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'उम्मीद' जगा रही आस्था, अपनी बाल पंचायत से कर रहीं इलाके को प्लास्टिक मुक्त

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम नो प्लास्टिक लाइफ फैंटास्टिक रखी गई है. देखें इस मुहिम की 25वीं कड़ी पर विशेष रिपोर्ट.

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आस्था ने उठाया इलाके को कचरा मुक्त करने का बीड़ा
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Published : Jan 6, 2020, 9:05 AM IST

Updated : Jan 6, 2020, 9:40 AM IST

देहरादून : स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में लोग पर्यावरण संरक्षण के बारे में आमजन को शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश से प्रेरित होकर उत्तराखंड की 13 वर्षीया आस्था ठाकुर भी ऐसी कतार में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने अपने इलाके को प्लास्टिक मुक्त करने का बीड़ा उठाया है.

आस्था की अनोखी मुहिम

देहरादून से करीब 80 किलोमीटर दूर तौली गांव की निवासी आस्था 9वीं कक्षा में पढ़ाई करती हैं. उन्होंने 28 स्कूली बच्चों की एक बाल पंचायत गठित कर रखी है, जिसमें 5-14 साल के बच्चे शामिल हैं.

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आस्था की प्रेरणादायक मुहिम.

आस्था ने बताया कि उनकी बाल पंचायत प्लास्टिक की जगह कागज की थैलियां (पेपर बैग) बनाती है और उन्हें दुकानों पर देती है. इस बाल पंचायत में आस्था संग कुल 28 साथी हैं, जो इस काम में उनकी मदद करते हैं.

आस्था के समूह के बच्चे प्लास्टिक के उपयोग के खिलाफ लड़ाई को अंजाम दे रहे हैं. वे कागज की थैलियां बनाते हैं और गांव में सभी को प्लास्टिक के खतरे के बारे में शिक्षित भी कर रहे हैं. इसके साथ ही बाल पंचायत के सदस्यों के साथ मिलकर आस्था पेपर बैग बनाती हैं और इसे आस-पास के इलाकों में बांटती हैं.

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बाल पंचायत चला रही जाकरुकता अभियान.

आस्था के पिता गोपाल ठाकुर ने बताया कि बेटी के इस काम से सभी लोग प्रेरणा ले रहे हैं. बच्चे अपने माता-पिता और अन्य लोगों को बता रहे हैं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

इस मुहिम का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को पेपर बैग के प्रयोग के लिए प्रेरित करना और दैनिक जीवन में हो रहे प्लास्टिक उपयोग को कम करना है. इस मुहिम का एक मकसद पर्यावरण संरक्षण भी है. सभी बच्चे पिछले एक साल से इस मुहिम में जुटे हुए हैं.

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अभियान की हो रही प्रशंसा.

आस्था और उनकी टीम की मेहनत से प्रभावित होकर कई गैर सरकारी संगठनों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं. आस्था के दादा अमर सिंह ठाकुर के अनुसार वह सरकार से निवेदन करते हैं कि प्लास्टिक पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए, उत्पादन भी बंद कर देना चाहिए. प्लास्टिक से फसलों को नुकसान होता है और गंदगी भी फैलती है.

भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए बड़ी और देशव्यापी कोशिश करने की जरूरत है. वर्तमान में भले ही आस्था की टीम का प्रयास एक छोटे स्तर पर चल रहा है, लेकिन अगर इसे समुचित मार्गदर्शन मिले तो इसमें देशव्यापी मुहिम बनने की क्षमता है.

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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : पुणे नगर निगम कचरे से बना रहा ईंधन

Intro:summary-स्वच्छ भारत अभियान में जुटी 13 साल आस्था, प्लास्टिक मुक्त पछवा दून बनाने की पहल... प्रधानमंत्री मोदी व दादाजी से मिली आस्था को प्रेरणा,तौली ग्राम पंचायत से अभियान की शुरुआत.. कागज के पेपर बैग बनाकर घर घर जागरूकता अभियान।


