्ष का स्लैब कर दिया गया. इस हिसाब से इस साल 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना था. लेकिन, अब पिछले दिनों शासन ने ग्रेड पे को ही घटा दिया. ऐसे में सिपाहियों का कहना है कि जब जब उनका नंबर आया तब नियम बदलकर उनके साथ धोखा किया गया.
3800 के आसपास मिल रहा तो नुकसान क्यों: उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों के साल 2001 और 2002 के बैच को 20 साल पूरे हो चुके हैं. उन्हें इससे पहला ग्रेड पे 2400 का लगभग 11 साल पहले मिल गया था. ऐसे में वर्तमान तक देखें तो उन्हें लगभग 3800 ग्रेड पे लगभग का वेतन मिल रहा है. इस तरह यदि उन्हें 2800 ग्रेड पे दिया जाता है तो उन्हें वेतन में भारी नुकसान होगा.
यह है चिंता की वजह: एक जनवरी 2017 से लागू एसीपी की तरह निश्चित अवधि में मिलने वाले पदोन्नति लाभ के बदले तय वेतनमान इसकी वजह है. बदली व्यवस्था में वे 4600 ग्रेड वेतनमान से वंचित हो रहे हैं. नई व्यवस्था में 2800 और 4200 ग्रेड वेतन की श्रेणी शामिल हुई है. यही व्यवस्था पुलिस के जवानों को नहीं सुहा रही है.
पुरानी व्यवस्था में 4800 ग्रेड पे का था प्रावधान: 2016 तक प्रदेश के पुलिस कर्मचारियों को अपने सेवाकाल के दौरान एमएसीपी व्यवस्था के तहत 2400, 4600 और 4800 ग्रेड पे की तीन वेतन वृद्धि की सुविधा थी. सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद ये 2400, 2800 और 4200 में तब्दील हो गई. वित्त विभाग ने 2800 ग्रेड पे का नया स्केल शामिल किया और तीसरी वेतन वृद्धि 4200 कर दी. यही पुलिस कर्मचारियों की नाराजगी की प्रमुख वजह है.
जनवरी 2017 से लागू एमएसीपी व्यवस्था
पदनाम | सीधी भर्ती | पहली पदोन्नति | दूसरी | तीसरी |
पुलिस कांस्टेबल | 2000 | 2400 | 2800 | 4200 |
31 दिसंबर 2016 तक लागू एसीपी व्यवस्था
पुलिस कांस्टेबल | 2000 | 2400 | 4600 | 4800 |
नोट : धनराशि विभिन्न ग्रेड पे की. पुलिस फोर्स के ढांचे में 2800 और 4200 का पद सृजित नहीं है.