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सड़क पर पैदल चलते समय दें ध्यान, डराने वाले हैं देहरादून के आंकड़े

सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों में बड़ी संख्या पैदल चलने वालों की होती है. अगर हम बात करें सड़क पर पैदल चल रहे राहगीरों के साथ हुए हादसे के बारे में तो साल 2020 में पैदल चलने वालों में से 37 की मृत्यु हो चुकी है. 39 राहगीर घायल हुए हैं. वहीं 2021 में अब तक कोई भी पैदल राहगीर किसी वाहन की चपेट में नहीं आया है.

road accident
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Published : Mar 27, 2021, 12:49 PM IST

देहरादून: सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों में बड़ी संख्या पैदल चलने वालों की होती है. ऐसे में राहगीरों के पीछे से आते वाहनों से टकरा जाने का भारी खतरा रहता है. अगर हम बात करें सड़क पर पैदल चल रहे राहगीरों के साथ हुए हादसे के बारे में तो साल 2020 में पैदल चलने वालों में से 37 की मृत्यु हो चुकी है और 39 राहगीर घायल हुए है. 2021 में अब तक कोई भी पैदल राहगीर किसी वाहन की चपेट में नहीं आया है.

सड़क हादसों को चौंकाने वाले आंकड़े

यातायात पुलिस का भी मानना है की पैदल चल रहे राहगीरों के साथ होने वाले सड़क हादसों के कई कारण हो सकते हैं. इसमें अधिकतर वाहन चालकों की गलती होती है. जिसमें कई बार वाहन चालक अपना वाहन तेजी से चला रहा होता है या फिर शराब पीकर गाड़ी चला रहा होता है. कई बार वाहन चालक गलत साइड से गाड़ी चला देता है. इससे पैदल चल रहे राहगीर गाड़ियों की चपेट में आ जाते हैं और हादसे हो जाते हैं. कई बार राहगीरों की गलती से भी हादसे हो जाते हैं. यातायात के दिए गए संकेत पर राहगीर ध्यान नहीं देते हैं, तो वह सड़क हादसे का शिकार हो जाते हैं.

अगर बात करें सबसे अधिक सड़क हादसे कहां होते हैं तो, बता दें कि शहर के शिमला बाईपास पर सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं. इस सड़क पर दिन-रात खनन की गाड़ियां चलती हैं. वहीं, राजपुर रोड पर वाहन स्वामी शराब पीकर गाड़ियां चलाकर पैदल चलने वाले राहगीरों को अपने वाहन का शिकार बना देते हैं.

एसपी ट्रैफिक स्वप्न किशोर सिंह ने बताया कि किसी दुर्घटना के पीछे एक कारण नहीं होता है बल्कि कई कारण हो सकते हैं. उसमें यातायात के संकेत या फिर दिए गए संकेतक का पालन नहीं किया जाना हो सकता है. जो एक्सीडेंट करने वाला है उसके द्वारा रैश ड्राइविंग, गलत साइड और ड्रंक एंड ड्राइव कर रहा हो. वहीं पीड़ित भी कई बार गलत तरीके से सड़क पार करने की कोशिशों में दुर्घटना का शिकार हो सकता है. इसमें एक प्वाइंट पर फैसला नहीं कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा समिति की जो निरंतर बैठकें होती हैं और जो निर्देश मिले हैं उसके हिसाब से कई स्टेट होल्डर है जो यातायात के प्रति आम जनता को जागरूक करने का काम करते हैं.

पढ़ें: हरिद्वार महाकुंंभ को लेकर डीजीपी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, अधिकारियों को दिए दिशा-निर्देश

वहीं दूसरी ओर जहां पर भी कोई दुर्घटना होती है तो उसमें एक एसओपी बनी हुई है. इसमें संबंधित जांचकर्ता सभी कारणों को लेकर जांच करता है. उनको विवेचना के दौरान रजिस्टर्ड भी करेगा. साथ ही उस क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी उस घटनास्थल की जांच पड़ताल करेंगे. दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए निरंतर हम लोग काम कर रहे हैं. उनकी ओर से कोशिशें की जा रही है कि जहां भी दुर्घटना होती है उस घटनास्थल पर होने वाली कमियों को दूर किया जा रहा है.