देश में स्वच्छ भारत अभियान के तहत अलग अलग तरीके से पर्यावरण के प्रति जागरूक लोग अपना अपना योगदान दे रहे हैं। इसी मुहिम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश से प्रेरणा लेकर देहरादून से लगभग 80 किलोमीटर दूरस्थ तौली ग्राम पंचायत के बड़कोट ग्रामीण क्षेत्र में 13 साल की आस्था ठाकुर पूरे इलाके को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम में जुटी हुई है। कक्षा 9 में पढ़ने वाली आस्था स्कूल से आने के बाद अपने बाल पंचायत के सदस्यों के साथ मिलकर प्लास्टिक की जगह कागज के लिफाफे पैक बनाकर ग्रामीण क्षेत्र में सबको बांटती है ताकि उनका पूरा इलाका पर्यावरण के लिहाज से प्राकृतिक रूप में संरक्षित रहे।
आस्था के मुताबिक उनको यह प्रेरणा प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से मिली जिसके बाद उसने अपने दादाजी से सहयोग लेकर अपने ही घर से प्लास्टिक मुक्त करने का कार्य शुरू किया और अपने दादाजी की दुकान में बैठकर अखबार और इस्तेमाल हुए कागज के लिफाफे वह बैग बनाकर गांव के अन्य दुकानों और लोगों को बांटना शुरू किया। इस काम में आस्था ने अपने गांव के 28 स्कूली बच्चे जिसमें 5 से 14 साल के छात्र-छात्राएं हैं उनका एक बाल पंचायत बनाया, जो पूरे इलाके में बैनर -पोस्टर लगाने के साथ कागज के लिफाफे बांटकर प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।


Body:13 साल की आस्था ठाकुर तौली सभा से लगभग 20 किलोमीटर विकासनगर क्षेत्र में स्कूल पढ़ने जाती है। स्कूल से घर वापस आकर अपनी बाल पंचायत के साथ मिलकर आज वह पिछले 1 साल से पछवा दून इलाके को प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण संरक्षित बनाने की मुहिम में जुटी हुई है। आस्था को आज कई एनजीओ इस कार्य में सहयोग करने का प्रयास कर रहे हैं जिसके तहत आगामी 15 दिसंबर को दिल्ली जाकर प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की दिशा में संस्थाओं के साथ मिलकर आगे अपने इस अभियान को बढ़ाना चाहती है।

इतना ही नहीं आस्था के मुताबिक प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर सभी को जागरूक होना पड़ेगा ताकि हम अपने पर्यावरण को बचा सकें धरती जिसमें से धीरे धीरे पानी की मात्रा कम होती जा रही है उसे बचा सके। आस्था के अनुसार भले ही उसकी मुहिम अभी छोटे स्तर पर है लेकिन वह अपनी बाल पंचायत के द्वारा बड़े लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं और उसे उम्मीद है कि लोग देर से ही सही लेकिन पर्यावरण को बचाने के लिए धीरे धीरे कर जुड़ते चले जाएंगे।


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आस्था ठाकुर स्वच्छ भारत प्लास्टिक मुक्त अभियान में जुटी

आस्था के पिता गोपाल ठाकुर भी मानते हैं कि भले ही आस्था की यह मुहिम छोटे से गांव से शुरू हुई है, लेकिन जिस तरह से उनकी आस्था आज अपने इलाके को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में हर दिन अपना योगदान देकर अपनी बाल पंचायत के साथ जनता जनार्दन को जागरूक करने में जुटी है। ऐसे में यह मुहिम देश के हर हिस्से में सामाजिक रूप अपनी जिम्मेदारी समझ कर अगर चलाई जाए तो स्वच्छ भारत का सपना जरूर साकार होगा।


वही आस्था के प्लास्टिक मुक्त अभियान को लेकर उसके दादा अमर सिंह ठाकुर उसका पहले दिन से सहयोग कर रहे हैं। अमर सिंह के मुताबिक वह खुद भी पिछले 10 से 12 सालों से अपने किराना की दुकान में आने वाले सभी लोगों को प्लास्टिक ना इस्तेमाल करने की अपील करते आए हैं ।अमर सिंह के मुताबिक वह खुद अपने पूरे इलाके में प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अपने घर से लेकर आसपास के इलाके में प्लास्टिक को एकत्र कर सफाई अभियान में जुटे हैं। उनके मुताबिक पूरे इलाके खेती की जमीन में सिंचाई की भारी कमी है, खेत सूखे होते जा रहे हैं ऐसे में जमीन पर प्लास्टिक आने से जमीन बंजर होने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

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अमर सिंह ठाकुर आस्था के दादाजी


Conclusion:
Last Updated : Jan 6, 2020, 9:40 AM IST
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