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गजब की स्कीम: गुलदार, मगरमच्छ और जहरीलों सांपों को बनाएं दोस्त

देश के अन्य चिड़ियाघरों की तरह देहरादून जू प्रशासन में भी वन्यजीवों को गोद देने की पहले शुरू की है. वन विभाग की इस योजना से चिड़ियाघर की वित्तिय हालत में भी सुधार आएगा.

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देहरादून जू
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Published : Nov 1, 2020, 5:39 PM IST

Updated : Nov 1, 2020, 7:08 PM IST

देहरादून: यदि आप वन्यजीवों का शौक रखते हैं तो वन विभाग आपको ये शौक पूरा करने का मौका दे रहा है. बशर्ते आपको इसकी एक कीमत चुकानी होगी. गुलदार हो या जहरीले सांप, घड़ियाल से लेकर हिरण तक हर जंगली जानवर की कीमत तय है. बस पैसा दीजिए और किसी भी वन्यजीव को गोद ले लीजिए.देहरादून चिड़ियाघर ने लॉकडाउन के बाद आई मंदी से उबरने के लिए नायाब तरीका निकाला है. ऐसा तरीका जिससे न केवल वन्यजीव प्रेमी खुश है बल्कि चिड़ियाघर प्रबंधन को भी राहत मिल रही है.

इंसानों के बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से अपनी एक प्रक्रिया है. इसके लिए बकायदा नियम भी बनाए गए हैं. लेकिन अगर हम कहे कि आप गुलदार, हिरण, घड़ियाल मगरमच्छ, सांभर या जहरीले सांपों से लेकर रंग बिरंगे चहचहाते परिंदों तक को भी गोद ले सकते हैं. तो क्या आप सच मानेंगे. जी हां यह न केवल बिल्कुल सच है बल्कि देहरादून चिड़ियाघर ने इसके लिए बकायदा एक प्लान भी तैयार किया हुआ है.

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गजब की स्कीम

पढ़ें- महाकुंभ के चलते संवर रहा हरिद्वार, दीवारों पर नजर आएगी भारतीय संस्कृति की झलक

यूं तो वन्य जीवों को लेकर कानून में विशेष पाबंदियां लगाई गई है. यही कारण है कि सामान्य रूप से वन्यजीवों को न तो कोई पाल सकता है न ही इसकी खरीद-फरोख्त कर सकता है, लेकिन इस सब से हटकर देहरादून चिड़ियाघर ने वन्यजीव प्रेमियों की इच्छा और चिड़िया घर पर बढ़ते वित्तीय बोझ को देखते हुए वन्यजीवों को गोद देने का फैसला किया है. इसके लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं.

वन्यजीवों को गोद लेने की योजन

चिड़ियाघर प्रबंधन का प्लान

दरअसल, चिड़ियाघर में जीवों को गोद लेने वाले वन्य जीव प्रेमियों को तय किए गए कीमत के आधार पर इन जानवरों व पक्षियों को गोद लेने का मौका होगा. प्लान के तहत जो भी वन्यजीव को गोद लेना चाहता है वह इनकी कीमत अदा करेगा और उसके बाद उस वन्यजीव के बाड़े पर उस शख्स का बोर्ड लगाया जाएगा. इस तरह वन्यजीव प्रेमी का शौक भी पूरा हो सकेगा, और इसके जरिए वह उस जीव के पालन पोषण में अपना योगदान भी दे सकेगा.

उल्लू की है सबसे ज्यादा डिमांड

देहरादून चिड़ियाघर ने जबसे वन्यजीव को गोद देने की योजना शुरू की है, तब से अब तक करीब 15 लोग विभिन्न वन्यजीवों को गोद ले चुके हैं, लेकिन दिवाली नजदीक आता देख लोगों ने अब उल्लू की सबसे ज्यादा डिमांड कर दी शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार चिड़ियाघर में अब तक 18 लोगों ने उल्लू को गोद लेने की डिमांड की है.

