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दून मेडिकल कॉलेज में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन की हुई शुरुआत - देहरादून न्यूज

अस्पताल में उपचार के बाद ठीक होने वाले कोरोना मरीजों को पीएमआर विभाग के फिजिशियन और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों फोन और व्हाट्सएप के जरिए संपर्क करेंगे, ताकि उन्हें कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बावजूद होने वाली दिक्कतों से रूबरू कराया जाएगा.

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दून मेडिकल कॉलेज
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Published : Oct 21, 2020, 8:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन यानी पीएमआर विभाग की शुरुआत हो गई है. यह विभाग लंबे समय से विभिन्न बीमारी से जूझ रहे मरीजों की सहायता और पुनर्वास के लिए कार्य करेगा.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की तर्ज पर शुरू हुए इस विभाग में चोट, शल्य और न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया जाएगा. बता दें कि राज्य के भीतर चोट और न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों की वजह से लाखों मरीज जूझ रहे हैं. इस प्रकार के मरीजों का कुछ समय तक तो सरकारी या निजी अस्पतालों में इलाज हो जाता था, लेकिन इसके बाद ऐसे मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है. जिसके बाद उनकी तकलीफ और बढ़ जाती थी. इसके अलावा चोट और अन्य शारीरिक रूप से दिव्यांग हो चुके लोगों को भी इस विभाग से काफी सहायता मिलेगी.

पढ़ें- दिल्ली दौरे पर सीएम त्रिवेंद्र, राज्यसभा चुनाव सहित कैबिनेट विस्तार पर होगी चर्चा

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग के तहत लंबे समय से विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का बेहतर इलाज किया जाएगा. यह विभाग फिलहाल अपनी शुरुआत पोस्ट कोविड मरीजों की सहायता से करेगा. अस्पताल में उपचार के बाद ठीक होने वाले कोरोना मरीजों को पीएमआर विभाग के फिजिशियन और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों फोन और व्हाट्सएप के जरिए संपर्क करेंगे, ताकि उन्हें कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बावजूद होने वाली दिक्कतों से रूबरू कराया जाएगा.

खिलाड़ियों को भी इस विभाग के शुरू होने पर मिलेगी मदद
चिकित्सकों के मुताबिक खेलों के दौरान आए दिन बड़ी संख्या में खिलाड़ी भी चोटिल हो जाते हैं लेकिन अस्पताल में उनके लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं होती. स्पोर्ट खेलने के दौरान चोटिल हुए खिलाड़ियों को कई बार आजीवन लंबे समय तक परेशानियां झेलनी पड़ती है. ऐसे में यह विभाग उन खिलाड़ियों के इलाज और उनकी देखभाल का भी कार्य करेगा. इसके लिए बाकायदा कॉलेज में अलग से व्यवस्थाएं बनाई गई है.

इन मरीजों को होगा फायदा
न्यूरो संबंधी परेशानियों से जूझ रहे मरीज, विकलांगता के साथ पैदा हुए बच्चे, फिजियो थेरेपी वाले मरीज, हड्डियों व अन्य वजह से दर्द की समस्या से जूझ रहे मरीजों को राहत देने के साथ ही उनके पुनर्वास के लिए भी काम करेगा.

देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन यानी पीएमआर विभाग की शुरुआत हो गई है. यह विभाग लंबे समय से विभिन्न बीमारी से जूझ रहे मरीजों की सहायता और पुनर्वास के लिए कार्य करेगा.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की तर्ज पर शुरू हुए इस विभाग में चोट, शल्य और न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया जाएगा. बता दें कि राज्य के भीतर चोट और न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों की वजह से लाखों मरीज जूझ रहे हैं. इस प्रकार के मरीजों का कुछ समय तक तो सरकारी या निजी अस्पतालों में इलाज हो जाता था, लेकिन इसके बाद ऐसे मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है. जिसके बाद उनकी तकलीफ और बढ़ जाती थी. इसके अलावा चोट और अन्य शारीरिक रूप से दिव्यांग हो चुके लोगों को भी इस विभाग से काफी सहायता मिलेगी.

पढ़ें- दिल्ली दौरे पर सीएम त्रिवेंद्र, राज्यसभा चुनाव सहित कैबिनेट विस्तार पर होगी चर्चा

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग के तहत लंबे समय से विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का बेहतर इलाज किया जाएगा. यह विभाग फिलहाल अपनी शुरुआत पोस्ट कोविड मरीजों की सहायता से करेगा. अस्पताल में उपचार के बाद ठीक होने वाले कोरोना मरीजों को पीएमआर विभाग के फिजिशियन और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों फोन और व्हाट्सएप के जरिए संपर्क करेंगे, ताकि उन्हें कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बावजूद होने वाली दिक्कतों से रूबरू कराया जाएगा.

खिलाड़ियों को भी इस विभाग के शुरू होने पर मिलेगी मदद
चिकित्सकों के मुताबिक खेलों के दौरान आए दिन बड़ी संख्या में खिलाड़ी भी चोटिल हो जाते हैं लेकिन अस्पताल में उनके लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं होती. स्पोर्ट खेलने के दौरान चोटिल हुए खिलाड़ियों को कई बार आजीवन लंबे समय तक परेशानियां झेलनी पड़ती है. ऐसे में यह विभाग उन खिलाड़ियों के इलाज और उनकी देखभाल का भी कार्य करेगा. इसके लिए बाकायदा कॉलेज में अलग से व्यवस्थाएं बनाई गई है.

इन मरीजों को होगा फायदा
न्यूरो संबंधी परेशानियों से जूझ रहे मरीज, विकलांगता के साथ पैदा हुए बच्चे, फिजियो थेरेपी वाले मरीज, हड्डियों व अन्य वजह से दर्द की समस्या से जूझ रहे मरीजों को राहत देने के साथ ही उनके पुनर्वास के लिए भी काम करेगा.

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