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हरेला पर्व पर डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य, अबतक हुए पौधारोपण का नहीं कोई हिसाब

राज्य में 6 जुलाई से हरेला पर्व के आयोजनों की शुरुआत की जा रही है. प्रदेश भर में यह कार्यक्रम करीब एक महीने तक चलेगा. उत्तराखंड वन विभाग में पौधारोपण के तमाम कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की है. जिसमें विभाग ने राज्य भर में करीब डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

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देहरादून
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Published : Jul 5, 2020, 1:57 PM IST

Updated : Jul 5, 2020, 4:13 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में हरेला पर्व पर वन विभाग ने डेढ़ करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वन महकमे ने इसके लिए कई आयोजनों का खाका भी तैयार किया है. लेकिन विगत सालों से वन महकमे द्वारा किये जा रहे पौधारोपण का खुद विभाग के पास भी कोई हिसाब-किताब नहीं है.

राज्य में 6 जुलाई यानी सोमवार से हरेला पर्व के तहत आयोजनों की शुरुआत होने जा रही है. प्रदेश भर में यह कार्यक्रम करीब एक महीने तक चलेगा. उत्तराखंड वन विभाग में पौधारोपण के तमाम कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की है. जिसमें विभाग ने राज्य भर में करीब डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश के बाद वन विभाग ने राज्य भर में फॉरेस्ट अधिकारियों को निर्देशित करते हुए आम लोगों को भी पौधारोपण में जोड़ने के लिए कहा है.

हरेला पर्व पर डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य.

प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि खास तैयारियों के बीच इस बार राज्य भर में आम लोगों की सहभागिता से पौधारोपण किया जाएगा. वहीं, उत्तराखंड वन विभाग को अब तक हुए पौधारोपण कि कोई सटीक जानकारी नहीं है. राज्य में इस साल करीब दो करोड़ पौधे लगाए जाएंगे. जिसमें करीब एक करोड़ का खर्चा आएगा.

बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही हरेला पर्व में पौधारोपण के लिए वन विभाग को 55 लाख रुपये दिए हैं. राज्य स्थापना के बाद से ही वन विभाग हर साल इसी तरह अपना लक्ष्य तय कर कई करोड़ रुपए पौधारोपण में खर्च दिखा चुका है. उधर, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में पिछले तीन सालों के दौरान महज 0.03 प्रतिशत वन क्षेत्र ही बढ़ पाया है.

पढ़ें: खटीमा: टेंट हाउस की दुकान में आग लगी, लाखों का सामान जलकर राख

प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने कहा कि तराई क्षेत्र में पौधारोपण के बेहतर परिणाम है. लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि न होने से परिणाम बेहतर नहीं आ पा रहे हैं. यानि खुद प्रमुख वन संरक्षक जयराज भी वन विभाग की असफलता को मानने को तैयार है. उनका कहना है कि अब पौधारोपण के लिए तय नीति में बदलाव की जरूरत है. पौधारोपण के इन परिणामों ने मौजूदा और पिछली सरकारों के ढुलमुल रवैये को भी उजागर कर दिया है. साथ ही लगातार हो रही पैसों की बर्बादी पर भी सरकार की चुप्पी को जाहिर कर दिया है.

देहरादून: उत्तराखंड में हरेला पर्व पर वन विभाग ने डेढ़ करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वन महकमे ने इसके लिए कई आयोजनों का खाका भी तैयार किया है. लेकिन विगत सालों से वन महकमे द्वारा किये जा रहे पौधारोपण का खुद विभाग के पास भी कोई हिसाब-किताब नहीं है.

राज्य में 6 जुलाई यानी सोमवार से हरेला पर्व के तहत आयोजनों की शुरुआत होने जा रही है. प्रदेश भर में यह कार्यक्रम करीब एक महीने तक चलेगा. उत्तराखंड वन विभाग में पौधारोपण के तमाम कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की है. जिसमें विभाग ने राज्य भर में करीब डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश के बाद वन विभाग ने राज्य भर में फॉरेस्ट अधिकारियों को निर्देशित करते हुए आम लोगों को भी पौधारोपण में जोड़ने के लिए कहा है.

हरेला पर्व पर डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य.

प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि खास तैयारियों के बीच इस बार राज्य भर में आम लोगों की सहभागिता से पौधारोपण किया जाएगा. वहीं, उत्तराखंड वन विभाग को अब तक हुए पौधारोपण कि कोई सटीक जानकारी नहीं है. राज्य में इस साल करीब दो करोड़ पौधे लगाए जाएंगे. जिसमें करीब एक करोड़ का खर्चा आएगा.

बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही हरेला पर्व में पौधारोपण के लिए वन विभाग को 55 लाख रुपये दिए हैं. राज्य स्थापना के बाद से ही वन विभाग हर साल इसी तरह अपना लक्ष्य तय कर कई करोड़ रुपए पौधारोपण में खर्च दिखा चुका है. उधर, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में पिछले तीन सालों के दौरान महज 0.03 प्रतिशत वन क्षेत्र ही बढ़ पाया है.

पढ़ें: खटीमा: टेंट हाउस की दुकान में आग लगी, लाखों का सामान जलकर राख

प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने कहा कि तराई क्षेत्र में पौधारोपण के बेहतर परिणाम है. लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि न होने से परिणाम बेहतर नहीं आ पा रहे हैं. यानि खुद प्रमुख वन संरक्षक जयराज भी वन विभाग की असफलता को मानने को तैयार है. उनका कहना है कि अब पौधारोपण के लिए तय नीति में बदलाव की जरूरत है. पौधारोपण के इन परिणामों ने मौजूदा और पिछली सरकारों के ढुलमुल रवैये को भी उजागर कर दिया है. साथ ही लगातार हो रही पैसों की बर्बादी पर भी सरकार की चुप्पी को जाहिर कर दिया है.

Last Updated : Jul 5, 2020, 4:13 PM IST
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