देहरादून: सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों में बड़ी संख्या पैदल चलने वालों की होती है. ऐसे में राहगीरों के पीछे से आते वाहनों से टकरा जाने का भारी खतरा रहता है. अगर हम बात करें सड़क पर पैदल चल रहे राहगीरों के साथ हुए हादसे के बारे में तो साल 2020 में पैदल चलने वालों में से 37 की मृत्यु हो चुकी है और 39 राहगीर घायल हुए है. 2021 में अब तक कोई भी पैदल राहगीर किसी वाहन की चपेट में नहीं आया है.

सड़क हादसों को चौंकाने वाले आंकड़े

यातायात पुलिस का भी मानना है की पैदल चल रहे राहगीरों के साथ होने वाले सड़क हादसों के कई कारण हो सकते हैं. इसमें अधिकतर वाहन चालकों की गलती होती है. जिसमें कई बार वाहन चालक अपना वाहन तेजी से चला रहा होता है या फिर शराब पीकर गाड़ी चला रहा होता है. कई बार वाहन चालक गलत साइड से गाड़ी चला देता है. इससे पैदल चल रहे राहगीर गाड़ियों की चपेट में आ जाते हैं और हादसे हो जाते हैं. कई बार राहगीरों की गलती से भी हादसे हो जाते हैं. यातायात के दिए गए संकेत पर राहगीर ध्यान नहीं देते हैं, तो वह सड़क हादसे का शिकार हो जाते हैं.

अगर बात करें सबसे अधिक सड़क हादसे कहां होते हैं तो, बता दें कि शहर के शिमला बाईपास पर सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं. इस सड़क पर दिन-रात खनन की गाड़ियां चलती हैं. वहीं, राजपुर रोड पर वाहन स्वामी शराब पीकर गाड़ियां चलाकर पैदल चलने वाले राहगीरों को अपने वाहन का शिकार बना देते हैं.

एसपी ट्रैफिक स्वप्न किशोर सिंह ने बताया कि किसी दुर्घटना के पीछे एक कारण नहीं होता है बल्कि कई कारण हो सकते हैं. उसमें यातायात के संकेत या फिर दिए गए संकेतक का पालन नहीं किया जाना हो सकता है. जो एक्सीडेंट करने वाला है उसके द्वारा रैश ड्राइविंग, गलत साइड और ड्रंक एंड ड्राइव कर रहा हो. वहीं पीड़ित भी कई बार गलत तरीके से सड़क पार करने की कोशिशों में दुर्घटना का शिकार हो सकता है. इसमें एक प्वाइंट पर फैसला नहीं कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा समिति की जो निरंतर बैठकें होती हैं और जो निर्देश मिले हैं उसके हिसाब से कई स्टेट होल्डर है जो यातायात के प्रति आम जनता को जागरूक करने का काम करते हैं.

पढ़ें: हरिद्वार महाकुंंभ को लेकर डीजीपी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, अधिकारियों को दिए दिशा-निर्देश

वहीं दूसरी ओर जहां पर भी कोई दुर्घटना होती है तो उसमें एक एसओपी बनी हुई है. इसमें संबंधित जांचकर्ता सभी कारणों को लेकर जांच करता है. उनको विवेचना के दौरान रजिस्टर्ड भी करेगा. साथ ही उस क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी उस घटनास्थल की जांच पड़ताल करेंगे. दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए निरंतर हम लोग काम कर रहे हैं. उनकी ओर से कोशिशें की जा रही है कि जहां भी दुर्घटना होती है उस घटनास्थल पर होने वाली कमियों को दूर किया जा रहा है.

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