पढ़ें- ITBP के जवानों ने बुझाई जंगल की आग, वन महकमे पर उठे सवाल

उल्लू को गोद लेने की क्या है वजह?

उल्लू लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसको लेकर कई धारणाएं हैं. खासतौर पर दिवाली के समय मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ऐसे में धन की देवी मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को पालने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में धन की वर्षा करती है. शायद यही कारण है कि अब उल्लू की डिमांड चिड़ियाघर में गोद लेने के लिए बढ़ गई है.

चिड़ियाघर में है 400 से ज्यादा वन्यजीव

देहरादून चिड़ियाघर में 400 से ज्यादा वन्यजीव है. जिनके देख रेख का जिम्मा चिड़ियाघर प्रबंधन के पास है. यदि इनके खर्चें की बात करें तो इन वन्यजीवों को खिलाने-पिलाने में ही साल भर में 64 लाख रुपए का खर्च आता है. इससे हटकर यहां काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी, बिजली-पानी और मेंटिनेंस में भी करीब 20 से ₹30 लाख का खर्च हो जाते हैं.

लॉकडाउन में चिड़ियाघर को हुआ है जबरदस्त नुकसान

लॉकडाउन के दौरान चिड़ियाघर को काफी नुकसान हुआ है. इस कारण वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए ही इस तरह के स्कीम को चलाया जा रहा है. चिड़ियाघर की कमाई पर गौर करें तो हर साल चिड़ियाघर 2.5 करोड़ की कमाई करता है. मार्च से लगातार चिड़ियाघर बंद है और देख जाए तो अक्टूबर पूरे महीने यहां इनकम करीब करीब न के बराबर रही.

चिड़ियाघर प्रशासन के इस कदम से वन्यजीव प्रेमी काफी खुश है, साथ ही वन महकमे को करीब से जाने वाले भी इस कदम की प्रशंसा कर रहे हैं.

वार्डन राजीव तलवार के मुताबिक, वन्यजीव प्रेमियों में चिड़ियाघर के इस कदम से बेहद ज्यादा उत्साह है, जो लोग वन्यजीवों का खास शौक रखते हैं, वो तरह अपना शौक पूरा कर सकेंगे. साथ ही वित्त संसाधनों में भी बढ़ोतरी हो सकेगी.

देहरादून: यदि आप वन्यजीवों का शौक रखते हैं तो वन विभाग आपको ये शौक पूरा करने का मौका दे रहा है. बशर्ते आपको इसकी एक कीमत चुकानी होगी. गुलदार हो या जहरीले सांप, घड़ियाल से लेकर हिरण तक हर जंगली जानवर की कीमत तय है. बस पैसा दीजिए और किसी भी वन्यजीव को गोद ले लीजिए.देहरादून चिड़ियाघर ने लॉकडाउन के बाद आई मंदी से उबरने के लिए नायाब तरीका निकाला है. ऐसा तरीका जिससे न केवल वन्यजीव प्रेमी खुश है बल्कि चिड़ियाघर प्रबंधन को भी राहत मिल रही है.

इंसानों के बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से अपनी एक प्रक्रिया है. इसके लिए बकायदा नियम भी बनाए गए हैं. लेकिन अगर हम कहे कि आप गुलदार, हिरण, घड़ियाल मगरमच्छ, सांभर या जहरीले सांपों से लेकर रंग बिरंगे चहचहाते परिंदों तक को भी गोद ले सकते हैं. तो क्या आप सच मानेंगे. जी हां यह न केवल बिल्कुल सच है बल्कि देहरादून चिड़ियाघर ने इसके लिए बकायदा एक प्लान भी तैयार किया हुआ है.

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गजब की स्कीम

पढ़ें- महाकुंभ के चलते संवर रहा हरिद्वार, दीवारों पर नजर आएगी भारतीय संस्कृति की झलक

यूं तो वन्य जीवों को लेकर कानून में विशेष पाबंदियां लगाई गई है. यही कारण है कि सामान्य रूप से वन्यजीवों को न तो कोई पाल सकता है न ही इसकी खरीद-फरोख्त कर सकता है, लेकिन इस सब से हटकर देहरादून चिड़ियाघर ने वन्यजीव प्रेमियों की इच्छा और चिड़िया घर पर बढ़ते वित्तीय बोझ को देखते हुए वन्यजीवों को गोद देने का फैसला किया है. इसके लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं.

