देहरादून: आत्मनिर्भर भारत के तहत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा लॉन्च की गई सोलर प्लांट स्कीम जमीन पर उतरते-उतरते दम तोड़ने लगी है, जिसमें उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की सबसे बड़ी भूमिका है.
सोलर प्लांट स्कीम के तहत हजारों उपभोक्ताओं द्वारा आवेदन किया गया है, लेकिन सोलर कंपनियों ने उपभोक्ताओं के प्लांट लगाने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह है यूपीसीएल द्वारा सब्सिडी में की जा रही लेटलतीफी है. सोलर कंपनियों का कहना है कि सोलर प्लांट स्कीम के लिए यूपीसीएल को अधिकृत किया गया है लेकिन यूपीसीएल द्वारा समय से प्रोजेक्ट सब्सिडी जारी नहीं की जा रही है.
कंपनियों का कहना है कि पहले ही कोरोना संकट से बहुत जूझ रही है. ऊपर से यूपीसीएल द्वारा समय से सब्सिडी जारी न करना. साथ ही प्लांट अप्रूवल मीटर जांच और अन्य औपचारिकताओं में भी बिना वजह लेटलतीफी की जा रही है, जिसकी वजह से कंपनियां काम करने में असमर्थ हो रही है.
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उधर, अगर उपभोक्ताओं की बात करें तो ऐसे हजारों उपभोक्ता है. जिन्होंने 90 हजार से लेकर पौने तीन लाख तक के आवेदन किए हैं और इनके प्रोजेक्ट अभी अधर में लटके हैं. साथ ही कई उपभोक्ताओं के आवेदन भी अभी पेंडिंग पड़े हैं. वहीं, कई ऐसे उपभोक्ता हैं जिनकी साइट पर सोलर पैनल तक कंपनियां रख कर चली गई है. ऊपर से जिस मकसद के साथ इस योजना में आवेदन किया था कि हर महीने बिजली बेचकर मुनाफा होगा, वह भी अभी दिखाई नहीं दे रहा है.