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मसूरी शिफन कोर्ट के बेघरों ने भरी हुंकार, अनशन करने का किया ऐलान - Mussoorie displacement demand

मसूरी में शिफन कोर्ट (Mussoorie Chiffon Court) के बेघर 80 परिवार आवास की मांग को लेकर लंबे समय से मुखर हैं. वहीं आश्वासनों से परेशान लोगों ने अनशन करने का ऐलान किया है.

Mussoorie Chiffon Court
मसूरी शिफन कोर्ट के बेघरों ने भरी हुंकार
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Published : Dec 19, 2021, 8:20 AM IST

मसूरी: शिफन कोर्ट (Mussoorie Chiffon Court) के बेघर 80 परिवार आवास की मांग को लेकर लंबे समय से लामबंद हैं. शिफन कोर्ट आवासहीन निर्बल मजदूर वर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति द्वारा 20 दिसंबर को नवनिर्मित टाउन हाल के मुख्य गेट पर अनशन करने का ऐलान किया है. जिसकी सूचना एसडीएम मसूरी को दी गई है.पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनका ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जबतक उनके रहने का उचित प्रबंध नहीं हो जाता है.

शिफन कोर्ट आवासहीन निर्बल मजदूर वर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा और महामंत्री राजेन्द्र सेमवाल ने कहा कि मसूरी रोप-वे का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. जबकि शिफन कोर्ट में रह रहे 80 परिवारों को पुलिस और प्रशासन द्वारा बेदखल कर सड़कों पर छोड़ दिया गया है. जिसके बाद मसूरी विधायक गणेश जोशी और पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने सभी 80 परिवारों को विस्थापित करने की बात कही थी, लेकिन ये सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रह गया है.

पढ़ें-मुफ्त बिजली देने के वादे पर लगा हरक रावत को 'झटका', पार्टी नेताओं ने जताई असहमति

उन्होंने कहा कि धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है.उन्होंने कहा कि सभी बेघर 80 परिवार के लोग 20 दिसंबर को टाउन हॉल के मुख्य गेट पर अनशन करेंगे. वहीं मुख्यमंत्री से सभी 80 परिवारों को विस्थापित की मांग करेंगे. कैबिनेट मंत्री और मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि नगर पालिका द्वारा आइडीएच के पास शिफन कोर्ट के बेघर लोगों को विस्थापित करने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है.

पढ़ें- रुद्रपुर में प्रह्लाद जोशी करेंगे कार्यकर्ताओं संग बैठक, चुनावी रणनीति पर होगा मंथन

जहां पर माता मंगला द्वारा 5 करोड़ 42 लाख रुपये की लागत से आइडीएच में शिफन कोर्ट के बेघर लोगों के लिये हंस कॉलोनी बनाई जानी है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 20 दिसंबर को भूमि पूजन किया जाना है. उन्होंने कहा कि इसके बाद भी अगर शिफन कोर्ट के लोग राजनीति से प्रेरित होकर कुछ कर रहे हैं तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता है. उनके द्वारा शिफन कोर्ट के बेघर लोगों को विस्थापित करने का वादा किया था, जो उनके द्वारा पूरा किया जा रहा है.

क्या है शिफन कोर्ट विवाद: बता दें, पुरुकुल को मसूरी से जोड़ने के लिए कुछ साल पहले पर्यटन विभाग ने यहां रोपवे बनाने की योजना तैयार की थी. सरकार से इसको मंजूरी मिलने के बाद रोपवे निर्माण के लिए फ्रांस की एक कंपनी से करार भी कर लिया था. लेकिन ऐन वक्त पर मसूरी में लाइब्रेरी बस स्टैंड के नीचे बसी अवैध मजदूर बस्ती शिफन कोट ने इस काम में रोड़ा अटका दिया था. यह बस्ती नगर पालिका मसूरी की जमीन पर बसी हुई थी. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन ने जबरन शिफन कोर्ट से अतिक्रमण को पूरी तरह से मुक्त करवा दिया.

मसूरी: शिफन कोर्ट (Mussoorie Chiffon Court) के बेघर 80 परिवार आवास की मांग को लेकर लंबे समय से लामबंद हैं. शिफन कोर्ट आवासहीन निर्बल मजदूर वर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति द्वारा 20 दिसंबर को नवनिर्मित टाउन हाल के मुख्य गेट पर अनशन करने का ऐलान किया है. जिसकी सूचना एसडीएम मसूरी को दी गई है.पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनका ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जबतक उनके रहने का उचित प्रबंध नहीं हो जाता है.

शिफन कोर्ट आवासहीन निर्बल मजदूर वर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा और महामंत्री राजेन्द्र सेमवाल ने कहा कि मसूरी रोप-वे का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. जबकि शिफन कोर्ट में रह रहे 80 परिवारों को पुलिस और प्रशासन द्वारा बेदखल कर सड़कों पर छोड़ दिया गया है. जिसके बाद मसूरी विधायक गणेश जोशी और पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने सभी 80 परिवारों को विस्थापित करने की बात कही थी, लेकिन ये सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रह गया है.

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उन्होंने कहा कि धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है.उन्होंने कहा कि सभी बेघर 80 परिवार के लोग 20 दिसंबर को टाउन हॉल के मुख्य गेट पर अनशन करेंगे. वहीं मुख्यमंत्री से सभी 80 परिवारों को विस्थापित की मांग करेंगे. कैबिनेट मंत्री और मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि नगर पालिका द्वारा आइडीएच के पास शिफन कोर्ट के बेघर लोगों को विस्थापित करने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है.

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जहां पर माता मंगला द्वारा 5 करोड़ 42 लाख रुपये की लागत से आइडीएच में शिफन कोर्ट के बेघर लोगों के लिये हंस कॉलोनी बनाई जानी है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 20 दिसंबर को भूमि पूजन किया जाना है. उन्होंने कहा कि इसके बाद भी अगर शिफन कोर्ट के लोग राजनीति से प्रेरित होकर कुछ कर रहे हैं तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता है. उनके द्वारा शिफन कोर्ट के बेघर लोगों को विस्थापित करने का वादा किया था, जो उनके द्वारा पूरा किया जा रहा है.

क्या है शिफन कोर्ट विवाद: बता दें, पुरुकुल को मसूरी से जोड़ने के लिए कुछ साल पहले पर्यटन विभाग ने यहां रोपवे बनाने की योजना तैयार की थी. सरकार से इसको मंजूरी मिलने के बाद रोपवे निर्माण के लिए फ्रांस की एक कंपनी से करार भी कर लिया था. लेकिन ऐन वक्त पर मसूरी में लाइब्रेरी बस स्टैंड के नीचे बसी अवैध मजदूर बस्ती शिफन कोट ने इस काम में रोड़ा अटका दिया था. यह बस्ती नगर पालिका मसूरी की जमीन पर बसी हुई थी. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन ने जबरन शिफन कोर्ट से अतिक्रमण को पूरी तरह से मुक्त करवा दिया.

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