वन्यजीवों को गोद लेने की योजन

चिड़ियाघर प्रबंधन का प्लान

दरअसल, चिड़ियाघर में जीवों को गोद लेने वाले वन्य जीव प्रेमियों को तय किए गए कीमत के आधार पर इन जानवरों व पक्षियों को गोद लेने का मौका होगा. प्लान के तहत जो भी वन्यजीव को गोद लेना चाहता है वह इनकी कीमत अदा करेगा और उसके बाद उस वन्यजीव के बाड़े पर उस शख्स का बोर्ड लगाया जाएगा. इस तरह वन्यजीव प्रेमी का शौक भी पूरा हो सकेगा, और इसके जरिए वह उस जीव के पालन पोषण में अपना योगदान भी दे सकेगा.

उल्लू की है सबसे ज्यादा डिमांड

देहरादून चिड़ियाघर ने जबसे वन्यजीव को गोद देने की योजना शुरू की है, तब से अब तक करीब 15 लोग विभिन्न वन्यजीवों को गोद ले चुके हैं, लेकिन दिवाली नजदीक आता देख लोगों ने अब उल्लू की सबसे ज्यादा डिमांड कर दी शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार चिड़ियाघर में अब तक 18 लोगों ने उल्लू को गोद लेने की डिमांड की है.

पढ़ें- ITBP के जवानों ने बुझाई जंगल की आग, वन महकमे पर उठे सवाल

उल्लू को गोद लेने की क्या है वजह?

उल्लू लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसको लेकर कई धारणाएं हैं. खासतौर पर दिवाली के समय मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ऐसे में धन की देवी मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को पालने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में धन की वर्षा करती है. शायद यही कारण है कि अब उल्लू की डिमांड चिड़ियाघर में गोद लेने के लिए बढ़ गई है.

चिड़ियाघर में है 400 से ज्यादा वन्यजीव

देहरादून चिड़ियाघर में 400 से ज्यादा वन्यजीव है. जिनके देख रेख का जिम्मा चिड़ियाघर प्रबंधन के पास है. यदि इनके खर्चें की बात करें तो इन वन्यजीवों को खिलाने-पिलाने में ही साल भर में 64 लाख रुपए का खर्च आता है. इससे हटकर यहां काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी, बिजली-पानी और मेंटिनेंस में भी करीब 20 से ₹30 लाख का खर्च हो जाते हैं.

लॉकडाउन में चिड़ियाघर को हुआ है जबरदस्त नुकसान

लॉकडाउन के दौरान चिड़ियाघर को काफी नुकसान हुआ है. इस कारण वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए ही इस तरह के स्कीम को चलाया जा रहा है. चिड़ियाघर की कमाई पर गौर करें तो हर साल चिड़ियाघर 2.5 करोड़ की कमाई करता है. मार्च से लगातार चिड़ियाघर बंद है और देख जाए तो अक्टूबर पूरे महीने यहां इनकम करीब करीब न के बराबर रही.

चिड़ियाघर प्रशासन के इस कदम से वन्यजीव प्रेमी काफी खुश है, साथ ही वन महकमे को करीब से जाने वाले भी इस कदम की प्रशंसा कर रहे हैं.

वार्डन राजीव तलवार के मुताबिक, वन्यजीव प्रेमियों में चिड़ियाघर के इस कदम से बेहद ज्यादा उत्साह है, जो लोग वन्यजीवों का खास शौक रखते हैं, वो तरह अपना शौक पूरा कर सकेंगे. साथ ही वित्त संसाधनों में भी बढ़ोतरी हो सकेगी.

Last Updated : Nov 1, 2020, 7:08 PM IST
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