ऋषिकेश: शांतिनगर की बड़ी आबादी का दूषित पानी आंतरिक मार्गों और नेशनल हाईवे पर बह रहा है, लेकिन जिम्मेदार नगर निगम प्रशासन अभीतक इस दूषित पानी की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए कदम उठाता नहीं दिख रहा है. इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को संक्रमण का खतरा है, बल्कि मोक्षदायिनी गंगा तक भी यह दूषित पानी पहुंच रहा है.
ऋषिकेश नगर निगम प्रशासन कोरोना महामारी के बीच साफ-सफाई के इंतजाम मुकम्मल होने का दावा कर रहा है. मगर उसके इन दावों की हकीकत सड़कों पर बहते दूषित पानी से बयां हो रही है. महीनेभर से शांतिनगर की हजारों की आबादी का गंदा पानी परशुराम चौक से होते हुए बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर नाले की तरह बह रहा है. यही नहीं हाईवे के किनारे एक मैदान में दूषित पानी का तालाब भी बन चुका है, जिससे स्थानीय लोगों को अब संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा सता रहा है.
शहर में आंतरिक मार्गों और नेशनल हाईवे पर बहने वाला यह दूषित पानी किसी न किसी रूप में मोक्षदायिनी गंगा तक भी पहुंच रहा है. ऐसे में लॉकडाउन के चलते साफ होती दिख रही गंगा अब इस दूषित पानी से कहीं न कहीं मैली होती नजर आ रही है. बावजूद इसके निगम प्रशासन की ओर से इस दूषित पानी को रोकने और निस्तारण के लिए जमीन पर अभीतक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
पढ़े: उत्तराखंड में नहीं मिला कोरोना पॉजिटिव केस, 481 मरीजों की रिपोर्ट आई नेगेटिव
लंबे समय से सड़कों पर बह रहे दूषित पानी की वजह से लोग परेशान हैं. अब देखना यह है कि आखिरकार कब तक निगम प्रशासन इस समस्या से लोगों को निजात दिलाता है.