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बुझ गई 'पहाड़ पर लालटेन', हिंदी के प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल का निधन - साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि मंगलेश डबराल

हिंदी के प्रख्यात लेखक और कवि मंगलेश डबराल का 74 साल की उम्र में निधन हो गया है. सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.

बुझ गई 'पहाड़ पर लालटेन'
बुझ गई 'पहाड़ पर लालटेन'
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Published : Dec 9, 2020, 9:27 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 10:21 PM IST

दिल्ली/देहरादून: हिंदी के प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल का बुधवार शाम 72 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली. मंगलेश अंतिम समय में कोरोना वायरस और निमोनिया की चपेट में आने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. बताया जा रहा है कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ.

मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं. मंगलेश डबराल मूलरूप से उत्‍तराखंड के निवासी थे. उनका जन्‍म 14 मई 1949 को टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में ही हुई थी.

साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि मंगलेश डबराल नवंबर के आखिरी हफ्ते से ही बीमार चल रहे थे. पहले उनका गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था. सांस लेने में परेशानी के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी.

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित श्री मंगलेश डबराल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। आपकी रचनाओं के माध्यम से आप हम सभी के बीच सदैव जीवित रहेंगे। ॐ शांति! pic.twitter.com/ZNRsMRrlsq

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) December 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलेश डबराल के निधन पर शोक जताते लिए ट्वीट में लिखा 'साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित मंगलेश डबराल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे. आपकी रचनाओं के माध्यम से आप हम सभी के बीच सदैव जीवित रहेंगे. ॐ शांति!'

  • अलविदा श्री मंगलेश डबराल🙏विदा कवि
    “कितने सारे पत्ते उड़कर आते हैं
    चेहरे पर मेरे बचपन के पेड़ों से
    एक झील अपनी लहरें
    मुझ तक भेजती है
    लहर की तरह काँपती है रात
    और उस पर मैं चलता हूँ
    चेहरे पर पत्तों की मृत्यु लिए हुए
    लोग जा चुके हैं
    रोशनियाँ राख हो चुकी हैं..!💔” pic.twitter.com/dHAKCcCafc

    — Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) December 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में 15 दिसंबर से खुलेंगे उच्च शिक्षण संस्थान, पढ़िए कैबिनेट के फैसले

दिल्‍ली में कई जगह काम करने के बाद मंगलेश डबराल ने मध्‍यप्रदेश का रूख किया. भोपाल में वह मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित होने वाले साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे. उन्‍होंने लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की. वर्ष 1963 में उन्‍होंने जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद संभाला था. मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु प्रकाशित हुए हैं.

दिल्ली/देहरादून: हिंदी के प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल का बुधवार शाम 72 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली. मंगलेश अंतिम समय में कोरोना वायरस और निमोनिया की चपेट में आने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. बताया जा रहा है कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ.

मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं. मंगलेश डबराल मूलरूप से उत्‍तराखंड के निवासी थे. उनका जन्‍म 14 मई 1949 को टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में ही हुई थी.

साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि मंगलेश डबराल नवंबर के आखिरी हफ्ते से ही बीमार चल रहे थे. पहले उनका गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था. सांस लेने में परेशानी के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी.

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित श्री मंगलेश डबराल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। आपकी रचनाओं के माध्यम से आप हम सभी के बीच सदैव जीवित रहेंगे। ॐ शांति! pic.twitter.com/ZNRsMRrlsq

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) December 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलेश डबराल के निधन पर शोक जताते लिए ट्वीट में लिखा 'साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित मंगलेश डबराल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे. आपकी रचनाओं के माध्यम से आप हम सभी के बीच सदैव जीवित रहेंगे. ॐ शांति!'

  • अलविदा श्री मंगलेश डबराल🙏विदा कवि
    “कितने सारे पत्ते उड़कर आते हैं
    चेहरे पर मेरे बचपन के पेड़ों से
    एक झील अपनी लहरें
    मुझ तक भेजती है
    लहर की तरह काँपती है रात
    और उस पर मैं चलता हूँ
    चेहरे पर पत्तों की मृत्यु लिए हुए
    लोग जा चुके हैं
    रोशनियाँ राख हो चुकी हैं..!💔” pic.twitter.com/dHAKCcCafc

    — Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) December 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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दिल्‍ली में कई जगह काम करने के बाद मंगलेश डबराल ने मध्‍यप्रदेश का रूख किया. भोपाल में वह मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित होने वाले साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे. उन्‍होंने लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की. वर्ष 1963 में उन्‍होंने जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद संभाला था. मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु प्रकाशित हुए हैं.

Last Updated : Dec 9, 2020, 10:21 PM IST
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